Editorial
- April 7, 2022
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It is a fact that sometimes circumstances make our path pathetic, but it is more important how we deal with our problems. Present day challenges & circumstances are almost different than our past experiences. Whether it is shortage of timber, soaring prices of chemicals or easy availability of technique or finance with increase in competition with different new products & varieties. Nothing is so simple. Thus the solution should also be sought with new perspective.
Challenges are different from our past experiences
Man has to go through many journeys in his life. In which, we get many types of experiences and from those experiences; we keep climbing the stairs from our present to the future. If the journey of man continues continuously, then success is bound to come.
Many times we wait in search of a perfect (Easy) path, but we forget that paths are made to walk, not to wait. We can’t just sit by relying on something good to happen in our lives. That is why no matter how difficult the path may be, but we should continue on the path of life.
It is a fact that sometimes circumstances make our path pathetic, but it is more important how we deal with our problems. Present day challenges & circumstances are almost different than our past experiences. Whether it is shortage of timber, soaring prices of chemicals or easy availability of technique or finance with increase in competition with different new products & varieties. Nothing is so simple. Thus the solution should also be sought with new perspective.
Learning is a continuous process. Whatever we are doing in life, we are learning something from it. When you execute tasks, then you learn how to organize them and refine them. Sometimes errors start happening right from the start. But success does not refine as much as failure teaches. No one has been as tough a teacher as failure. On the contrary, continuous success crushes the person. Pride fills. Gives birth to over-confidence. It is a kind of invitation to downfall. The ultimate truth is that we learn, whether we succeed or fail.
Most of the times, some people spend life in inaction in human life. They feel that they are not capable enough to perform such a task. They like to be hidden in their own safe shell. They feel that in order to do something extraordinary, one must be completely perfect. In this context, the famous scientist Stephen Hawking said, “One of the fundamental principles of the universe is that nothing is absolutely perfect.” Perfection does not exist. Without imperfection, neither you nor I would have existed. Therefore, moving forward on the path of learning without caring about success or failure is the mantra of self-development.
In this journey of life, we should leave such footprints on our path with hard work and effort, which others should also follow. Only then we will be able to fulfill the purpose of our life.
यह सच है कि हालात कभी कभी मुश्किले पैदा कर देते हैं, लेकिन समस्य़ाओं के प्रति नजरीया कैसा रखा जाए यह हमारी सोच पर निर्भर हैं। वर्तमान परिस्थितीयां और चुनौतियां अब तक के हमारे अनुभवों से बिल्कुल अलग हैं। फिर चाहे वह लकड़ी की उपल्ब्धता में कमी हो, केमिक्ल की कीमतों में इजाफा हो तकनीक और पुंजी की सहज उपलब्धता तो हो लेकिन बाजार में नये-नयें उत्पादों के आने से प्रतिस्पर्धा की बढ़ोत्तरी। अब कुछ भी सहज नहीं है। इसलिए इनका निराकरण भी नये तरीके से ही सोच समझकर करना होगा।
वर्तमान परिस्थियां पहले से बिल्कुल अलग हैं।
मनुष्य को अपने जीवन में जिन यात्राओं से होकर गुजरना पड़ता है, इसमें हम अनेक प्रकार के अनुभव पाते हैं और उन अनुभवों से अपने वर्तमान से भविष्य की सीढ़ियां चढ़ते जाते हैं। अगर मनुष्य की यात्रा निरंतर जारी रहे तो सफलता मिलती ही है।
कई बार हम एक आदर्श (सुगम) रास्ते की खोज में इंतजार करते रहते हैं मगर हम भूल जाते हैं कि रास्ते चलने के लिए बनाए जाते हैं, इंतजार के लिए नहीं। हम अपने जीवन में कुछ अच्छा होने के भरोसे बैठे नहीं रह सकते। इसीलिए राह कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, किंतु हमें जीवन पथ पर निरंतर अग्रसर होना पड़ेगा।
यह सच है कि हालात कभी कभी मुश्किले पैदा कर देते हैं, लेकिन समस्य़ाओं के प्रति नजरीया कैसा रखा जाए यह हमारी सोच पर निर्भर हैं। वर्तमान परिस्थितीयां और चुनौतियां अब तक के हमारे अनुभवों से बिल्कुल अलग हैं। फिर चाहे वह लकड़ी की उपल्ब्धता में कमी हो, केमिक्ल की कीमतों में इजाफा हो तकनीक और पुंजी की सहज उपलब्धता तो हो लेकिन बाजार में नये-नयें उत्पादों के आने से प्रतिस्पर्धा की बढ़ोत्तरी। अब कुछ भी सहज नहीं है। इसलिए इनका निराकरण भी नये तरीके से ही सोच समझकर करना होगा।
सीखना एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है। हम जीवन में कुछ भी कर रहे हों, उससे कुछ न कुछ सीख रहे होते हैं। जब आप कार्याे को क्रियान्वित करने की कोशिस करते हैं, तब आप उन्हें और व्यवस्थित करने का, परिष्कृत करने का ढंग सीखते जाते हैं। कभी-कभी आरभं से ही त्रुटियां होने लगती हैं। परंतु असफलता जितना सिखाती है, उतना सफलता परिष्कृत नहीं करती। असफलता के जितना बड़ा कठोर गुरु कोई नहीं हुआ। इसके विपरीत निरंतर मिलने वाली सफलता व्यक्ति को मद में चूर करती है। अभिमान भरती है। अति-आत्मविश्वास को जन्म देती है। यह पतन को एक प्रकार का आमंत्रण ही है। अंतिम सत्य यही है कि हम सीखते हैं, फिर चाहे सफल रहें या फिर असफल।
अधिकतर गया हैं, कि कुछ लोग मानव जीवन में भी निष्क्रियता में जीवन बिता देते हैं। उन्हें लगता है कि वे इतने सक्षम नहीं कि अमुक कार्य को संपादित कर सकें। उन्हें अपने एक सुरक्षित खोल में छिपे रहना ही अच्छा लगता है। उन्हें लगता है कुछ असाधारण कर गुजरने के लिए व्यक्ति का संपूर्णता से परिपूर्ण होना आवश्यक है। इस संदर्भ में सुप्रसिद्ध विज्ञानी स्टीफन हाकिंग ने कहा था, ब्रम्हांड के आधारभूत सिद्धांतों में से एक यह है कि कुछ भी पूर्णतः सही नहीं है। पूर्णता का कोई अस्तित्व नहीं होता। अपूर्णता के बिना, न तो, ‘आप’ और न ही ‘मैं’ अस्तित्व में होता। अतः सीखने के पथ पर बिना सफलता या असफलता की परवाह किए आगे बढ़ते चले जाना ही आत्म-विकास का मंत्र है।
इस जीवन रूपी यात्रा में हमें अपने पथ पर परिश्रम एवं पुरुषार्थ से ऐसे पदचिन्ह छोड़ने चाहिए, जिनका अनुसरण दूसरे भी करें। तभी हम अपने जीवन का उद्देश्य पूरा कर पाने में सफल हो सकेंगे।
सुरेश बाहेती – 9050800888