• मनोज ग्वारी
  • मानकों को लेकर हमें एकजुट होकर अपनी बात बीआईएस के सामने उठाने होंगेः

बीआईएस को लेकर अब उद्योग में चिन्ता होनी शुरू हुई है। अलग-अलग सेगमेंट के उद्योगपत्तियों की वैचारिक सोच और चिन्ताएं एक जैसी होनी लगी है। दिक्कत यह है कि उद्योग की ओर से संयुक्त तौर पर अभी तक ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया है कि अपनी उचित बात को बीआईएस के सामने रख पाएं। बल्कि सच तो यह भी है, अधिकांशतः मूल प्रावधानों की जानकारी का भी अभाव है, कि किन प्रावधानों से उद्योग के सामान्य परिचालन में दिक्कत आ सकती है और किनमें नहीं।

QCO को लागू करने का समय नजदीक आता जा रहा है। लेकिन यह सच है कि अब पीछे नहीं हटा जा सकता है। बीआईएस मानको को लागू करने में सख्त है।

ऐसे में यह सोचना होगा कि अब सैंपल फेल होने पर स्टॉप मार्किंग हो जाती है तो यूनिट का क्या होगा? इसमें काम करने वाले श्रमिकों व कर्मचारियों का क्या होगा।

जब कभी आपका सेंपल फेल होता है, तो अगर किसी एक मानक में फेल होता है तो उसमें आपको चेतावनी दी जाती है और आपसे सुधारत्मक कार्यवाही की उम्मीद की जाती है। वही अगर यह दो मानकों में फेल होता है तो तत्काल Stop Marking हो जाती है और दोबारा सेंपल टेस्ट के लिए भेजना पड़ता है। अगर दुर्भाग्यावंश किसी वजह से यह भी फेल हो जाता है तो लायसेंस कैंसल हो जाएगा और आपको नए लायसेंस के लिए आवेदन करना पड़ेगा। Stop Marking के दौरान आप माल का उत्पादन और बिक्रय नहीं कर सकते हैं।

Stop Marking को Resume करवाने में अमूमन तीन से चार माह का समय लगता है।

2023 में Door की Specification लागु हो चुकी है। जिन्होंने भी इसके लिए BIS को सहमति दी है, वो अब नियमानुसार जबड़ा Door का उत्पादन और विक्रय नहीं कर सकते।

मौजूदा परिस्थितियों में क्यूसीओ लागू होने पर सुक्ष्म इकाईयों में से लगभग 30 प्रतिशत इन प्रावधानों को संभाल नहीं पाएंगी। जो तकनीक सक्षम हैं उन्हें काम बढ़ाने का मौका मिलेगा।

फरवरी से पहले छह माह का समय है। भारत मानक ब्यूरो देश का ऐसा शायद अकेला विभाग है, जो अपने उद्योगपतियों की सलाह के बिना कोई बदलाव नहीं करता। ऐसे में यदि 50 उद्योगपति एक साथ एकजुट होकर बदलाव की बात करेंगे तो विभाग बदलाव कर देगा। लेकिन यदि इस बारे में हम बातचीत ही नहीं करेंगे, और एक बार मानकों का नोटिफिकेशन हो जाएगा तो फिर कुछ नहीं होगा। फिर इसे लागू ही करना होगा।

बीआईएस की भी कुछ सीमाएं हैं। बीआईएस सिर्फ अपने गाइड लाइन पर ही चलेगा। BIS के Manual में Minor Defect के लिए किसी किस्म की राहत देने का प्रावधान ही नहीं हैं। और यह सभी वस्तुओं पर लागु है। अगर राहत दी जाएगी तो सिर्फ प्लाई पर नहीं बल्कि तमाम तरह के सभी उत्पादों पर देनी होगी।

IS 303 में जब BWP को शामिल कर लिया गया है तो IS 710 को घरेलु बाजार में प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए था।

ताकि आम उपभोक्ता को IS 710 के हानिकारक रसायनों से राहत मिल सके। और डिलर भी उत्पादक से 710 की मांग ना कर सकें।

  • डॉ सीएन पांडे

आज काफी चर्चा हुई है। कई नई बातें निकल कर आई। उम्मीद है उद्योग सकारात्मक कदम उठाएगा।

इस वक्त बदलाव की ज्यादा संभावनाएं नहीं हैं। अलबत्ता यदि कोई छोटा मोटा बदलाव है तो उस पर विचार किया जा सकता है। अब तो बस आगे बढ़ने का समय हो गया है।

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  • राजेश कल्लाजे

वैसे तो अब इस स्टेज पर बहुत बड़े बदलाव नहीं किए जा सकते। लेकिन अगर सचमुच कोई गंभीर मसला है और आप अपनी कमिटी बनाकर उसे प्रस्तुत करें तो IWST की ओर से उसमें हर संभव सहायता की जाएगी। सकारात्मक भाव से इस QCO को लागु करें। IWST आपके साथ सहयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहेगा, यह मेरा आश्वासन है।

  • सुभाष जोली
  • बदलाव को स्वीकारते हुए आगे बढ़ना ही विकास की सीढ़ी हैः

बदलाव अच्छे के लिए होते हैं। यह सही है कि जब भी बदलाव होता है तो इसे अपनाने में थोड़ा वक्त लगता है। श्रम भी ज्यादा करना पड़ता है। क्योंकि हमें बने बनाए एक रास्ते को छोड़ कर नए रास्ते पर नई चीजों के साथ चलना होता है।

यह भी सच है कि हमारा उद्योग अब उन्नति के नए पायदान पर चढ़ने को तैयार है। हम क्यूसीओ को अपनाते हुए अपने उत्पाद को अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता तक लेकर जाएंगे। अब वक्त आ गया कि भारत के उत्पाद का विदेश में भी डंका बजना चाहिए। क्यूसीओ इसी दिशा में एक प्रयास है। पूरी उम्मीद है, हम नए मानकों को अपनाते हुए तेजी से आगे बढे़ंगे, यह वक्त की मांग और जरूरत दोनो है।

सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों व श्रोतागणों का धन्यवाद।


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