दूसरे क्षेत्रों में आई सुस्ती से रियल्टी भी संकट में
- October 2, 2019
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हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को 20 हजार करोड़ रुपए का पैकेज नाकाफी,
दूसरे क्षेत्रों में आई सुस्ती से रियल्टी भी संकट में
- अन्य सेक्टर की स्थिति में सुधार आने पर देश में प्राॅपर्टी की डिमांड छह महीने में बढ़ सकती है
- नौकरी जाने के डर से खराब हुआ मार्केट सेंटीमेंट, हालात सुधरने में लगेगा वक्त
घर की कीमतों में इस साल सिर्फ एक और अगले वर्ष दो प्रतिशत का ही इजाफा होने की उम्मीदः रायटर्स
जीएसटी की दर महज पांच फीसदी, होम लोन की दरें 9 फीसदी से भी कम, अफोर्डेबल हाउसिंग पर ब्याज में सब्सिडी समेत कई कदम उठाने के बाद भी रियल एस्टेट सेक्टर मंदी से उबर नहीं पा रहा है। हालात यह है कि देश के तीस बड़े शहरों में 12.8 लाख मकानों को खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं। लिहाजा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अब रियल एस्टेट सेक्टर में कर्ज की मांग पूरी करने के लिए हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) 20 हजार करोड़ रुपए देने का ऐलान कर दिया है। फिर भी हाउसिंग सेक्टर के जानकारों का कहना है कि समस्या की जड़ दूसरे क्षेत्रों में आ रही मंदी है।
नौकरी जाने के डर की वजह से घर खरीदने का सेंटीमेंट गड़बड़ा गया है। राॅयटर्स ने भी अपने सर्वे में कहा है कि मंदी के चलते इस साल घर की कीमतों में महज एक फीसदी और अगले साल दो फीसदी की बढ़ोतरी संभव है। हाल ही में आई ऐनाराॅक प्राॅपर्टीज की रिपोर्ट के अनुसार भारत के रियल एस्टेट सेक्टर की हालत एकदम खराब है। देशभर के सात प्रमुख शहरों में 4,51,750 करोड़ रुपए की करीब 5.6 लाख आवासीय इकाइयों का निर्माण समय से पीछे चल रहा है। मार्च 2019 तक भारत के टाॅप 30 शहरों में 12.8 लाख अनबिके मकान थे। मार्च 2008 की तुलना में यह संख्या सात फीसदी ज्यादा है।
एनबीएफसी संकट ने भी रियल एस्टेट की सेहत बिगाड़ी, नकदी की कमी से बिक्री पर असर
रियल एस्टेट सेक्टर का हाल: कई हाउसिंग प्रोजेक्ट अधूरे और खरीदार बाजार से गायब
- कई प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं और बाजार में खरीदार नहीं हैं।
- एनबीएफसी संकट से डेवलपर्स को कर्ज नहीं मिल पा रहा है।
- नोटबंदी, जीएसटी जैसे कदम और रेरा जैसी नियामक संस्था आ जाने से बिल्डर संभल नहीं पाए।
- डेवलपर्स ने अंधाधुंध प्रोजेक्ट दर प्रोजेक्ट लाॅन्च किए। जो उनके लिए मुसीबत का कारण बन गए हैं।
- बेनामी संपत्ति कानून ब्लैकमनी पर सख्ती की वजह से बाजार से कई निवेशक गायब हो गए।
संकट से निपटने के उपाय: रियल्टी को मिले इंडस्ट्री का दर्जा, अधूरे प्रोजेक्ट में मदद मिले
- किफायती घरों को लेकर आईटी, जीएसटी और सरकार की परिभाशा में अंतर की वजह से विरोधाभास है।
- रियल एस्टेट सेक्टर को इंडस्ट्री का दर्जा दिया जाए।
- अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने में मदद करे।
- अफोर्डेबल हाउस को बढ़ावा देने के लिए लोन की ब्याज में भी अतिरिक्त छूट व घर खरीदारों को अतिरिक्त टैक्स छूट दी जाए।
- एनबीएफसी के संकट को हल किया जाए ताकि सेक्टर में नकदी की कमी दुरूस्त की जा सके।
69 प्रतिशत कंपनियों को बिक्री में और गिरावट आने के आसार
नाइट फ्रैंक की उद्योग संगठन फिक्की और रियल एस्टेट सेक्टर के संगठन नारेडको के साथ जारी नई रिपोर्ट हालात के और बिगड़ने की तरफ इशारा कर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक मांग में कमी, अनबिके मकानों की बढ़ती संख्या और एनबीएफसी की समस्या का समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। इस क्षेत्र में परियोजनाओं की बढ़ती लागत को फिलहाल सबसे बड़ी समस्या बताया गया है।
28 प्रतिशत की दर से घटी बीते पांच सालों में देश में घरों की बिक्री
एनाराॅक की रिपोर्ट की मानें तो घरों की बिक्री भी पिछले 5 वर्षों में 28 फीसदी की दर से घटी है। वर्ष 2014 में जहां 3.43 लाख घरों की बिक्री हुई, वहीं पिछले साल 2.48 लाख घर बिके। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश के सात प्रमुख शहरों में पिछले पांच साल के दौरान घरों के दाम में 7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जबकि मांग 28 प्रतिशत घटी है। इसी तरह घरों की आपूर्ति में इस दौरान 64 प्रतिशत की गिरावट आई है।
मुद्रा स्फीति की वजह कीमतों में वृद्धि नकारात्मक ही रहेगी
राॅयटर्स सर्वे के मुताबिक भले ही घर की कीमतों में मामूली इजाफा होगा लेकिन यह नकरात्मक ही होगा। यदि इस साल कीमत में एक प्रतिशत की भी वृद्धि होती है तो महंगाई दर में 3.15 प्रतिशत इजाफे की वजह से कुल कीमत माइनस में चली जाएगी। सभी विश्लेशकों ने सर्वसम्मति से कहा कि नकदी की कमी का प्रभाव कम से कम छह महीने तक रहेगा। यही नहीं, यह या तो गंभीर या बहुत गंभीर होगा।
जाॅब सिक्युरिटी के बिना मार्केट सेंटीमेंट में सुधार आना मुश्किल
जाॅब सिक्युरिटी ही नहीं रहेगी तो मकान कौन खरीदेगा? सीधी सी बात है दूसरे सेक्टर से मंदी दूर होगी तो संेटीमेंट भी अच्छा हो जाएगा। सरकार को अधूरे पड़े प्रोजेक्ट्स में मदद करनी चाहिए।
-दीपक मोदी
घरों की डिलीवरी में देरी की वजह से होमबाॅयर्स का विश्वास उठ गया है। हालांकि सरकार के नए उपायों से मदद मिलेगी। प्राॅपर्टी की कीमतें कम होने से घर खरीदनें का यह अच्छा समय है।
-पंकज माहेश्वरी
भारत में रोजगार सृजन कम हो रहा है। और एक घर खरीदने के लिए बड़े निवेश की जरूरत होती है। इसके लिए एक स्थिर व अच्छी नौकरी होगी तो खरीदार उत्साहित होगा। अंततः सुधरेगी, लेकिन रातोंरात नहीं।
-मधुकर श्राॅफ