Cyber security is becoming a big concern
- March 15, 2023
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Cyberthreats, especially ransomware have gone up significantly in the past several months, primarily due to a digitized post-pandemic economy. Some industry experts have chronicled the rise at 38 per cent, compared with pre-pandemic levels.
Cyberattacks have increased consistently in line with growth of Digital India. Hackers are becoming more sophisticated in identifying chinks in a company’s cyber armour.
From deep fakes and application program interface-related attacks to supply-chain ambushes, cybercrimes are more targeted today. Hackers find lacunae in a company’s process to not just attack, but also time it for maximum returns.
Industry experts also say that ‘supply-chain attacks’ have become a nightmare for companies, where a second-of third-party’s system is hacked to target another company or end-user. The internal threat has also emerged as a big challenge for companies-from employees who may be moonlighting to compromise sensitive information to a disgruntled employee or a mole in an organization. Global cyberattacke losses at around $945 billion, according to a study.
There is no silver bullet. Cyber security companies has advised its clients to adopt a ‘zero or lean trust policy’ for a better ‘cyber hygiene.
साइबर सुरक्षा बन रही बड़ी चिंता
पिछले कुछ महीनों के दौरान साइबर खतरे, विशेष तौर पर रैंसमवेयर के मामलों में भारी बढ़ोतरी हुई है। वैश्विक महामारी के बाद अर्थव्यवस्था कहीं अधिक डिजिटल हो गई है और ऐसे में साइबर अपराध के मामले भी बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है, कि वैश्विक महामारी से पहले के मुकाबले साइबर खतरे 38 फीसदी तक बढ़ गए हैं।
डिजिटल इंडिया के विकास के साथ-साथ साइबर हमलों में भी लगातार वृद्धि हुई है। कंपनी की साइबर सुरक्षा में खामियों की पहचान करने में हैकर अब कहीं अधिक कुुशल होते जा रहे हैं।
जालसाजी और एपीआई से संबंधित हमलों से लेकर ‘आपूर्ति श्रृंखला हमले‘ तक साइबर अपराध आज कहीं अधिक लक्षित और परिष्कृत हैं। हैकर अब न केवल हमला करने के लिए बल्कि अधिकतम रिटर्न हासिल करने के लिए उपयुक्त समय की भी तलाश करते हैं।
उद्योग के विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि ‘आपूर्ति श्रृंखला हमले‘ कंपनियों के लिए एक दुःस्वप्न बन गए हैं। इसके तहत किसी दूसरी कंपनी या अंतिम उपयोगकर्ता को लक्षित करने के लिए दूसरे या तीसरे पक्ष के सिस्टम को हैक किया जाता है। आंतरिक खतरा भी कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। इसमें मूनलाइटिंग वाले कर्मचारी से लेकर असंतुष्ट कर्मचारी या किसी संगठन द्वारा संवेदनशील सूचनाओं में सेंधमारी की कोशिश की जा सकती है। वैश्विक साइबर हमलों के कारण करीब 945 अरब डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है।
हैकरों से पूरी तरह सुरक्षित होने का कोई रास्ता नहीं हैं। साईबर सिक्योरिटी कंपनियों ने अपने ग्राहकों को साइबर सुरक्षा के लिए ‘शून्य अथवा मामूली भरोसा नीति‘ अपनाने की सलाह दी है।