इन दिनों भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर व्यक्त किए जा रहे अनुमान बहुत शानदार तस्वीर दिखा रहे हैं। उद्दयोग संगठन पीएचडीसीसीआइ ने हाल में कहा कि टीकाकरण में तेजी और त्योहारी सीजन के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा भारी खरीदारी से भारतीय अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी है। पीएचडीसीसीआइ अर्थव्यवस्था जीपीएस सूचकांक अक्टूबर में बढ़ाकर 131 पर पहुंच गया। इससे पिछले महीने यह 113.1 पर था। चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों यानी अप्रैल से अक्टूबर के बीच यह 114.8 रहा। पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 78.7 रहा था।

ब्लूमबर्ग की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन महीनों में हुए बड़े सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को तेज रफ्तार पर सवार कर दिया है। अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आइएमएफ के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 9.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगी। भारतीय रिजर्व बैंक का भी ऐसा ही अनुमान है। इन अनुमानों के अनुसार भारत दुनिया में सबसे अधिक विकास दर की संभावनाओं वाले देशों मे चिन्हित किया जा रहा है।

बाजार में बढ़ी मांग, विनिर्माण में तेजी और सेवा क्षेत्र में सुधार से बढ़ी कारोबारी गतिविधियां आर्थिक मोर्चे पर सुधार के प्रत्यक्ष संकेत हैं। साथ ही अनुमान से बेहतर हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र में भी तेज मांग से बाजार चमक रहे हैं। पिछले साल जो दीपावली फीकी थी, वही इस साल खरीदारी की उमंग से सराबोर रही। अर्थव्यवस्था में नई जान आने से बेहतर आर्थिक परिदृश्य उभर रहा है, वहीं इस विकास से आम लोगों को भी अधिक लाभ मिलने की आस जगी है। यानी समावेशी विकास का विचार साकार रूप लेता दिख रहा है।

इस समय दुनिया भर के निवेशकों का दुलार भारतीय बाजारों पर बरस रहा है। उसके दम पर देसी शेयर बाजार अपने शिखर पर है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ भी रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है। भारत इस समय दुनिया में चैथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाला देश बन गया है। मोदी सरकार द्वारा बीते कुछ अर्से से उद्दयोगों की राह आसान करने के लिए उठाए गए कदम भी एफडीआइ में आई तेजी का एक महत्वपूर्ण कारण हैं। देश में बढ़ती डिजिटल पैठ को देखते हुए दुनिया की दिग्गज कंपनियां उससे जुडे अवसरों को भुनाने की योजना पर काम कर रही हैं।

ग्रामीण बाजार में सुधार के साथ ही वहां रोजगार की बेहतर होती स्थिति भी सुकून देने वाली है। ग्रामीण उपभोक्ता सूचकांक भी ऊंचाई छू रहा है। अनियमित मानसून और बोआई में कुछ देरी के बावजूद खरीफ फसलों के बेहतर उत्पादन की उम्मीद से धारणा बेहतर बनी है। कृषि उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी में बढ़ोतरी के साथ खरीद प्रक्रिया में सुधार किया गया है ताकि किसानों को उसका अधिकाधिक लाभ मिले। कृषि उत्पादों के निर्यात में भी उत्तरोत्तर बढ़ोतरी का उत्साहजनक रुझान बना हुआ है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए स्वामित्व योजना एक नई आर्थिक शक्ति के रूप में उभरी है। स्वामित्व योजना के देश के 3000 गांवों के 1.71 लाख ग्रामीणों को अधिकार पत्र देकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने वाली महत्वाकांक्षी योजना है। इससे यही संकेत मिलते हैं कि यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम देने में सफल होगी।

साथ ही वित्तीय समावेशन की मुहिम भी लगातार देश के वंचित तबके को ठोस आधार प्रदान कर रही है। इससे वंचित वर्ग के लोगों के पास उचित और पारदर्शी ढंग से किफायती लागत पर वित्तीय एवं बैंकिग सेवाओं के साथ-साथ डिजिटल माध्यम से स्वास्थ्य, सब्सिडी और राशन आदि की सुविधाएं सुगमतापूर्वक पहुंचाई जा रही हैं. जनधन, आधार और मोबाइल यानी जैम की तिकड़ी डिजिटल क्रांति के माध्यम से आम आदमी को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है। देश में करीब 130 करोड़ आधार कार्ड, करीब 118 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता और करीब 43 करोड़ जनधन बैंक खातों के विशाल एकीकृत बुनियादी डिजिटल ढांचे के माध्यम करोड़ो गरीबों के लिए गरिमापूर्ण जीवन के साथ सशक्तीकरण का असाधारण कार्य पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया है।

स्पष्ट दिख रहा है कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण यानी डीबीटी के माध्यम से अगस्त 2021 तक 90 करोड़ से अधिक लाभार्थी इसका फायदा ले चुके हैं। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्रं के मुताबिक फिलहाल सरकार के 54 मंत्रालयों द्वारा 300 से अधिक डीबीटी योजनाएं संचालित हो रही हैं, इनमें पीएम किसान सम्मान निधि, सार्वजनिक वितरण सेवाएं और एलपीजी गैस सब्सिडी आदि योजनाएं शामिल हैं। पीएम किसान योजना के अंतर्गत अगस्त 2021 तक 11.37 करोड़ किसानों के बैंक खातों मे डीबीटी के जरिये 1.58 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित कराए गए हैं।

देश में एक के बाद एक शुरू किए गए डिजिटल मिशन आम आदमी और अर्थव्यवस्था की शक्ति बनते जा रहे हैं। 26 अक्टूबर को 64,000 करोड़ रुपये निवेश योजना वाला आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रकचर मिशन देश के करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य की खुशहाली का आधार बन सकता है। 21 अक्टूबर को भारत में कोरोना टीकाकरण की 100 करोड़ डोज लगने का आंकड़ा टीकाकरण की ऐतिहासिक सफलता को दर्शाता है। ऐसे में हमें अब यही उम्मीद करनी चाहिए कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था को और बेहतर एवं मजबूत बनाने के लिए जहां जिंसों की ऊंची कीमतों और कच्चे माल की कमी के मुद्दों से रणनीतिक रुप से निपटेगी। वहीं वर्ष 2021 में घोषित विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के कारगर क्रियान्वयन की दिशा में आगे बढ़ेगी। साथ ही वंचित वर्ग के करोड़ों लोगों को महंगाई से बचाने तथा समावेशी विकास की योजनाओं से और अधिक लाभान्वित करने की डगर पर भी सरकार और मजबूती से आगे बढेगी।

साभारः डा. जयंतीलाल भंडारी