First step towards Recognition of the rupee as an international Currency
- July 12, 2022
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The Reserve Bank of India (RBI) has allowed trade settlements between India and other countries, including Sri Lanka and Russia, in rupees.
With western nations imposing sanctions on Russia after its invasion of Ukraine, exporters were staring at payments related challenges.
For settling trade transactions with any country, banks in India might open special rupee Vostro accounts of correspondent bank/s of the partner-country in trading. Indian importers undertaking imports through this mechanism shall make payment in INR which shall be credited into the Special Vostro account of the correspondent bank of the partner country.
The step to bring about denomination in rupees (for invoicing of exports and imports) definitely suggests that it is aimed at other countries in our neighbour hood so as to remove the dollar exchange rate risk.
An economist from India said that the rupee has not fallen against every currency. It has strengthened against many currencies.
Allowing only EXIM transactions through a letter of credit will help our exporters and importers.
This move is a recognition of the rupee as an international currency.
This move is seen as the first step towards 100 per cent convertibility of the Indian currency. Besides, it would reduce the risk of forex fluctuation.
Rupee is currently partially convertible. Making the domestic currency fully convertible will enable easier conversion into another currency, apart from increasing liquidity in financial markets.
रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में मान्यता देने की दिशा में पहला कदम
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भारत तथा अन्य देशों के बीच व्यापारिक सौदों का निपटान रूपये में करने की इजाजत दे दी है. इस कदम का मकसद रूस तथा श्रीलंका जैसे देशों के साथ निर्यात एवं आयात के सौदे स्थानीय मुद्रा में करने की सहूलियत देना है.
इस तरह के उपाय से उन देशों के साथ व्यापारिक सौदों का निपटान किया जा सकता है, जिन पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा रखे हैं.
इस व्यवस्था के तहत वस्तुओं या सेवाओं का आयात करने वाले भारतीय आयातक विदेशी विक्रेता/आपूर्तिकर्ता के बिल रूपये में भरेंगे, जो भागीदार देश के संबंधित बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा हो जाएंगे। इसी तरह भारतीय निर्यातक वस्तु एवं सेवा निर्यात के लिए भुगतान इस व्यवस्था के तहत रूपये में प्राप्त कर सकेंगे. मगर यह भुगतान भागीदार देश के संबंधित बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में मौजूद रकम से किया जाएगा।
इसका मकसद श्रीलंका के साथ व्यापार आसान बनाना है. आयात निर्यात बिल के लिए रूपये में भुगतान की अनुमति से अन्य पड़ोसी देशो के साथ भी इसी तरह से कारोबार किया जा सकता है और डॉलर की विनिमय दर का जोखिम कम किया जा सकता है. रूस के साथ भी इससे व्यापार में सुविधा होगी।
भारत के एक अर्थशास्त्री ने कहा कि रुपया हरेक मुद्रा के मुकाबले नहीं गिरा है. कई मुद्राओ के मुकाबले तो यह मजबूत हुआ है. इस व्यवस्था के जरिये मुद्रा में उतार-चढ़ाव पर लगाम का भी प्रयास हो सकता है. सैद्धांतिक तौर पर यह अच्छा कदम है और इससे आयातक तथा निर्यातक दोनों को लाभ होगा.
साख पत्र के माध्यम से केवल एक्जिम लेनदेन की अनुमति देने से हमारे निर्यातकों और आयातकों को मदद मिलेगी।
यह कदम रुपये की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में मान्यता है।
इस कदम को भारतीय मुद्रा की 100 प्रतिशत परिवर्तनीयता की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है। इसके अलावा, यह विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करेगा।
रुपया वर्तमान में आंशिक रूप से परिवर्तनीय है। घरेलू मुद्रा को पूरी तरह से परिवर्तनीय बनाने से वित्तीय बाजारों में तरलता बढ़ाने के अलावा दूसरी मुद्रा में आसानी से रूपांतरण संभव होगा।