Credit growth, NPA reduction
- January 16, 2020
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Credit growth, NPA reduction to depend on pace of economic revival: RBI
In 2018-19, 1,135 cases, involving Rs.1.67 trillion, were admitted by various Benches of the National Company Law Tribunal (NCLT). But the amount recovered was Rs. 70,819 crore, or only 42.5 per cent of the amount admitted.
The RBI welcomed the decision of merging public-sector banks, stating that the exercise would likely “transform the face of the banking sector.”
“With the emergence of stronger, well-capitalised banks aided by cutting-edge technology and state-of-the-art payment systems, Indian banks have the potential to become global banking leaders,” the RBI said.
While the government and the RBI have played an active role in the revival of both banks and non-banks, “the need of the hour is to continue the policy co-ordination with a view to developing a vibrant and secure banking system and a competitive and resilient NBFC sector”.
However, the recapitalisation of public-sector banks remains an unfinished agenda. Banks need capital not only to meet the regulatory minimum but to guard against balance sheet stress, as well as to improve their valuation methodologies, credit monitoring, and risk management strategies to build resilience.
सुधरेगी एनपीए की स्थिति
आरबीआई ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के फैसले की सराहना की और कहा कि इससे बैंकिंग क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी। आरबीआई ने कहा, ‘अत्याधुनिक तकनीक और उन्नत भुगतान प्रणाली से लैस सुदृढ़ पूंजी वाले बैंकों के उभरने से भारतीय बैंकों में वैश्विक बैंकिंग क्षेत्र का अगुआ बनने की क्षमता है।’
सरकार और आरबीआई बैंकों और एनबीएफसी में सुधार लाने के लिए सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं, वहीं वाइब्रेंट और सुरक्षित बैंकिंग प्रणाली विकसित करने और प्रतिस्पद्र्धी और उन्नत एनबीएफसी क्षेत्र का विकास करना समय की जरूरत है। बैंकों को न केवल नियामकीय मानदंडों को पूरा करने के लिए, बल्कि बैलेंस शीट को दुरुस्त करने के लिए भी पूंजी की जरूरत है। जोखिम नहीं उठाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र को बैंकों से खाली हुई जगह को निजी क्षेत्र के बैंकों ने भरा है लेकिन निजी बैंकिंग उद्योग में कारोबारी संचालन को लेकर खामियां भी दिख रही हैं। यह ऐसे समय में हो रहा है जब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बैलेंस शीट अब तक दुरुस्त नहीं है। बैंको की ओर से एनबीएफसी क्षेत्र को दिया जाने वाला कर्ज मजबूत बना हुआ है लेकिन बैंकों को अत्यधिक जोखिम से बचने के लिए इस दिशा में ध्यान दिए जाने की जरूरत है।