वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में बदलाव पर सुझाव देने के लिए गठित राज्यों के मंत्रियों के समूह की राय है कि जीएसटी कर के चार स्लैब बनाए रखे जाएं और फिलहाल इसमें किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है।

हालांकि यह प्रारंभिक चर्चा है और अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

जीएसटी के तहत दरों में बदलाव की प्रक्रिया में प्रगति और भविश्य की कार्यवाही पर विचार करने के लिए मंत्रियों के समूह की नई दिल्ली में बैठक हुई थी।

समूह ने केंद्र और राज्यों के राजस्व अधिकारियों को खास तौर पर व्यापक स्तर पर उपभोग की वस्तुओं की दरों में बदलाव के प्रभाव का मूल्यांकन करने और 9 सितंबर को जीएसटी परिषद की बैठक में अपने निश्कर्श प्रस्तुत करने का सुझाव दिया।

कर्नाटक के राजस्व मंत्री ने कहा, ‘जीएसटी प्रणाली व्यापक तौर पर स्थायित्व प्राप्त कर चुकी है। ऐसे में उसमें फेरबदल क्यों किया जाए, ऐसा करने से क्या हासिल होगा?

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वर्तमान में जीएसटी के तहत 5 कर स्लैब है- शून्य, 5,12,18 और 28 फीसदी। विलासिता एवं अहितकर वस्तुओं पर 28 फीसदी की अधिकतम दर के अलावा उपकर भी लगाया जाता है। मंत्रियों का समूह, राज्य और केंद्र के राजस्व अधिकारियों वाली फिटमेंट समिति से राय लेता है। समूह जीएसटी परिषद की आगामी बैठक में इस बारे में स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकता है।

समझा जाता है कि फिटमेंट समिति ने मंत्रिसमूह को मौजूदा शुन्य के अतिरिक्त चार-स्लैब वाले कर ढांचे को बदलने के लिए तीन विकल्प सुझाए हैं।

i) 8 फीसदी, 16 फीसदी और 24 फीसदी

ii) 9 फीसदी, 18 फीसदी और 27 फीसदी

iii) 7 फीसदी, 14 फीसदी और 21 फीसदी

प्रत्येक विकल्प अनिवार्य वस्तुओं को किसी कर बढ़ोतरी से रक्षित करेगी और कर न्यूनीकरण का प्रावधान शामिल किया जा सकता है।

इसके अलावा मंत्रिसमूह ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर जीएसटी के मुद्दे पर भी चर्चा की जिसे फिटमेंट समिति के पास भेजा गया है।


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