Lack of global thinking

वैश्विक सोच की कमी


आज का जमाना वैश्वीकरण का है। यदि आपकी सोच, आपकी स्ट्रेटेजी अंतरराष्ट्रीय स्तर की नहीं होगी तो वैश्विक बाजार में आपकी कंपनी के टिके रहने की गुंजाइश कम हो जाती है। अधिकांश भारतीय कंपनियों के साथ समस्या यह है कि यहां के लोगों में उद्यमिता के प्रति वैश्विक सोच नहीं होती।

आज भारत में ऐसे बहुत सारी कंपनियां हैं जो या तो शहर, या जिला या फिर राज्य स्तर पर चलाई जा रही हैं। फलस्वरूप इन कंपनियों के सर्वाइवल की गुंजाइश कम हो जाती है। यह बात यूनिवर्सिटी ऑफ प्यूर्टो रीको, अमरीका के प्रोफेसर एवं एसोसिएट डीन डाॅ. जस्टिस पाॅल ने इंदौर में कही।

डाॅ. पाल ने कहा, जापान और अमरीका जैसे देशों में ग्लोबल बिजनेस के बारे में चर्चा होती है। इन देशों में जितनी भी कंपनियां हैं वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रही हैं, क्योंकि वहां के लोगों का एंटरप्रेन्योरल इंटेंशन ग्लोबल होता है। भारत की कंपनियां अच्छा परफाॅर्मेंस और अच्छा ग्रोथ तभी दे सकती हैं, जब वे वैश्विक स्तर पर कार्य करेंगी।