तीन महीने के अंदर देशभर में बंद हो प्रदूषण फेलाने वाली फैक्ट्रियां

लोगों के स्वास्थ्य की कीमत पर आर्थिक विकास नहींः एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को देशभर के ‘गंभीर रूप से प्रदूषित’ और ‘बेहद प्रदूषित’ इलाकों में तीन महीने के भीतर प्रदूषण फेलाने वाली औद्योगिक इकाइयों को बंद करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य की कीमत पर आर्थिक विकास नहीं हो सकता।

सीपीसीबी और राज्यों के प्रदेशण नियंत्रण बोर्डों द्वारा संयुक्त रूप से 2009-10 में किए गए अध्ययन के आधार पर औद्योगिक क्लस्टरों को ‘प्रदूषित औद्योगिक क्षेत्र’ के रूप में अधिसूचित किया गया था। उन्हें उनके व्यापक पर्यावरणीय प्रदूषण सूचकांक के अंकों के आधार पर गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्र, बेहद प्रदूषित क्षेत्र और अन्य प्रदूषित क्षेत्र के रूप में विभाजित किया गया था। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने साफ किया कि इस आदेश से प्रदूषण नहीं फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयां प्रभावित नहीं होंगी। सीपीसीबी को तीन महीने बाद अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए एनजीटी ने मामले की अगली सुनवाई पांच नवंबर तय कर दी।

  • पानीपत और यमुनानगर स्थित प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियां भी होंगी बंद
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तीन माह बाद रिपोर्ट देने का निर्देश

मेटल-प्लाइवुड उद्योग होंगे प्रभावित
जांस, यमुनानगरः एनजीटी के नए आदेश से जिले की इंडस्ट्री प्रभावित होगी। सबसे अधिक असर मेटल, प्लाइवुड इंडस्ट्री व स्ओन क्रेशर पर पड़ेगा। जिले में मेटल की 1200, प्लाइवुड यूनिट 1305 और 340 स्टोन कªशर चल रहे हैं। जगाधरी में मेटल और यमुनानगर में प्लाइवुड की फैक्ट्रियां हैं।

देश के 100 प्रदूषित शहरों में 11 वें स्थान पर पानीपत

टेक्सटाइल सिटी पानीपत की हवा, पानी और जमीन तीनों खतरनाक कैटेगरी में पहंुच गई हैं। काम्प्रीहेंसिव इन्वायरमेंटल पाॅल्यूशन इंडेक्स सीईपीआइ के 2018 के देश के 100 शहरों के सर्वें में पानीपत 11 वें नंबर पर है। प्रदेश का गुरूग्राम नौंवें स्थान पर है जबकि फरीदाबाद जैसा बड़ा इंडस्ट्रियल शहर 63वें स्थान पर रहा है।

एनजीटी ने अपनी 21 पेज की कार्रवाई रिपोर्ट जारी कर बताया कि यह पर्यावरण और जल प्रदूषण के खिलाफ सुधरात्मक कार्रवाई है।
पनीपत को 83.54 अंकः सीईपीआइ की रिपोर्ट में पानीपत की हवा की क्वालिटी 66 प्रतिशत पर है। जबकि पानी 72.75 और जमीन 60 पर है। यह अपने खतरनाक स्तर पर है। इस कैटेगरी में पानी पीना और हवा में सांस लेना खतरे से खाली नहीं है। पानीपत में मुख्य रूप से टेक्सटाइल की नगरी है।

उद्योगों की चार कैटेगरीः केंद्रीय नियंत्रण बोर्ड ने औद्योगिक इकाइयों को चार कैटेगरी में बांटा है। रेड कैटेगरी के अंतर्गत वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री आती हैं। पानीपत में इनकी संख्या 350 है। इनसे कम प्रदूषण फेलाने वाली इंडस्ट्री को ओरेंज कैटेगरी में रखा है। इनकी संख्या 222 है। ग्रीन कैटेगरी में पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाली इंडस्ट्री हैं। इनकी संख्या 25 है। जबकि व्हाइट कैटेगरी में एक भी इंडस्ट्री रजिस्टर्ड नहीं है।