ED registered a criminal case in the alleged bank fraud scam based on a Central Bureau of Investigation FIR and charge sheet

Oil rigs in Nigeria, ships, a business jet and a plush flat in London were among the assets, worth over Rs. 9,700 crore, attached by the ED Wednesday as part of its bank fraud and money laundering probe against Gujarat-based pharmaceutical firm Sterling Biotech.

The Enforcement Directorate said it has issued a provisional order under the Prevention of Money Laundering Act (PMLA) for attachment of these properties.

This is one of the biggest attachment of assets order issued by the agency and in this, most of the properties attached are based abroad, a senior official said, adding that the total value is Rs. 9,778 crore.

Four oil rigs and an oil field named OML143 in Nigeria, four Panama registered ships –‘Tuljabhawani’, ‘Varinda’, ‘Bhavya’ and ‘Brahmanietc’, a gulfstream jet registered in the US and held in the name of SAIB LLC, and a residential flat in London have been attached, the federal probe agency said in a statement.

The holding company of the ships is Atlantic Blue Water Services, it said

The alleged Rs. 8,100 crore bank loan fraud is being alleged to have been perpetrated by the Vadodara-based pharma firm and its main promoters Nitin Sandesara, Chetan Sandesara and Deepti Sandesara, all of whom are absconding. The Sandesaras are also under probe for their alleged nexus with some high-profile politicians by the ED as also by the CBI and the Income Tax Department under criminal sections that deal with corruption and tax evasion respectively. The ED, in the past, has attached assets worth Rs. 4,730 crore in this case.

“The main promoters (of the Sterling group) have not only siphoned off loan funds to finance their Nigerian oil business but also for their personal purposes,” the agency said.

It said loan funds were “diverted for non-mandated purposes, layered and laundered through a web of multiple domestic as well as offshore entities.”

“Investigations revealed that the group was engaged in round-tripping of standby letters of credit (SBLCs) funds to the tune of Rs. 4,500 crore by violating conditions laid by the RBI while sanctioning the loan,” the ED said.

It is alleged that the company took loans of over Rs. 5,383 crore from a consortium led by Andhra Bank, which had turned into non-performing assets. The total volume of the alleged loan defraud is pegged at Rs. 8,100 crore.

“The said SBLCs were later on devolved on the guarantor banks causing wrongful loss to these public sector banks and to the public at large. Their strategy included incorporation of multiple shell companies, conducting circular transactions to artificially inflate turnover of flagship companies, claiming higher depreciations on non-existing machinery to avoid tax liabilities, artificial share trading with the shell companies, layering and laundering of proceeds of crime within India and abroad through the web of multiple shell companies,” the ED alleged. It charged that the “promoters (Sandesaras) incorporated 249 domestic and 96 offshore shell companies” to execute the alleged bank loan scam. The ED registered a criminal case in the alleged bank loan fraud case based on a Central Bureau of Investigation FIR and charge sheet. The promoters of the firm, also alleged to be the main conspirators of the bank fraud apart from their employees and bank executives, are absconding and have been reported to be based in Nigera from where India is trying to extradite them.

 

स्टर्लिंग बायोटेक की परिसंपत्तियां जब्त

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुजरात की स्टर्लिंग बायोटेक के खिलाफ कालेधन मामले और उसके भगोड़े प्रवर्तकों संदेसरा बंधुओं के करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी में शामिल होने की जांच के संबंध में 9,778 करोड़ रुपये की परिसपंत्तियां अस्थायी रूप से जब्त की हैं।

हाल के समय में परिसंपत्तियां बड़ी तादाद में जब्त करने का यह बड़ा मामला है। पिछले साल प्रवर्तन निदेशालय ने 4,730 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियां जब्त की थीं।

जब्त की गई संपत्तियों में चार तेल रिग एवं तेल क्षेत्र शामिल हैं। ओएमएल 143 नाम के यह तेल रिग एवं क्षेत्र नाईजीरिया में स्थित हैं और इन पर स्टर्लिंग एनर्जी एक्सप्लोरोशन (एसईईपीसीओ) का नियंत्रण है। जांच एजेंसी ने तलुजा, भवानी, वारिंद, भाव्या, ब्रह्मणी नाम के जहाज भी जब्त किए हैं। ये जहाज पनामा में पंजीकृत थे और इन पर अटलांटिक ब्लू वाटर सर्विसेज का स्वामित्व था जो स्टर्लिंग बायोटेक नियंत्रित कंपनी है। इसके अलावा लंदन में एक आवासीय फ्लैट के साथ एयरक्राफ्ट 200 गल्फस्ट्रीम को भी जब्त किया गया है। यह एयरक्राफ्ट अमेरिका में पंजीकृत है और इस पर सैब एलएलसी का नियंत्रण है।

ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने स्टर्लिंग बायोटेक और उसके प्रवर्तकों नितिन जयंतीलाल संदेसरा, चेतनकुमार जयंतीलाल संदेसरा, दीप्ती संदेसारा के खिलाफ 5,383 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के आरोप में वर्श 2017 में मामला दर्ज किया है।

ईडी के अनुसार, स्टर्लिंग बायोटेक ने भारतीय बैंकों से भारतीय और विदेशी मुद्रा में ऋण लिए थे। ये ऋण कई बैंकों के कंसोर्टियम द्वारा मंजूर किए गए थे जिनमें आंध्रा बैंक, यूको बैंक, एसबीआई, इलाहाबाद बैंक, बैंक आॅफ इंडिया शामिल हैं।

जांच के दौरान यह पाया गया कि बैंक से ली गई रकम गैर-जरूरी उद्देश्यों में इस्तेमाल की गई और कई घरेलू एवं विदेशी इकाइयों के जरिये कालेधन को वैध बनाने की कोशिश की गई। ईडी ने कहा कि प्रमुख प्रवर्तकों ने न सिर्फ इन ऋणों को अपने नाईजीरियाई तेल व्यवसाय के वित्त पोशण में इस्तेमाल किया बल्कि अपने व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए इसका इस्तेमाल किया।

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि कंपनी लगभग 4500 करोड़ रुपये के स्टैंडबाई लेटर्स आॅफ क्रेडिट (एसबीएलसी) कोश की राउंड ट्रिपिंग में भी शामिल थी, जो ऋण मंजूर करने के संबंध में आरबीआई के नियमों का उल्लंघन है। बाद में एसबीएलसी गारंटर बैंकों को हस्तांतरित किए गए जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को नुकसान हुआ।
प्रवर्तकों ने प्रमुख कंपनियों को कारोबार ज्यादा दिखाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए थे जिनमें विभिन्न मुखौटा कंपनियों का निर्माण, सर्कुलर ट्रांजेक्शन आदि मुख्य रूप से शामिल थे।

जांच एजेंसी के अनुसार, प्रवर्तकों ने अपने कर्मचारियों के नाम का इस्तेमाल कर 249 घरेलू और 96 विदेशी मुखौटा कंपनियां बनाईं।

जांच के दौरान, ईडी ने मूल पैन कार्ड स्टांप, मेमोरेंडम आॅफ एसोसिएशन और फर्जी कंपनियों की हस्ताक्षरित ब्लैंक चेक बुक भी प्रवर्तकों से जब्त की हैं।

जांच एजेंसी ने पाया कि प्रवर्तकों ने विदेश में काॅरपोरेट और अकाउंटिंग ढांचे का जाल बिछा रखा था। उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, ब्रिटेन, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड, माॅरिशस, बार्बाडोस, पनामा और नाईजीरिया में 96 कंपनियां बना रखी थीं।