UP government worried about insolvency of real estate companies
- April 12, 2022
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In Uttar Pradesh, the state government has taken serious note on delay in completion of residential and commercial projects, bankruptcy of realty companies and non-payment of land prices.
Recently, Yamuna Authority has canceled 9 plots of 8 builders of Greater Noida and also seized their deposits of Rs 28 crore. The authority has canceled the allotment of 2.5 lakh square meters, against which the authority was owed about Rs 7500 crore.
According to the officials of the Housing Department, the state government has taken cognizance of the bankruptcy of many big builders of the real estate sector in the state. The government has decided to constitute a high-level committee to assess the difficulties faced by the flat buyers due to the insolvency of builders, so that the interests of the buyers can be protected.
Significantly, many major builders of the real estate sector in the country are standing on the verge of bankruptcy. The list of big builders going bankrupt in Uttar Pradesh is also getting longer.
Over the years, the National Company Law Tribunal (NCLT) has issued orders to declare bankruptcy to over a dozen big and small builders in Noida and Greater Noida.
It started with the bankruptcy of Amrapali Group. Subsequently Big builders like Unitech, Sahara, Jaypee were declared bankrupt. In this sequence, the NCLT has issued an order against Supertech Builder and Logix City Developers Pvt Ltd and directed to initiate the insolvency process.
The Chief Minister was worried why and how are big builders going bankrupt. When there is a system like Real Estate Regulation Act (RERA).
दिवालिया होती रियल एस्टेट कंपनियों से यूपी सरकार चिंतित
उत्तर प्रदेश में आवासीय व वाणिज्यिक परियोजनाओं के पूरा होने में देरी, रियल्टी कंपनियों के दिवालिया होने और भूखंडों की कीमत जमा न होने को प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लिया है।
हाल ही में यमुना प्राधिकरण ने ग्रेटर नोएडा के 8 बिल्डरों के 9 भूखंड निरस्त किए हैं और उनका 28 करोड़ रुपये की जमाराशि भी जब्त की है। प्राधिकरण ने 2.5 लाख वर्गमीटर का आंवटन रद्द किया है जिसके एवज में प्राधिकरण का करीब 7500 करोड़ रुपये बकाया था।
आवास विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में रियल एस्टेट सेक्टर के कई बड़े बिल्डरों के दिवालिया होने को प्रदेश सरकार ने संज्ञान में लिया है। बिल्डरों के दिवालिया होने से फ्लैट खरीदारों के समक्ष उत्पन्न हुई दिक्कतों के आकलन के लिए सरकार ने तय किया है कि एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाए, ताकि खरीदारों के हितों की रक्षा की जा सके।
गौरतलब है कि देश में रियल एस्टेट सेक्टर के कई प्रमुख बिल्डर दिवालिया होने की कगार पर खड़े हुए हैं। उत्तर प्रदेश में भी दिवालिया हो रहे बड़े बिल्डरों की सूची लंबी होती जा रही है
कुछ वर्षों के दौरान नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने नोएडा और ग्रेटर नोएड़ के एक दर्जन से अधिक बड़े-छोटे बिल्डरों को दिवालिया घोषित करने का आदेश जारी किया है।
इसकी शुरुआत आम्रपाली समूह के दिवालिया होने से हुई थी। यूनिटेक, सहारा, जेपी जैसे बड़े बिल्डर देखते ही देखते दिवालिया घोषित हो गए। इसी क्रम में एनसीएलटी ने सुपरटेक बिल्डर और लॉजिक्स सिटी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आदेश जारी करते हुए दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री ने चिंता जताई कि रियल एस्टेट रेग्युलेशंस ऐक्ट (रेरा) जैसी व्यवस्था है तो फिर बड़े बिल्डर क्यों और कैसे दिवालिया हो रहे हैं।