The government should provide technical urea to the industrialists.
- May 24, 2022
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The action of the Central Government’s fertilizer teams, to stop the use of subsidized urea for the agriculture sector, in plywood factories is proving to be a big setback for the plywood industry, already facing crisis due to Kovid. The teams raided plywood factories across the country to stop the use of agri urea. This simultaneous action caused a stir among plywood manufacturers.
When the team reached a plywood factory of Jodiyan in Yamunanagar, Haryana, the workers came on the streets to protest against them. Here the workers blocked the road. The entire road was closed by putting wood on the road. Other plywood manufacturers also closed their units in protest.
Traders say that already the business is going through a recession. In such a situation, the work may stop, affecting the business. They will not be able to do business in this way. Factory manager Anil Thakur said that the owners have closed the factories. Their employment is in jeopardy.
Information of raid on the plywood factories, by the teams of the Ministry of Fertilizers was received on Thursday itself, because the police protection was demanded from the administration for security. This protection was also sought because the GST team has been attacked during a raid in Karehda Khurd Godown in April. It is being told that in the morning six teams raided at different place viz Jodia, Industry Area and Pansara.
Protest against the proceedings in Yamunanagar is because
The record of urea for three years is being sought in Yamunanagar. Although the teams conducted raids across the country, but the action which took place in Yamunanagar, it seems that industrialists are being harassed. Samples were taken from the stock of technical urea found in the factory premises. Whereas technical grade has been purchased from genuine firms by paying GST. Because of this the industrialists are very upset. They say that this is being done deliberately to harass them.
Urea prices increased due to Russia-Ukraine war
India imports 30 per cent of its urea requirement from Russia and Ukraine. Due to the ongoing war with Russia, there has been a decrease in the manufacture of urea. Due to this, the price of urea has increased internationally. The concern of the government is the agriculture sector. Therefore, the government increased the subsidy ,already being given, on urea used in the agriculture sector. But the technical urea used in the plywood industry was not given due attention. Now the situation is that subsidized urea comes for around Rs 500. Whereas technical urea costs Rs 4500 per bag. However, till a few months back, this urea used to cost Rs 2,000 per bag.
Supply of technical urea is negligible
Industrialists told PlyInsight that, the supply of technical urea is negligible. The government is not paying attention in the direction of providing technical urea. This is the genuine problem before them. To solve this, the government should put the subsidy of the urea being given to the farmers directly in their account. As it had done in domestic gas. It will be beneficial as industries can consume this urea in the industry. This will benefit all three farmers, government and industry.
If govt cannot do this, then the government should take appropriate steps in the direction of making urea available to the industry as well. If it is not done ,then the industry will be ruined. If the units are closed, then obviously it will also affect the farmers. Because wood is coming to the plywood unit from agroforestry itself.
Industrialists of Yamunanagar appealed to the minister
Industrialists met Forest Minister Kanwarpal Gurjar on Sunday ,to protest against raids in plywood factories. Here the merchants put their problems in front of him. The traders said, that they are being asked for account of three to four years. It has no logic. All the entrepreneurs were working according to whatever system was going on for so many years. Now if the government wants to change the working method, then make a new system for it. All entrepreneurs want to cooperate with the government for the development of business. Forest Minister Kanwarpal Gurjar, MLA Ghanshyam Das Arora, Vyaparikalyan Board Chairman Ram Niwas Garg assured the traders. “Whatever the problems, a meeting of the delegation of manufacturers will be arranged with the CM soon’. The traders were satisfied on this assurance.
During the meeting, the traders said that the manufacturing cost is increasing continuously. Due to which factories are already on the verge of closure. Around 100 factories are closed in the district. If the situation continues like this, then the situation will get worse in future. Therefore, the government should remove the problems of the trader. Traders want to do business in a legitimate way. Just as the entrepreneurs supported the government by welcoming the provisions of GST, in the same way, make policies in this regard carefully so that the entrepreneurs can also do their work smoothly and focus only on the development of the business. For this, industrialist are ready to meet with the central level as well.
During this meeting, JK Biyani, Satish Chaupal, Devendra Chawla, Ajay Maniktala, Vimal Malik, Satish Saini, Shiv Kumar Kamboj, Bimal Chopra, Ashwani Kaushik, Anil Garg, Sanjeev Garg, Anil Kamboj, Kamal Gupta etc. were also present.
सरकार उद्योगपतियों को टेक्निकल यूरिया उपलब्ध करवाए
पहले ही कोविड की वजह से संकट से जूझ रहे प्लाईवुड उद्योग के लिए कृषि क्षेत्र के लिए सब्सिडी वाले यूरिया का प्लाईवुड फैक्ट्रियों में इस्तेमाल को रोकने के लिए केंद्र सरकार की फर्टिलाइजर की टीमों की कार्यवाही बड़ा झटका साबित हो रही है। टीमों ने कृषि योग्य यूरिया के इस्तेमाल को रोकने के लिए देश भर की प्लाईवुड फैक्ट्रियों में छापामारी की। एक साथ की गई इस कार्यवाही से प्लाईवुड व्यापारियों में हड़कंप मच गया।
हरियाणा के यमुनानगर में जोडीयां की एक प्लाइवुड फैक्टरी पर जब टीम पहुंची। तो उनके विरोध में श्रमिक सड़कों पर आ गए। यहां पर श्रमिकों ने जाम लगा दिया। सड़क पर लकड़ी डालकर पूरा रोड बंद कर दिया गया। अन्य प्लाईवुड व्यापारियों ने विरोध जताते हुए अपनी इकाईयां बंद कर दी।
व्यापारियों का कहना है कि पहले ही व्यापार मंदी के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में यूरिया की रेड से कारोबार पर असर पड़ते हुए काम बंद हो सकता है। इस तरह से वह व्यापार ही नहीं कर सकेंगे। वहीं फैक्ट्री मैनेजर अनिल ठाकुर ने कहा कि मालिकों ने फैक्ट्रियां बंद कर दी है। उनके रोजगार पर संकट आ गया है।
वीरवार से ही मिनिस्ट्री ऑफ फर्टिलाइजर की टीमों के प्लाईवुड फैक्ट्रियों पर रेड की सूचना मिल गई थी, क्योंकि पुलिस सुरक्षा के लिए पहले ही प्रशासन को पत्र भेजा जा चुका था। यह सुरक्षा इसलिए भी मांगी गई थी, क्योंकि अप्रैल में करेहडा खुर्द के एक गोदाम में रेड के दौरान जीएसटी की टीम पर हमला हो चुका है। बताया जा रहा है कि सुबह छह टीमों ने अलग-अलग जगह पर रेड की। इसमें जोडियां, इंडस्ट्री एरिया और पांसरा में रेड की।
यमुनानगर में इसलिए हो रहा कार्यवाही का विरोध
यमुनानगर में तीन साल का यूरिया का रिकॉर्ड मांगा जा रहा है। हालांकि टीमों ने देश भर में छापामारी की, लेकिन यमुनानगर में जो कार्यवाही हुई, इससे ऐसा लग रहा है कि उद्योगपतियों को तंग किया जा रहा है। उनके पास जो टेक्निकल यूरिया का स्टॉक है, उसके सैंपल लिए जा रहे हैं। जबकि टेक्नीकल ग्रेड बाकायदा जीएसटी देकर वास्तविक फर्मों से मंगवाया गया है। इस वजह से उद्योगपति खासे नाराज है। उनका कहना है कि यह तो उन्हें जानबूझ कर तंग करने की कार्यवाही हो रही है।
रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से बढ़े यूरिया के दाम
भारत अपनी जरूरत का 30 प्रतिशत यूरिया रूस और युक्रेन से आयात करता है। रूस के साथ चल रहे युद्ध की वजह से यूरिया के निर्माण में कमी आ गई है। इस वजह से यूरिया के दाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ गए है। सरकार की चिंता कृषि क्षेत्र है। इसलिए कृषि क्षेत्र में प्रयोग होने वाले यूरिया पर सरकार ने पहले से दी जा रही सब्सिडी को और बढ़ा दिया। इधर प्लाईवुड उद्योग में प्रयोग होने वाले टेक्निकल यूरिया की ओर ध्यान नहीं दिया गया। अब स्थिति यह है कि सब्सिडी वाला यूरिया करीब 500 रुपये में पड़ता है। जबकि टेक्निकल यूरिया 4500 रुपये प्रति बैग पड़ता है। हालांकि कुछ माह पहले तक यह यूरिया दो हजार रुपए प्रति बैग पड़ता था।
टेक्निकल यूरिया की सप्लाई न के बराबर
उद्योगपतियों ने प्लाईइनासाइट को बताया कि टेक्निकल यूरिया की आपूर्ति न के बराबर है। सरकार टेक्निकल यूरिया उपलब्ध कराने की दिशा में ध्यान नहीं दे रही है। यह उनके सामने वास्तविक समस्या है। इसके समाधान के लिए सरकार को चाहिए कि किसानों को जो यूरिया दिया जा रहा है, उसकी सब्सिडी सीधे उनके खाते में डाल दी जाए। जैसा घरेलु गैस में किया गया है। इससे फायदा यह होगा कि उद्योग भी इस यूरिया का इंडस्ट्री में इस्तेमाल कर लेंगे। इससे किसान, सरकार व इंडस्ट्री तीनों का लाभ होगा।
यदि ऐसा नहीं कर सकती तो सरकार को चाहिए कि इंडस्ट्री को भी यूरिया उपलब्ध कराने की दिशा में उचित कदम उठाए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो इंडस्ट्री तो बर्बाद हो जाएगी। यदि यूनिटें बंद होती है तो जाहिर है कि इसका भी असर किसानों पर आएगा। क्योंकि एग्रोफोरेस्ट्री से ही प्लाईवुड यूनिट में लकड़ी आ रही है।
यमुनानगर के उद्योगपतियों ने मंत्री से की गुहार
प्लाईवुड फैक्ट्रियों में रेड होने के विरोध में व्यापारी रविवार को वन मंत्री कंवरपाल गुर्जर से मिले। यहां पर व्यापारियों ने उनके सामने अपनी दिक्कतें रखी। व्यापारियों ने कहा कि उनसे तीन चार साल का रिकॉर्ड मांगा जा रहा है। इसका कोई लॉजिक नहीं है। इतने वर्षों से जो भी व्यवस्था चल रही थी, उसके हिसाब से सारे उद्यमी काम कर रहे थे। अब सरकार अगर नये तरीके से काम करना चाह रही है तो उसके लिए नई व्यवस्था बनाए। सभी उद्यमी व्यापार के विकास के लिए सरकार का सहयोग करना चाहती है। वन मंत्री कंवरपाल गुर्जर, विधायक घनश्याम दास अरोड़ा, व्यापारी कल्याण बोर्ड के चेयरमैन रामनिवास गर्ग ने व्यापारियों को आश्वस्त किया। जो भी दिक्कतें हैं, उस संबंध में जल्द ही व्यापारियों के प्रतिनिधिमंडल की बैठक सीएम से कराई जाएगी। इस आश्वासन पर व्यापारी संतुष्ट हुए।
बैठक के दौरान व्यापारियों ने कहा कि लागत लगातार बढ़ रही है। जिस वजह से पहले ही फैक्ट्रियां बंद होने की कगार पर है। जिले में करीब 100 फैक्ट्रियां बंद हैं। यदि इसी तरह के हालात रहे, तो आगे स्थिति और भी बिगड़ेगी। इसलिए सरकार को व्यापार की दिक्कतों को दूर करना चाहिए। व्यापारी वैध तरीके से व्यापार करना चाहते हैं। जैसे उद्यमियों ने जीएसटी के प्रावधानों का स्वागत करते हुए सरकार का साथ दिया, वैसे ही इस संबंध में सोच-समझ कर नितियां बनाएं जिससे उद्यमी भी निर्विघ्न अपना काम कर सकें। और अपना ध्यान सिर्फ व्यापार के विकास में लगा सकें। इसके लिए उद्यमी केंद्रीय स्तर पर भी मिलने के लिए तैयार हैं।
इस दौरान जेके बियानी, सतीश चौपाल, देवेंद्र चावला, अजय मानिकतला, विमल मलिक, सतीश सैनी, शिव कुमार कंबोज, विमल चोपड़ा, अश्वनी कौशिक, अनिल गर्ग, संजीव गर्ग, अनिल कंबोज, कमल गुप्ता आदि भी मौजूद रहे।