फॉर्मल डिहाइड की बढ़ती कीमतों से परेशान प्लाइवुड उद्योगपतियों की मांग
- November 6, 2020
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फॉर्मल डिहाइड की बढ़ती कीमतों से परेशान प्लाइवुड उद्योगपतियों की मांग, दाम तर्कसंगत तय होने चाहिए
फॉर्मल डिहाइड के बढ़ते दामों से प्लाइवुड उद्योगपति खासे परेशान है। इनका कहना है कि फॉर्मल डिहाइड की कीमत बढ़ने से उत्पादन लागत बढ़ रही है। यह सही नहीं है। इसलिए इसके रेट तर्कसंगत होने चाहिए। क्योंकि यदि ऐसा नहीं होता तो प्लाइवुड इंडस्ट्री खासी दिक्कत में आ सकती है। मौजूदा परिवेश में फॉर्मल डिहाइड को बनाने की कीमत रु 14 प्रति किलों के आस पास आ रही है। ऐसे में इसकी बिक्री की कीमत 15 से रु 16 तक जायज मानी जा सकती है।
क्या वजह है दाम बढ़ने की
यमुनानगर में फॉर्मलडिहाइड बनाने वाले प्लांट एन जी टी के आदेशानुसार बंद है।इस वजह से मांग और आपूर्ति में अंतर होने की वजह से दाम में तेजी है। लेकिन इसके जवाब में यह तर्क दियाजा रहा है कि यमुनानगर में जो प्लांट बंद हुए हैं उनकी टोटल कैपेसिटी 350 टन प्रतिदिन है, लेकिन दूसरी ओर ,जो देश में बंद फॉर्मलडिहाइड प्लांट चले है या नए प्लांट शुरू हुए हैं उससे उत्पादन में 1000 टन की क्षमता की बढ़ोतरी हुई है। इसलिए डिमांड और सप्लाई में अंतर जैसी कोई बात नहीं है। ऐसा प्लाईवुड उद्योपगतियों का कहना है।
तो क्या जो कमी दिखायी जा रही है, वह सिर्फ मुनाफा कमाने के लिए हैं ?
इंडस्ट्री के लोगों का आरोप है कि ऐसा ही कुछ हो रहा है। फॉर्मलडिहाइड निर्माताओं ने आपस में मिलकरएक तरह से बाजार में आर्टिफिशियल शॉर्टेज बना दी। ताकि वह माल की ज्यादा कीमत वसूल सके।
तो समस्या का क्या समधान देख रहे उद्योगपति
इसके लिए तर्क दिया गया कि यदि सभी प्लाइवुड निर्माता अपनी जरुरत के मुताबिक ही फार्मलडिहाइड खरीदते हैं तो इससे जो बाजार में फॉर्मलडिहाइड की कमी की आशंकाएं बन रही है, इस पर रोक लग सकती है। यह भी तय किया गया कि इसकी कीमत यदि 15 से रु 16 के बीच हैं तो ही खरीदे, यदि ज्यादा है तो आवश्यकता अनुसार ही खरीदे ।
प्लाइवुड निर्माता और फॉर्मल डिहाइड निर्माताओं के बची चल रहे विवाद को लेकर जब द प्लाई इनसाइट ने हरियाणा प्लाईवुड निर्माताओं एसोसिएशन के प्रधान जेके बिहानी से बातचीत की तो उनका कहना था कि यह स्थिति उद्योग के लिए सही नहीं है। हम सभी एक दूसरे पर निर्भर है। इसलिए एक दूसरे की दिक्कतों को समझते हुए काम करना चाहिए। क्योंकि यदि प्लाइवुड फैक्टरी बंद हो जाती हैं तो फाॅर्मल डिहाइड के खरीदने वाले अपने आप कम नहीं हो जाएंगे ?
लेकिन यदि किसी इंडस्ट्री को मुनाफा कमाने का मौका मिले तो वह क्यों न इसका फायदा उठाए?
देखिए सामान्य व्यापार के लिए यह सही नहीं है। क्योंकि यह बिजनेस की आचार संहिता के विरुद्ध है। वैसे देखा जाए तो यह कानूनन भी गलत है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह नहीं होना चाहिए।
लेकिन यह आरोप तो प्लाइवुड इंडस्ट्री पर भी लग सकता है?
हरियाणा प्लाइवुड मैनुफैक्चरर एसोसिएशन ने बिना आवश्यकता इस तरह से रेट बढ़ाने की कोशिश नहीं की है। क्योंकि इससे बाजार में अस्थिरता की स्थिति पैदा होती है। जो न तो नियमों के मुताबिक सही है, न उद्योग के लिए सही माना जा सकता।
ऐसा भी तो हो सकता है कि डिमांड बढ़ गयी हो
कुछ प्लांट बंद हुए थे। कुछ समय के लिए डिमांड बढ़ गयी है, लेकिन अब सब कुछ सामान्य हो गया है। अब जो मांग व सप्लाई में अंतर दिखाया जा रहा है, वह जानबूझ कर पैदा किया जा रहा है।
देखिए फॉर्मल डिहाइड की बढ़ती कीमतों की वजह से हम परेशान है। इतनी कीमतों पर खरीदारी करने से उद्योग दबाव में आ गए हैं। इसलिए मीटिंग की। इसमें कीमतों को लेकर विचार किया गया। जिससे यह तय किया गया कि यदि कीमत ज्यादा वसूली जाती है तो मीटिंग में उपस्थित सदस्य लोग इसे नहीं खरीदेंगे। और दूसरे उद्योगपतियों से भी आग्रह करेंगे,कि वह सभी स्वयं संयमित रहें। क्योंकि इसके अलावा कोई चारा नहीं रह गया। हम बस यह चाह रहे है कि रेट तर्क संगत रहे। यह मांग उठाना गलत भी नहीं है।