Anil Kumar Bihani - Ply King

Demand is not Increasing Even After the Rate of Ply is Reduced by 15 Percent



How is the demand among dealers

Construction cost of houses have become expensive. There is no money in the market. Till the Construction of small houses are not increased, the demand for plywood is not supposed to increase. Similarly, the cost of land should also be reduced affordably. Only then the construction sector will get a boost. The problem for the dealer is that unless there is demand, he too cannot be prosper. Till the house construction does not increase, there is little possibility of upliftment in the plywood market.


What reasons you think for fall in demand

Till the construction activities are not rejuvenated, the demand for plywood will not increase. It seems that the upliftment of plywood factory at the local level is also a reason for this problem. Because licenses have cleared in UP. Similarly, the number of units is also increasing in south. On the other hand, due to increase in the price of timber, the cost of plywood has increased, but the rates of finished goods are stagnant. Due to this plywood manufacturers are in financial crisis. Moreover, after the licenses are opened in UP, its effect is that the wood of UP is consumed only in the state. This has affected the industry of Yamunanagar.


Is there any effect of costlier Interest rates

Banks have increased the interest rate on home loans. Its effect is also seen on plywood market. On the other hand, the registration system enacted in the cooperative sector in Haryana is also creating problems for the people. Selling the house to a third party costs six to seven lakh rupees. The interest of the bank has increased, which has reached eight percent. Its effect is seen directly on the plywood market.


Do the manufacturers have to compromise on quality?

Its effect is visible on the small manufacturers instantly. The market is also shrinking. Because the furniture work of houses is handed over to contractor. The contractor does not pay attention to the quality of raw material. He goes for his profit. Hence the demand for quality goods is shrinking. The demand for high quality goods is around 20 percent. That’s why there is a compulsion in front of the factory operators to make more goods of low quality. Goods of low quality are coming from other states also. This is in demand. People are getting attracted towards cheaper material.


What are the chances of recovery?

Hope is the keyword for business. We also hope that good times will come back. This is a difficult time which will pass over. However, it does not seem that the situation will be rectified at once.

The situation can improve rapidly if the tax slabs are reduced. Now every businessman wants to work in full billing. Because everyone has tasted the easyness of working. The demand for plywood is not going to increase much in Punjab and Haryana. Now the market for plywood may be limited to a particular area.




प्लाई के रेट 15 प्रतिशत तक कम होने के बाद भी डिमांड नहीं बढ़ रही है


डीलर के पास तो डिमांड है ही

मकान बनाना महंगा हो गया हैं। मार्केट में पैसा नहीं है। जब तक छोटे मकानों का निर्माण नहीं होगा, तब तक प्लाईवुड में मांग बढ़ने की संभावना कम है। इसी तरह से जमीन के दाम भी कम होने चाहिए। जिससे निर्माण के सेक्टर को बढ़ावा मिले। डीलर के लिए दिक्कत यह है कि जब तक डिमांड नहीं होगी, तब तक वह भी अच्छी स्थिति में नहीं आ सकता। जब तक मकान निर्माण नहीं बढ़ेगा, तब तक प्लाईवुड के बाजार में उठान की संभावना कम ही नजर आ रही है।


मांग कम होने के क्या कारण हो सकते है

निर्माण जब तक तेज नहीं होगा, तब तक प्लाईवुड की डिमांड नहीं बढ़ेगी। ऐसा लग रहा है कि स्थानीय स्तर पर प्लाईवुड फैक्ट्री खुलना भी इस समस्या की एक वजह है। क्योंकि यूपी में लाइसेंस खुल गए हैं। इसी तरह से दक्षिण में भी यूनिटों की संख्या बढ़ रही है। इधर रही-सही कसर लकड़ी के दाम बढ़ने से प्लाईवुड की लागत तो बढ़ गई, लेकिन तैयार माल के रेट नहीं बढ़ा पा रहे हैं। इस वजह से प्लाईवुड संचालक आर्थिक परेशानी में हैं। इधर यूपी में जिस तरह से लाइसेंस खुल गए, अब इसका असर यह हुआ कि यूपी की लकड़ी वहीं प्रयोग हो जाती है। इसका असर यमुनानगर की इंडस्ट्री पर पड़ा है।


क्या ब्याज दरें बढ़ने का असर भी नजर आ रहा है?

जिस तरह से बैंकों ने होम लोन पर ब्याज दर बढ़ा दी। इसका असर भी प्लाईवुड पर आ रहा है। इधर हरियाणा में कोऑपरेटिव सेक्टर में जो रजिस्ट्रेशन सिस्टम किया, इससे भी लोगों के सामने परेशानी आ रही है। इधर मकान को तीसरे पक्ष को बेचने पर छह से सात लाख रुपए खर्च आता है। इधर बैंक का ब्याज बढ़ गया है, जो कि आठ प्रतिशत तक पहुंच गया है। इसका असर प्लाईवुड बाजार पर सीधा पड़ रहा है।


तो क्या अब फैक्टरी संचालक को भी गुणवत्ता से समझौता करना होगा

छोटी इंडस्ट्री पर इसका असर सबसे पहले नजर आ रहा है। बाजार भी सिमट रहा है। क्योंकि फर्नीचर बनाने का काम ठेके पर दिया जा रहा है। ठेकेदार क्वालिटी की ओर ध्यान नहीं देता। उसे तो अपना मुनाफा चाहिए। इसलिए गुणवत्ता के माल की डिमांड कम है। मौजूदा स्थिति में तो ऐसा ही होता नजर आ रहा है। क्योंकि उच्च गुणवत्ता के माल की डिमांड 20 प्रतिशत के आस-पास है। इसलिए फैक्ट्री संचालकों के सामने मजबूरी है कि वह कम गुणवत्ता का माल अधिक बनाए। इधर दूसरे राज्यों से कम गुणवत्ता का माल आ रहा है। जिसकी डिमांड है। लोग सस्ते की ओर आकर्षित हो रहे हैं।


बेहतरी की संभावना क्या है?

व्यापार उम्मीद पर ही टिका हुआ है। हमें भी उम्मीद है कि अच्छा वक्त आएगा। यह थोड़ा मुश्किल वक्त है, निकल जाएगा। हालांकि ऐसा नहीं लगता कि एक दम से स्थिति ठीक हो जाएगी। यदि टैक्स स्लैब कम हो जाए तो स्थिति में तेजी से सुधार हो सकता है। अब हर व्यापारी पूरे बिल में काम करना चाहता है। क्योंकि सब ने इसमें काम करने की सहजता का स्वाद चख लिया है। पंजाब व हरियाणा में अब प्लाईवुड की डिमांड ज्यादा नहीं बढ़ने वाली। अब प्लाईवुड का बाजार क्षेत्र विशेष तक सीमित हो सकता है।

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