अनरजिस्टर्ड डीलर को बैंकिंग लेनदेन से पकड़ेंगे टैक्स वसूलने वाले विभाग
- March 21, 2020
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अनरजिस्टर्ड डीलर को बैंकिंग लेनदेन से
पकड़ेंगे टैक्स वसूलने वाले विभाग
दुकानों पर रिटेल में सामान खरीदने पर ज्यादातर लोग बिल नहीं मांगते, दुकानदार भी ग्राहक को बिना बिल के ही माल दे देता है। इससे सामान खराब होने या वापसी के समय ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे मामले मंे व्यवसायी टैक्स की बचत भी कर लेता है। ऐसे डीलरों को लेकर टैक्स वसूलने वाले विभागों ने सख्ती करने का मन बना लिया है।
विभाग इन व्यापारियों के टर्नओवर और बैंक ट्रांजेक्शन के आधार पर पकड़ेगा। इसके अलावा टैक्स में रिटर्न फाइल करते समय दी गई जानकारी से भी टर्नओवर का पता किया जा सकता है। नियमानुसार 200 रुपए के ऊपर के सामान खरीदी पर डीलर को पक्का बिल देना जरूरी हो जाता है।
दरअसल जीएसटीन में तीन तरह के व्यापारी आते हैं। इनमें रजिस्टर्ड डीलर, अनरजिस्टर्ड डीलर और कम्पोजिशन वाले डीलर आते हैं। रजिस्टर्ड डीलर को ग्राहक से टैक्स लेने का अधिकार हैं जबकि कम्पोजिशन स्कीम में डेढ़ करोड़ रुपए के टर्नओवर तक छूट है। लेकिन इनके बिल में कम्पोजिशन स्कीम की सील लगी होनी चाहिए। अनरजिस्टर्ड डीलर वो हैं जिनका सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपए तक है और उन्होंने विभाग से पंजीयन नहीं करवाया है। टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसे डीलर विभाग में रजिस्टर्ड नहीं है, लेकिन इनको बिल (कैश मेमो) देना चाहिए। पूरे दिन में जितने बिल कटेंगे, उसी आधार पर उनकी खरीद-बिक्री दिखाई देगी। बैंकिग लेन-देन में भी इसकी जानकारी विभाग को मिल जाएगी। उसी आधार पर टैक्स का भार भी आएगा। वैसे भी जीएसटी एवं आयकर विभाग ने एक ऐसा इलेक्ट्रानिक सिस्टम डेवलप किया है, जिससे संबंधित डीलर के क्रय-विक्रय के बारे में जानकारी मिल जाती है।
सौजन्य: नरेंद्र बाफना
(सह सचिव) अहिल्या चेम्बर्स ऑफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री इंदौर