Neeraj Garg

मोरटोरियम के स्थान पर रिस्ट्रक्चरिंग


1. ग्राहक और बैंक को क्या फायदा होगा?
जो लोग 1 मार्च 2020 तक नियमित भुगतान करते रहे हैं और अब किसी वजह से ईएमआई नहीं दे पा रहे हैं, वे इस स्कीम की वजह से डिफाॅल्टर होने से बच सकेंगे। वहीं, बैंकों का एनपीए नहीं बढ़ेगा। रिस्ट्रक्चरिंग का अधिकार बैंक के पास रहेगा। बैंक ही जांचेंगे कि क्या ग्राहक को रिस्ट्रक्चरिंग की जरूरत है या नहीं? मोरटोरियम नहीं लेने वाले कर्जदार इसके दायरे में आएंगे या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है।

2. स्कीम लागू करने की प्रक्रिया क्या होगी?
कर्जधारक को लोन रिस्ट्रक्चर का प्लान 31 दिसंबर से पहले संबंधित बैंक से मंजूर करवाना होगा। इसके बाद बैंक को इसे 90 दिन में लागू करना होगा। रिस्ट्रक्चरिंग के तहत ये विकल्प होंगे …
पहला – नए सिरे से लोन निर्धारित करते समय मूलधन बकाया ब्याज को जोड़ा जाएगा। उदाहरण के लिए अगर किसी का 1 लाख रु. का लोन बकाया है और मोरटोरियम की वजह से ब्याज 7 हजार रु. बढ़ गया है तो नया लोन 1.07 लाख रु. का हो जाएगा। इसमें कुछ अन्य शुल्क भी जुड़ सकते हैं।
दूसरा – कर्ज की अवधि भी संशोधित की जा सकती है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि मानो किसी ग्राहक की कमाई कोरोना संकट के कारण कम हो गई है तो अब वह ईएमआई कम कराकर लोन की अवधि बढ़वा सकता है। हालांकि, यह स्कीम पहले से ही है। अब रिस्ट्रक्चरिंग में भी ग्राहक इसका फायदा ले सकेंगे।

3. रिस्ट्रक्चरिंग के बाद क्या होगा?
नया खाता शुरु होगा। पुरना खाता बंद होगा।

4.  किस-किस तरह के लोन की रिस्ट्रक्चरिंग होगी?
कंज्यूमर क्रेडिट, एजुकेशन लोन, हाउसिंग लोन, शेयर-डिबेंचर्स आदि के लिए लिया गया लोन रिस्ट्रक्चर हो सकेगा। समुचित नियम-शर्तें निर्धारित करने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई है। जल्द ही सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा।

5. मोरटोरियम और रिस्ट्रक्चरिंग में क्या अंतर है?
31 अगस्त को मोरटोरियम की सुविधा खत्म हो जाएगी। इसके तहत लोन की किस्तें स्थगित थीं। कर्जधारक को अगस्त के बाद कुल ईएमआई और मोरटोरियम अवधि के ब्याज सहित कुल अदायगी करनी होगी। रिस्ट्रक्चरिंग अब इसके बाद भी भुगमान में असमर्थ कर्जधारकों के लिए है। हालांकि, वित्ततीय एक्सपट्र्स के मुताबिक यदि आप भुगतान कर सकते हैं तो स्कीम में आपके लिए कुछ भी नहीं है। रिस्ट्रक्चरिंग पर बैंक कर्ज भुगतान की अवधि बढ़ा देंगे, जिससे लंबे समय तक ब्याज भरना पड़ेगा।