आयकरदाताओं को प्रोत्साहन मिलना चाहिए
- जून 12, 2024
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भारत में करदाता, कराधान के एक अनिश्चितता भरे माहौल में रहते हैं। जहां कर चुकाने के बाद भी बदले में उन्हें कुछ नहीं मिलता। हालांकि यह तर्क दिया जा सकता है कि कर चुकाने के बदले में उन्हें अच्छी सड़कें, उपयोगिता और अन्य बुनियादी ढांचे जैसी सुविधा तो मिलती ही है। लेकिन यह सुविधा तो हर किसी के लिए है। यह सुविधा तो उन लोगों को भी मिल जाती है जो कर की चोरी करते हैं।
दूसरे देशों में जहां कर की दर ज्यादा है, वहां इसके बदले में उन्हें कुछ अतिरिक्त सुविधाएं भी मिल जाती है। लेकिन भारत में ऐसा नहीं हो रहा है।
भारी टैक्स देने के बाद भी युवा भारतीय परिवारों को अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए लगातार बढ़ती फीस चुकानी पड़ रही है। हमारे अधिकांश सरकारी विद्यालय पूरी तरह से उपेक्षित है। जहां केवल बुनियादी पढ़ाई ही कराई जा रही है। अब यदि कोई अच्छी शिक्षा हासिल करना चाहता है तो उन्हें निजी स्कूल में ही जाना पडे़गा।
हमें कर का भुगतान करने के बाद भी प्रदूषित वातावरण में रहना पड़ रहा है। जहां गंदी हवा और कूड़े के ढेर पूरा दिन सड़ते रहते हैं। सांस लेने के लिए शुद्ध हवा की जरूरत तो पूरा करने में हमें एयर प्यूरीफायर खरीदने के लिए अधिक भुगतान करना पड़ रहा है। हमारा सार्वजनिक परिवहन हमेशा भीड़भाड़ वाला, कभी-कभी असुरक्षित और शायद ही कभी आरामदायक होता है। इसलिए, हम निजी परिवहन पर खर्च करते हैं। जिससे हमारी सड़क पर जाम की स्थिति बनी रहती है। जिससे प्रदूषण बढ़ता है। किफायती गुणवत्ता वाला सार्वजनिक आवास अभी भी एक सपना बना हुआ है। इसलिए, हम निजी डेवलपर्स के बहकावे में आ जाते हैं।
होशियार अमीर इस कोशिश में लगे रहते हैं कि उनका पैसा सरकार की पकड़ से बचा रहे। यानी उन्हें टैक्स न देना पड़े। इस तरह के अरबपति दुबई या एंटीगुआ या सिंगापुर जैसे देशों में चले जाते हैं, जहां कर की दम बेहद कम या शून्य है। और जो कर दे रहे हैं, उनके लिए यह एक तरह से आतंक का प्रतीक है।
देश को करदाताओं को बीमा, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के लिए पर्याप्त छूट जैसे प्रोत्साहन की पेशकश करनी चाहिए। जिससे उन्हें व्यक्तिगत लाभ मिल सके। गैर-करदाताओं को समझ में आएगा कि वह इन सुविधाओं से वंचित क्यों रह रहे हैं?
986 मिलियन से अधिक मतदान करने वाले देश में, केवल 20.8 मिलियन - लगभग 2 प्रतिशत - ने वित्त वर्ष 2022 में व्यक्तिगत आयकर का भुगतान किया। इसमें से केवल 0.5 प्रतिशत ही मूल्यवान हिस्सा चुकाते हैं।