Editorial 2021

There have been times in human history when employment opportunities have been severely curtailed. Like the invention of the car ended the employment of the horse cart or the invention of the loom closed the handloom business, but along with it in the history till now, employment has also been created in new areas. For example, despite the closure of handlooms, the demand for cloth increased and a large number of jobs have been created in the textile mills. At present, employment is being lost through technologies like robots and artificial intelligence. The second reason for the degradation is the dominance of large industries. Today production is being done in factories with automatic machines and robots. For example, due to the establishment of sugar mill, employment in all jaggery manufacturing industries has ended. Had the same production been in small industries, more jobs would have been created. Yet throughout history, there has been a balance between job erosion and creation, and a balance between total job creation and total job creation. At present jobs are being created in the supply of goods by other businesses like taxi, hotels and small industries. New jobs are also being created in e-commerce, mobile repairing, online tutoring, data processing etc.

The difference between history and present time is that the population is increasing at this time. More number of youth are entering the labor market than new jobs being created in ecommerce etc. In the past seven decades, the invention of drugs such as penicillin and antibiotics and high-yielding wheat varieties has improved public health and increased the population rapidly. Due to this a large number of youth are entering the labor market today. The increase in demand for labor is slowing down and the increase in supply is getting worse.

As a major step, the government should loosen the labor laws in the organized sector. According to a report published by the World Bank, the countries of East Asia where the laws of recruitment and removal of workers were easy, there were more jobs. Therefore the government should simplify the labor law. As a third step, the government should provide financial support to small industries. Large number of jobs is created by small scale industries. In this direction, changes should be made in GST and the rate of GST on small industries should be reduced. At present, there is some momentum coming in the economy due to one rate of GST, but despite that acceleration, employment generation is less. It can be said that the train of our economy is running at a high speed, but there are very few passengers sitting in it. Similarly, our GDP is growing at a fast rate of percent, but jobs are being created less. If the government does not take these steps soon, then unemployment will increase in the country.


रोजगार के अवसर पैदा करने की चुनौती



मानव इतिहास में कई ऐसे समय आए है जब रोजगार के अवसरों का भारी हनन हुआ है। जैसे कार के आविष्कार से घोड़ागाड़ी का रोजगार समाप्त हो गया अथवा लूम के आविष्कार से हथकरघों का धंधा बंद हो गया, लेकिन अब तक के इतिहास में इसके साथ-साथ नए क्षेत्रों में रोजगार भी पैदा हुए हैं। जैसे हथकरघों के बंद होने के बावजूद कपड़े की मांग बढ़ी और कपड़ा मिलों में भारी संख्या में रोजगार सृजन होते रहे हैं। वर्तमान समय में रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीकों के माध्यम से रोजगार का हनन हो रहा है। हनन का दूसरा कारण बड़े उद्योगों का प्रभुत्व है। फैक्ट्रियों में आज ऑटोमोटिक मशीन एवं रोबोट से उत्पादन हो रहा है। जैसे चीनी मिल के लगने से गुड़ बनाने वाले तमाम उद्योगों में रोजगार खत्म हुआ है। अगर वही उत्पादन छोटे उद्योगों में होता तो ज्यादा रोजगार बनते। फिर भी अभी तक के इतिहास में रोजगार क्षरण और सृजन का संतुलन बना रहा है और कुल रोजगार सृजन का संतुलन बना रहा है और कुल रोजगार सृजन होता रहा है। वर्तमान में टैक्सी, होटल जैसे अन्य व्यवसायों और छोटे उद्दयोगों द्वारा माल आपूर्ति करने में रोजगार बन रहे हैं। ई-कामर्स, मोबाइल रिपेयरिगं, ऑनलाइन ट्यूशन, डाटा प्रोसेसिगं आदि में भी नए-रोजगार पैदा हो रहे हैं।

इतिहास और वर्तमान समय में अंतर यह है कि इस समय जनसंख्या बढ़ रही है। ई-कामर्स आदि में जितने नए रोजगार बन रहे है, उससे बहुत ज्यादा संख्या में युवा श्रम बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। बीते सात दशकों मे पेनिसिलिन और एंटी-बायोटिक्स जैसी दवाओं और उच्च पैदावार वाली गेहूँ के प्रजातियों के आविष्कार से जन स्वस्थ सुधरा है और जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। इस कारण आज बड़ी संख्या में युवा श्रम बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। श्रम की मांग में वृद्धि कम और आपूर्ति में वृद्धि अधिक हो रही है।

महत्वपूर्ण कदम के रुप में सरकार को संगठित क्षेत्र में श्रम कानूनों को ढीला करना चाहिए। विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी एशिया के जिन देश में श्रमिकों को भर्ती करने और हटाने के कानून आसान थे, वहां पर रोजगार अधिक बने। इसलिए सरकार को श्रम कानून को सरल करना चाहिए। तीसरे कदम के रुप में सरकार को छोटे उद्योगों को वित्तीय समर्थन देना चाहिए। छोटे उद्योग द्वारा ही अधिक संख्या में रोजगार सृजन किए जाते हैं। इस दिशा में जीएसटी में परिवर्तन करना चाहिए और छोटे उद्योगों पर जीएसटी की दर को कम करना चाहिए। वर्तमान में जीएसटी की एक दर होने से अर्थव्यवस्था में कुछ गति अवश्य आ रही है, लेकिन उस तेजी के बावजूद रोजगार सृजन कम ही हो रहा है। कह सकते है कि हमारी अर्थव्यवस्था की रेलगाड़ी तेज रफ्तार से चल रही है, परंतु उसमें यात्री कम ही बैठे हैं। इसी प्रकार हमारी जीडीपी 10 प्रतिशत की तेज रफ्तार से बढ़ तो रही है, परंतु रोजगार कम ही पैदा हो रहे हैं। सरकार यदि ये कदम शीघ्र नहीं उठाएगी तो देश में बेरोजगारी बढ़ती ही जाएगी।

सुरेश बाहेती मो0 9050800888