Chinese supply disruption unlikely to hit consumers
- April 8, 2022
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Disruption in the Chinese supply chains propelled by a fresh surge in Covid-19 cases in the neighboring country is unlikely to have a significant direct impact on Indian consumers, according to a survey conducted by Local Circles.
This is largely due to the fact that an increasing number of Indian households have said they did not buy any made-in-China products in the last one year.
Of households that purchased China-made products during the period, over two-thirds consumers said they have reduced their purchases as compared to a year before.
The survey also tries to understand the main reasons that prompted Indians to buy Chinese or Indian products during the last 12 months. The survey said that in their response, a majority of 61 percent households said that they bought more products made in India because of Indo-China affairs. 18 percent of households said that the Indian option was of better quality, 14 percent said that the Indian option was a better combination of price-quality.
China is also the largest trading partner of India. According to official figures, in F21Y, the total trade between the two countries was $ 86.39 billion, with the balance of trade sloping in favor of China.
उपभोक्ताओं पर चीन कि आपूर्ति में बाधा से असर नहीं
चीन में कोविड-19 के मामलों में आई ताजा उछाल से चीन की आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान का भारतीय उपभोक्ताओं पर खासा सीधा असर पड़ने की संभावना नहीं है। लोकलसर्कल द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में जानकारी मिली है।
ऐसा मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण है कि भारतीय परिवारों की बड़ी संख्या ने पिछले एक साल में चीन में निर्मित कोई भी उत्पाद नहीं खरीदा है।
इस अवधि के दौरान चीन द्वारा निर्मित उत्पादों को खरीदने वाले परिवारों में से दो-तिहाई से अधिक उपभोक्ताओं ने कहा कि उन्होंने एक साल पहले के मुकाबले अपनी खरीदारी कम कर दी है।
सर्वेक्षण में उस मुख्य वजह को भी समझने की कोशिश की गई है, जिसने भारतीयों को पिछले 12 महीने के दौरान चीन या भारतीय उत्पाद खरीदने के लिए प्रेरित किया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि अपने जवाब में अधिकांश 61 प्रतिशत परिवारों ने कहा है कि उन्होंने भारत-चीन के मामलों के कारण भारत में बने उत्पादों को ज्यादा खरीदा। 18 प्रतिशत परिवारों ने कहा कि भारतीय विकल्प बेहतर गुणवत्ता वाला था, 14 प्रतिशत ने कहा कि भारतीय विकल्प मूल्य-गुणवत्ता का बेहतर संयोजन था।
चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 21 में दोनों देशों के बीच कुल 86.39 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें व्यापार संतुलन का झुलाव चीन के पक्ष में था।