सप्लायर के डिफाॅल्ट पर नहीं रोक सकते बायर को क्रेडिट
- August 17, 2019
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सप्लायर के डिफाॅल्ट पर नहीं रोक सकते बायर को क्रेडिट
जीएसटी प्रावधानों को चुनौती पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस
दिल्ली हाई कोर्ट ने जीएसटी एक्ट के उन प्रावधानों पर सवाल उठाया है, जिनके तहत अगर कोई सप्लायर (सेलर) अपने माल या सेवा के रेसिपिएंट (बायर) से काटा गया टैक्स सरकारी खाते में जमा नहीं कराता है तो उस रेसिपिएंट को इनपुट टैक्स क्रेडिट (प्ज्ब्) नहीं मिलेगा। कोर्ट ने ऐसे प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
याचिका में कहा गया है कि कानून और विभागों के पास कई ऐसी शक्तियां हैं, जिनके इस्तेमाल से सीधे डिफाॅल्ट करने वाले सप्लायर को सजा दी सकती है। ऐसे में रेसिपिएंट का क्रेडिट रोकना किसी और की गलती की सजा किसी अन्य को देना है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत कानूनी संरक्षण और समानता के अधिकारों का उल्लंघन है।
इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा
एक डीटीएच सर्विस प्रोवाइडर की ओर से दाखिल याचिका में जीएसटी एक्ट के सेक्शन 16(2)(ब), सेक्शन 16(2)(क) के दूसरे प्रोवाइजो और सेक्शन 16(4) को चुनौती दी गई है। साथी ही सेक्शन 43।(6)की वैधानिकता पर भी सवाल उठाया गया है, जो अभी तक नोटिफाई ही नहीं हुआ है।
जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस आशा मेनन ने याचिकाकर्ता की दलीलों को स्वीकार करते हुए केंद्र से पूछा कि सप्लायर की तरफ से हुए डिफाॅल्ट पर रेसिपिएंट का इनपुट क्रेडिट कैसे रोका जा सकता है। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि जब विभाग गड़बड़ी करने वाले सप्लायर के खिलाफ कार्रवाई और टैक्स वसूली के लिए कानूनी शक्तियों से लैस है, तो रेसिपिएंट का आईटीसी रोकना कितना तर्कसंगत है।
सेक्शन 16(2)(ब) कहता है कि रेसिपिएंट को इनपुट टैक्स क्रेडिट तभी मिलेगा, जब उसके सप्लायर ने उसकी ओर से चुकाए गए टैक्स का भुगतान कर दिया हो। सेक्सन 16(2)(क) का सेकेंड प्रोवाइज कहता है कि अगर बिलिंग की कुल रकम का रेसिपिएंट ने 180 दिन के भीतर भुगतान नहीं किया है, तो उसने जो आईटीसी हासिल किया है, उसके साथ-साथ आउटपुट टैक्स लाइबिलिटी पर ब्याज जोड़कर जमा कराना होगा। प्रोवाइज 16(4) कहता है कि कुछ खास तरह की सप्लाई में जब तक सप्लायर इनवाॅयसेज की डिटेल्स अपलोड नहीं कर देता, रेसिपिएंट को क्रेडिट नहीं मिल सकता। सेक्शन 43।(6) रिटर्न नहीं भरे जाने की स्थिति में संयुक्त रूप से सप्लायर और रेसिपिएंट पर टैक्स भुगतान और क्रेडिट लौटाने की जवाबदेही डालता है।