करों में सुधार कर रियल एस्टेट को और विकसित किया जा सकता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू होने के साथ ही रियल एस्टेट क्षेत्र में भी उम्मीद की एक किरण जगी है। विकास को जारी रखने और सुव्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों की वकालत प्रापर्टी कारोबारी कर रहे हैं।

उद्योगपति और विशेषज्ञ निवेश और विकास के लिए अधिक अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने के लिए कर को तर्क संगत करने और कम से कम औपचारिता के साथ ही लागत को कम करने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।

इस क्षेत्र के कार्यरत कारोबारियों को उम्मीद है कि सुधार विकास को प्रोत्साहित करेंगे, पारदर्शिता बढ़ाएंगे और कारोबार में स्थिरता बनाने की दिशा में सार्थक साबित होंगे।

भारत के रियल एस्टेट परिदृश्य को आकार देने के लिए, सही और प्रासंगिक नीतियों का निर्माण महत्वपूर्ण होगा। सभी आवास लक्ष्यों को कुशलतापूर्वक और समयबद्ध तरीके से प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) योजना को लगातार आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

जैसे-जैसे शहर बढ़ते जा रहे हैं, किफायती आवास की मांग नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है। उद्योग के विशेषज्ञों को उम्मीद है कि आवासों की आपूर्ति और मांग के बीच के अंतर को दूर करने के लिए सरकार को ध्यान और प्रोत्साहन देना चाहिए।

कर प्रोत्साहन, सब्सिडी और पहली बार घर खरीदारों के लिए बेहतर ऋण सुविधा जैसे उपाय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उद्योग जगत को उम्मीद है कि सरकार आवास क्षेत्र को प्रोत्साहन देना जारी रखेगी, जिसका 250 से अधिक संबद्ध उद्योगों के साथ संबंध है। रियल्टी क्षेत्र के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ढांचे में सुधार प्रमुख अपेक्षाओं में से एक है।

एक सुव्यवस्थित और सरलीकृत कर प्रणाली डेवलपर्स और घर खरीदने वालों दोनों के लिए फायदेमंद होगी, जिससे बाजार का माहौल और मजबूत होगा।


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