Bank’s credit to industry tops in 8 years
- September 3, 2022
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Credit growth in the industries segment hit an eight-year high as Indian corporate houses looked to come out of their deleveraging phase and funding requirements, given bond yields have moved up sharply as compared to lending rates of banks.
Banks are well capitalized, many of the issues surrounding NPAs have been sorted out, and as the economy recovers, they are ready to expand activities in sectors where they are convinced of credibility.
According to the latest Reserve Bank of India (RBI) data, loans to micro, small, medium and largest industries rose to 31.82 trillion as of the July end, up 10.5 per cent year-on-year (YOY), the last time credit to the industries segment grew at a similar pace was in May 2014 when corporate credit grew over 11 per cent.
Loan to micro and small industries grew by 28.3 per cent YOY, medium industries by 36.8 per cent, while it was 5.2 per cent for large industries. Corporate credit growth is mirroring the overall credit data growth. The RBI’s latest data suggested that bank credit grew 15.3 per cent as of August 12, compared to 6.5 per cent in the year-ago period. And lending micro, small and medium industries is particularly healthy. Banks are well capitalized, many of the issues surrounding NPAs have been sorted out, and as the economy recovers, they are ready to expand activities in sectors where they are convinced of credibility.
‘’The industry segment has been weak for quite a few years now through the whole corporate asset quality cycle. In fact, for the last couple of the years there was deleveraging seen in this segment. Some Brownfield expansion, a higher working capital requirement and government driven focus on infra spending are leading to higher credit growth for the segment.’’
उद्योग को ऋण 8 साल के शीर्ष पर
उद्योगों के क्षेत्र में कर्ज में वृद्धि 8 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। भारत की कंपनियां संपत्ति बेचकर कर्ज निपटाने के चरण से बाहर निकलती नजर आ रही हैं। बैंको के ब्याज में बढ़ोतरी की तुलना में बॉन्ड प्रतिफल बहुत तेजी से बढ़ने के कारण कंपनियां धन की जरूरतों के लिए बैंकों का रूख कर रही है।
बैंको के पास प्रर्याप्त पूंजी है, एनपीए की समस्या का समाधान हो रहा है और जैसे जैसे अर्थव्यवस्था में रिकवरी हो रही है, उद्योग जगत अपने क्षेत्रों में गतिविधियां बढ़ाने को तैयार है।
भारतीय रिजर्व बैंक के हाल के आंकड़ों के मुताबिक सूक्ष्म, लघु और मझोले और बड़े उद्योगों को दिया जाने वाला ऋण बढ़ कर जुलाई के अंत तक 31.82 लाख करोड़ रूपये हो गया हैं, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 10.5 प्रतिशत ज्यादा है। इसके पहले उद्योगों को दिए जाने वाले कर्ज में इस तरह की बढ़ोतरी मई 2014 में हुई थी, जब कंपनियों को दिए जाने वाले कर्ज में 11 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई थी।
सूक्ष्म और छोटे उद्योगों को दिए जाने वाला कर्ज पिछले साल की तुलना में 28.3 प्रतिषत और मझोले उद्योगों का कर्ज 36.8 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं बड़े उद्योगों के कर्ज में 5.2 प्रतिशत वृद्धि हुई है। कंपनियों द्वारा लिए जाने वाले कर्ज में बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था में कुल कर्ज में बढ़ोतरी का प्रतिबंब होता है। रिजर्व बैंक के आंकड़ो से पता चलता है कि बैंक का कर्ज 13 अगस्त तक 15.3 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि एक साल पहले 6.5 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। और सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों की उधारी में ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। बैंको के पास प्रर्याप्त पूंजी है, एनपीए की समस्या का समाधान हो रहा है और जैसे जैसे अर्थव्यवस्था में रिकवरी हो रही है, उद्योग जगत अपने क्षेत्रों में गतिविधियां बढ़ाने को तैयार है।
“पूरे कॉर्पाेरेट परिसंपत्ति गुणवत्ता चक्र के माध्यम से उद्योग खंड अब कुछ वर्षों से कमजोर है। दरअसल, पिछले कुछ सालों से इस सेगमेंट में डिलीवरेजिंग (संपत्ति बेचकर ऋण चुकाना) देखने को मिली थी। कुछ ब्राउनफील्ड पुरानी औद्योगिक इकाई को विस्तरित कर उसे समुन्नत करना विस्तार, एक उच्च कार्यशील पूंजी की आवश्यकता और बुनियादी ढांचे पर सरकार द्वारा खर्च पर संचालित ध्यान इस खंड के लिए उच्च ऋण वृद्धि का कारण बन रहा है।”