भाजपा सत्ता में वापस आती है तो घरेलू उद्योग को संरक्षण देना जारी रखेगी
- मई 10, 2024
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नए वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत में इस बात की प्रबल संभावना है कि एक बार फिर से देश में भारी बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आएगी।
इसी क्रम में वाणिज्य मंत्री ने यह आश्वास्त किया कि जब तक सरकार को लगता है कि घरेलू उत्पाद की रक्षा की जानी चाहिए, तब तक सरकार इस दिशा में काम करती रहेगी।
वाणिज्य मंत्री, जो उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के भी प्रमुख हैं, ने कहा कि व्यापार नीति नपी-तुली हे। जो देश के विकास की रफ्तार के अनुरूप है। जिसका स्पष्ट अर्थ यह था कि एक विकासशील देश के रूप में, भारत अपने घरेलू उद्योगों के हितों की सुरक्षा करने में बिल्कुल सही है। अमीर देशों ने भी अपने घरेलू उत्पादकों की रक्षा की थी, जब वे अर्थव्यवस्था विकसित कर रहे थे।
वाणिज्य मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि 2012 में, भारत ने पूर्वी एशिया के 13 देशों और ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के समूह, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) के साथ बातचीत में हिस्सा लेकर एक बड़ी गलती की। उन्होंने कहा कि सरकार ने घरेलू उद्योग के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद आरसीईपी से बाहर निकलने का सही निर्णय लिया। क्योंकि भारत के कई उद्योगों ने यह चिंता व्यक्त की थी कि चीन में उत्पादित वस्तुओं में अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने और उन्हें खत्म करने का डर हे। उन्होंने संकेत दिया कि, आम तौर पर, भारत चीन से जुड़े किसी भी क्षेत्रीय व्यापार का हिस्सा नहीं होगा।
हालांकि यह बात अलग हे कि नब्बे के दशक में आर्थिक उदारीकरण के रणीनतिकारों में शामिल रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि संरक्षणवाद का लाभ उत्पादकों को मिलता है, जबकि संरक्षणवाद की लागत उपभोक्ताओं को वहन करनी पड़ती है।
वित्त मंत्री ने कहा कि देश के उद्योग को संरक्षण देने का मतलब यह नहीं है कि वो अयोग्य बने रहंे। सरकार इस बारे में पूरी तरह से सचेत है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे उत्पाद गुणवत्ता के मामले में हर पैमाने पर खरा उतरे, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
हम इस दिशा मे काम कर रहे हैं। इसलिए इस तरह की नीति तैयार की जा रही है कि कुछ समय के लिए अपने उद्योगों को संरक्षण दिया जाए। लेकिन यह भी सच है कि यह कुछ समय के लिए ही संभव होगा।
वित्त मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार अपने सुधार एजेंडे पर जोर जारी रखेगी। इसके साथ ही मल्टीनेशनल कंपनियों से सतर्क भी रहेंगी।
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