A day after Prime Minister Narendra Modi called upon industry to reignite its risk-taking abilities, NITI Aayog CEO Amitabh Kant said India can never become the next factory of the world by copying China but by having its own model of low cost green power, which is recognized by the world.

“We have always got into sunset areas of growth, this is the time to get into sunrise areas of growth,” Kant said while addressing a virtual event organized by industry body CII. Calling upon industry ot set ambitious targets for itself and focus on hydrogen, high-end batteries and advanced solar panels, Kant said India Inc has to go digital, become lean, focus on skilling and invest in green technologies if it wants to compete with the best in the world.

Pointing out that only 18 per cent of India’s final energy consumption is in the form of green energy, he emphasized that the remaining portion also needs to come from non-fossil fuel sources.

He said industry also needs to focus and invest heavily on research and development.


वृद्धि के सूर्योदय वाले क्षेत्र में कदम बढ़ायें

केवल चीन की नकल करने भर से भारत दुनिया की फैक्टरी नहीं बनने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भारतीय उद्दोग जगत को जोखिम लेने के लिए आगे आने को लेकर की गई अपील के एक दिन बाद नीति आयोग के मुख्य कार्योधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि भारतीय उद्दोग जगत के पास अपना कम लागत वाली हरित ऊर्जा का मॉडल होना चाहिए जिसे दुनिया ने मान्यता दी है। औद्दोगिक संगठन भारतीय उद्दोग परिसंघ की ओर से आयोजित आभासी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कांत ने कहा, चीन की नकल कर भारत दुनिया की अगली फैक्टरी नहीं बन सकता है। हमने हमेशा वृद्धि के सूर्यास्त वाले क्षेत्रों में प्रारंभ किया है यह समय वृद्धि के सूर्योदय वाले क्षेत्र में कदम बढ़ाने का है।

प्रतिस्पर्धी बनने के लिए भारतीय उद्दोग से अपने लिए महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य तय करने और हरित हाइड्रोजन, उच्च क्षमता वाली बैटरियों और उन्नत सौर पैनलों पर ध्यान देने का आह्वान करते हुए कांत ने कहा कि भारतीय उद्दोग जगत को डिजिटल और लचीला होना पड़ेगा। यदि वे दुनिया में सर्वात्तम के साथ प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं तो उन्हें कौशल विकास पर ध्यान देना होगा और हरित तकनीकों में निवेश करना होगा।

भारत की अंतिम ऊर्जा खपत का केवल 18 फीसदी ही ऊर्जा के रूप में होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि शेष 82 फीसदी को अकार्बनीकरण के दूसरे स्वरुपों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय उद्दोग को शोध और विकास भी ध्यान देने और भारी भरकम निवेश करने की जरुरत है और उन्हें नाटकीकय रुप से अपने लिए ग्रीन ब्रांड तैयार करने की मानसिकता तैयार करनी चाहिए। कांत ने कहा कि कोविड महामारी से उपजे किसी भी बाधा को निजी क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने के लिए निश्चित तौर पर उपयोग नहीं करना चाहिए।

दुनिया उभरती हुई तकनीकों की ओर बढ़ रही है। पुरानी तकनीक मर जाएगी।

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