The DNPMA was constantly persuading to get it included in the list of biomass fuels.

DNPMA President Vikas Khanna along with his team continuously worked in this direction. Ultimately his efforts paid off. Now industrial units operating in NCR will be able to use wooden chips & process waste in the boiler as fuel.

It should be noted that under the pollution control provisions in NCR, industrial unit operators were instructed to use clean fuel from October 1, 2022. Assuming that the use of this fuel would reduce the level of pollution.

The use of biomass fuels was allowed in the list of clean fuels, but wood was not included in this list. Because of this a confusion had arisen, as only those fuels which were included in the list were allowed to be used. This would have caused problems to the unit operators.

First, in the production process, about thirty percent of the purchased wood becomes waste wood. It is consumed as fuel in the industry. It has an important role and a major part in the cost of production. Which could not be ignored.

Secondly, if this waste was not consumed within the industry itself, then its disposal would have become another big havoc. Like coal ash in power generation, whose best solution is still a far cry.

For a long time this problem was being discussed with the officials, in which no one was taking responsibility. Vikas Khanna, President of DNPMA took the initiative to persuade it.

As a result of this initiative, new orders were issued on 03 August, in which CAQM finally allowed the use of wooden chips and factory waste such as saw dust in the biomass fuel category.

The entire industry breathed a sigh of relief and appreciated the efforts of DNPMA.


अब लकड़ी के टुकड़ों को भी औद्योगिक ईंधन में इस्तेमाल किया जा सकेगा।



डीएनपीएमए बायोमास फ्यूल की सूची में इसे संलग्न कराने की लगातार कोशिश कर रहा था।

डीएनपीएमए के अध्यक्ष विकास खन्ना ने अपनी टीम के साथ इसके लिए लगातार इस दिशा में काम किया। अंततः उनकी कोशिश रंग लायी। अब एनसीआर में चलने वाली औद्योगिक इकाई, ईंधन के तौर पर बायलर में लकड़ी के टुकड़ों अैर प्रक्रियागत अपशिश्ट का इस्तेमाल कर सकेंगे।

ध्यान रहे एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण प्रावधानों के तहत औद्योगिक इकाइ संचालकों को निर्देश दिए गए थे कि वह 1 अक्टूबर 2022 से स्वच्छ ईंधन ही प्रयोग करेंगे। इसके पीछे सोच यह थी कि इस ईंधन के इस्तेमाल से प्रदूषण का स्तर कम होगा।

स्वच्छ ईंधन की सूची में बायोमास ईंधन के उपयोग की तो इजाजत दी, लेकिन बायोमास ईंधन की इस सूची में लकड़ी को शामिल ही नहीं किया गया था। इस वजह से एक भ्रम की स्थिति बन गई थी। क्योंकि सूची में जो इंधन शामिल थे, उन्हें ही प्रयोग किया जा सकता था। इससे यूनिट संचालकों के सामने एक बड़ी समस्या आ सकती थी ।

पहली, उत्पादन प्रक्रिया में, खरीदी गई लकड़ी का लगभग तीस प्रतिशत अपशिष्ट लकड़ी (Wastage) बनती है। इसे बालन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। उत्पादन प्रक्रिया की लागत में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।जिसे कोई भी अनदेखा नहीं कर सकता है।

दुसरा, अगर इस वेस्टेज को उद्योग में ही इस्तेमाल ना करें, तो इसका निस्तारण एक और बड़ी समस्या बन जाती। जैसे विद्युत उत्पादन में कोयला की राख, जिसका उम्दा हल अभी तक दुर की कौड़ी है।

काफी समय से इस समस्या पर अधिकारियों से चर्चा चल रही थी, जिसमें कोई भी जिम्मेदारी नहीं ले रहे थे। इस समस्या को दूर करने के लिए डीएनपीएमए के अध्यक्ष विकास खन्ना ने पहल की।

उनकी इस पहल का परिणाम है कि 03 अगस्त को नए आदेश जारी हुए, इसमें सी ए क्यू एम द्वारा अंततः बायोमास ईंधन की श्रेणी में लकड़ी के टूकडों/बेकार लकड़ी के प्रयोग की भी इजाजत मिल गई।

समस्त उद्योग ने राहत की सांस लेते हुए डीएनपीएमए के प्रयासों की सराहना की।