भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भुगतान लागत को कम करने की मांग को जोरदार तरीके से उठाया है।

नई दिल्ली ने बहुपक्षीय व्यापार निकाय ने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटलाइजेशन के इस दौर में अब समय आ गया हमें भुगतान के इन डीजीटल तरीकों को भी अपनाना चाहिए। इस माध्यम को अंतरराष्ट्रीय भुगतान में अपनाने के लिए हमें डिजिटली एक दूसरे से जुड़ना चाहिए। क्योंकि भुगतान का यह न सिर्फ सस्ता माध्यम है, बल्कि तेजी से और पारदर्शी तरीके से भुगतान हो जाता है।

अभी अंतरराष्ट्रीय भुगतान की औसत लागत 6.18 प्रतिशत है, कोशिश यह होनी चाहिए कि इसे 3 प्रतिशत से कम किया जाए।

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भारत ने कहा कि कुल भुगतान का लगभग 78 प्रतिशत निम्न और मध्यम आय वाले देशों को जाता है। जिससे इस मुद्दे को हल करने के लिए बहुपक्षीय प्रयास का मामला बनता है। भारत और इस जैसे देशों के बीच व्यापार की असमानता को कम करने के लिए लेनदेन की लागत कम करना काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

विश्व बैंक के अनुसार, भारत को 2023 में लगभग 125 बिलियन डॉलर का अंतरराष्ट्रीय भुगतान मिला है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। अब यदि इसकी लागत में कमी का दी जाए तो और अधिक भुगतान आएगा। इस बात पर विचार करना चाहिए कि तकनीक का लाभ उठाते हुए नए बाजार, उपभोक्ता व उनकी जरूरतों को पूरा करने वाले उत्पाद व सेवाओं की मार्केट को कैसे बढ़ाया जा सकता है।

भारत ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि एक कार्यशाला हो, जो अंतरराष्ट्रीय भुगतान लागत कम करने से जुड़ी चुनौतियों की पहचान करे। यह संभावना भी तलाशी जाए कि डिजिटल तरीके और नई तकनीक के इस्तेमाल से कैसे अंतरराष्ट्रीय भुगतान लागत को कम की कहां कहां कितनी संभावना है।


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