Rajender Goyal – Goyal Timber Traders
- January 11, 2023
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Present time is definitely a bit difficult. Prosperity through hard work only.
How is the demand in the market?
Lack of demand is creating the problem. Sluggish payment schedule has enhanced the strain. When the payment for the goods does not come on time, then obviously there will be cash crunch in the market. That’s why there is no situation to increase more funding to our dealers. Because we are bound to pay manufacturer for his supplies. Due to this the production of plywood is also decreasing. Now we have to work harder to stay in the market.
Where is the problem?
Now low price but low quality goods are available in the market abundantly. Because of this the customer gets confused. He prefers for low quality cheaper products. Although the quality of cheaper goods is very low, but they are being forced to do it to survive in the market. Consequently the whole market is getting disturbed.
Possibility of improvement in the market?
As we were expecting that after Diwali the face market would improve, but it did not happen. One of the reason for this is that the market in Europe is going down. That’s why all the goods which were earlier exported to Europe are now being consumed in India. But there is already an excess of goods here in the Indian Market. It extended the problem.
The units which were set up by the people of India in Gabon are engaged in trading more than manufacturing. They are operating in low volume. They are selling goods more through outsourcing among themselves. Similarly, the ply panel market is also sluggish due to the global environment. As long as the inflation does not come down, the income of the public does not increase and money does not notate freely in the market, there is little hope of any significant improvement in the situation.
You still trade high end products
Now we have to keep goods of medium quality as well. Market behavior is changing. Because of this, we have to compromise also. Market is down in North India. Goods from Bihar, Nepal and Kerala have also changed the behavior of the market. Their goods are cheaper.
This has created a feeling of fear. It may be that very small quantity is in the market, but its publicity in the market is so much that an atmosphere of fear has been created. The quality of these materials is comparatively poor. But the price is low. In such a situation, how long can one sustain in the market only on the basis of quality products.
Do MDF is a challenge for plywood?
It has also captured the plywood market. Till today margin is less in MDF. Whenever there is a need or demand, we get it instantly. No stock keeping position. Because plywood is experienced and item for us. In MDF, the dealer does not see much hope regarding the margin. That’s why we are in waiting mode now. Let’s see, what will be the mood of the market in the future, we will prefer to decide things according to market behaviour.
निश्चित ही यह वक्त थोड़ा मुश्किल है। कड़ी मेहनत से बेहतरी की उम्मीद
बाजार में मांग कैसी है?
मांग न होने की वजह से समस्या आ रही है। रही-सही कसर समय पर भुगतान नहीं होने से पूरी हो गई। समय पर जब माल का भुगतान नहीं आएगा तो जाहिर है, नकदी की दिक्कंत आएगी। इसलिए ज्यादा उधारी बढ़ाने की स्थिति नहीं बनती है। क्योंकि प्लाईवुड निर्माता को भी तो उसके माल का पैसा हमें देना ही है। इस वजह से प्लाईवुड का उत्पादन भी कम हो रहा है। बाजार में बने रहने के लिए अब ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है।
आखिर समस्या है कहां ?
अब बाजार में कम दाम पर लेकिन कम गुणवत्ता का माल उपलब्ध हैं। इस वजह से ग्राहक भ्रम में पड़ जाता है। वह समझता है कि उसे जब सस्ता माल मिल रहा है तो फिर वह महंगा क्यों लें। जबकि सस्ते माल की क्वालिटी काफी नीचे है, लेकिन बाजार में टिके रहने के लिए उनकी मजबुरी हो रही है। इस वजह से पूरा बाजार ही डिस्टर्ब हो रहा है।
मार्केट में सुधार की संभावना
जैसे हम आशा कर रहे थे कि दीवाली के बाद फेस के मार्केट में सुधार आएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसकी वजह यह भी है कि यूरोप की मार्केट डाउन चल रही है। इसलिए जो माल पहले यूरोप में जा रहा था, अब वह सारा माल भारत में खपाया जा रहा है। लेकिन यहां पहले ही माल की अधिकता है। इस वजह से यहां दिक्कत आ रही है। भारत के लोगों ने गेबान में जो यूनिट लगाए थे, वें अब ट्रेडिंग में लग गए हैं। अपनी फैक्टरी कम चला रहे हैं। थोड़ा बहुत माल ही वह तैयार कर रहे हैं। ज्यादा माल तो वह वहां आपस में आउटसोर्सिग से बेच रहे हैं। इसी तरह से प्लाई पेनल का बाजार भी, वैश्विक माहौल के मद्देनजर, ढ़ीला ढ़ाला चल रहा है। जब तक महंगाई कम नहीं होगी, जनता की आमदनी नहीं बढ़ेगी और बाजार में पैसा खुलकर नहीं आएगा तब तक स्थिति में कोई विशेष सुधार होगा, इसकी आशा कम है।
आप तो अच्छी क्वालिटी का माल ही रखते है
अब मध्यम क्वालिटी का माल भी रखना पड़ा है। बाजार का व्यवहार बदल रहा है। इस वजह से अब समझौता करना पड़ा है। नॉर्थ इंडिया में डाउन चल रहा है। बिहार, नेपाल और केरल के माल ने भी बाजार के व्यवहार को बदला है। वहां का माल सस्ता है। इससे भी डर की भावना बनी हुई है। ऐसा हो सकता है कि वहां से माल कम आया हो, लेकिन उसका बाजार में प्रचार इतना है कि डर का माहौल बन गया है। वहां के माल की क्वालिटी काफी कमजोर है। लेकिन कीमत कम है। ऐसे में कोई कब तक गुणवत्ता के दम पर बाजार में टिक सकता है।
एमडीएफ से भी क्या प्लाईवुड को चुनौती मिली है?
इसने भी प्लाईवुड के बाजार को कब्जाया है। फिलहाल एमडीएफ में मार्जिन कम है। कभी जरूरत आई, या डिमांड आयी तो मंगवा देते हैं। स्टॉक रखने की स्थिति नहीं है। क्योंकि प्लाईवुड का काम पुराना समझा हुआ और ज्यादा पसंद है। एमडीएफ में डीलर को मार्जिन लेकर ज्यादा उम्मीद नजर नहीं आ रही है। इसलिए अभी दूरी बनाए हुए हैं। देखते हैं, आने वाले वक्त में बाजार का मिजाज क्या रहता है, उसके हिसाब से ही चीजें तय करते चलेंगे।