The steps being taken by India to increase the ease of doing business in the last six-seven years have started showing fruitful results. According to the recently published Global Entrepreneurship Monitoring report, India ranks fourth in terms of ease of starting a new business among 47 high, middle and low-income economies of the world. The report is based on parameters related to entrepreneurial activity, attitude towards enterprise and local entrepreneurship ecosystem.

Changes in the customs structure as well as the notable steps taken to make it a faceless, paperless and contactless system during the COVID-19 global pandemic proved decisive for India. Institutions like the World Bank also believe that India has made major reforms in four areas. The first is the ease of starting business, the second is bankruptcy resolution, the third is to increase cross-border trade and the fourth is to expedite construction permits. The historical reforms on the economic front have been a major reason for the increasing ease of doing business. During this time GST was implemented in the country. There was a big reduction in corporate tax. Income tax reforms came into force. Apart from the Aadhaar biometric project, infrastructure projects like railways, ports and airports gained momentum. Changes were also made in the rules of investment and disinvestment. New simple laws came into force by abolishing more than 1500 old and useless laws. At the same time, the growing digital economy has also made business easier.

With smart phones, mobile data and broadband becoming cheaper, the number of internet users in the country is increasing continuously. According to a report by the world renowned Red seer Consulting, the size of the Indian digital payments market in 2019-20 is likely to more than triple by 2024-25. India has become the new bastion of the fintech revolution due to digital accessibility.

Amidst these achievements in ease of doing business, some challenges still remain. According to a report by the Observer Research Foundation, more than half of the 1536 business-related laws in the country have provisions for punishment. These have to be reconsidered. Parameters like R&D, innovation, intellectual property will have to move fast. The access of the common man to the basic needs of the digital economy has to be increased. The single window system for industry-business will have to be strengthened further. Such efforts will be immensely beneficial for the overall economy along with increasing ease of doing business and employment opportunities.


फिर रफ्तार पकड़ती अर्थव्यवस्था


भारत द्वारा पिछले छह-सात वर्षों में कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए उठाए जा रहे कदमों के सार्थक परिणाम दिखने लगे हैं। हाल में प्रकाशित वैश्विक उद्यमिता निगरानी रिपोर्ट के अनुसार विश्व की उच्च, मध्यम और निम्न-आय वाली 47 अर्थव्यवस्थाओं में नया कारोबार शुरू करने में आसानी के मामले में भारत चौथे स्थान पर है। यह रिपोर्ट उद्यमशीलता गतिविधि, उद्यम के प्रति दृष्टिकोण और स्थानीय उद्यमशीलता ईकोसिस्टम से संबंधित मापदंडों पर आधारित है।

भारत के लिए कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान सीमा शुल्क ढांचे में परिवर्तन के साथ-साथ फेसलेस, पेपरलेस और कांटेक्टलैस व्यवस्था के लिए उठाए गए उल्लेखनीय कदम निर्णायक साबित हुए। विश्व बैंक जैसी संस्था का भी मानना है कि भारत ने चार क्षेत्रों में बड़े सुधार किए हैं। इनमें पहला है कारोबार आरंभ करने में सहूलियत, दुसरा दिवालियापन का समाधान, तीसरा सीमा पार व्यापार को बढ़ाना और चौथा कंस्ट्रक्शन परमिट्स में तेजी लाना। आर्थिक मोर्चे पर हुए ऐतिहासिक सुधार उत्तरोत्तर बढ़ती कारोबारी सुगमता की बड़ी वजह रहे हैं। इस दौरान देश में जीएसटी लागू हुआ। कॉरपोरेट कर में बड़ी कमी हुई। आयकर सुधार लागू हुए। आधार बायोमीट्रिक परियोजना के अलावा रेलवे, बंदरगाहों तथा हवाई अड्डों जैसी ढांचागत परियोजनाओं में तेजी आई। निवेश और विनिवेश के नियमों में परिवर्तन भी किए। करीब 1500 से ज्यादा पुराने और बेकार कानूनों को खत्म कर नए सरल कानून लागू हुए। साथ ही बढ़ती हुई डिजिटल अर्थव्यवस्था ने भी कारोबार को सुगम बनाया है।

स्मार्टफोन, मोबाइल डाटा और ब्राडबैंड सस्ता होने से देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। विश्व प्रसिद्ध रेडसीर कन्सल्टिंग की रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में भारतीय डिजिटल भुगतान बाजार का आकार 2024-25 तक तीन गुने से भी अधिक बढ़ सकता है। डिजिटल सुगमता के कारण भारत फिनटेक क्रांति का नया गढ़ बन गया है।

कारोबार को सुगम बनाने की इन उपलब्धियों के बीच कुछ चुनौतियां अभी भी कायम हैं। आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार देश में कारोबार से जुड़े 1536 कानूनों में आधे से ज्यादा में सजा के प्रविधान हैं। इन पर पुनर्विचार करना होगा। शोध एवं विकास, नवाचार, बौद्धिक संपदा जैसे मापदंडों पर तेजी से आगे बढ़ना होगा। डिजिटल अर्थव्यवस्था की बुनियादी जरूरतों तक आम आदमी की पहुंच बढ़ानी होगी। उद्योग-कारोबार के लिए एकल खिड़की व्यवस्था को और सशक्त बनाना होगा। ऐसे प्रयास कारोबारी सुगमता और रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ ही समग्र अर्थव्यवस्था के लिए बेहद फायदेमंद होंगे।