China’s communist government has embarked on a path to isolate its technology companies from Western countries. The government has recently alerted investors around the world by taking strict action against taxi service company Didi Global. Didi is one of China’s superstar companies. The company raised money from global investors by listing on the New York Stock Exchange on June 30. It seems, Didi did the listing against the wishes of the Cyber ​​Space Administration of China. On July 4, the regulatory agency banned the company from the mobile app store in China. The agency says, Didi has broken the rules by collecting personal data.

China’s technology industry has made a special place in the global economy in the past ten years. In this case, Alibaba, Tencent and Didi have shown the way to hundreds of small companies. Didi’s overseas shareholders include SoftBank and Uber. All the big tech companies in China are listed on the US or Hong Kong stock exchange instead of China. The tough crackdown on tech companies began last year after Chinese regulators temporarily halted Ant Group’s IPO on the Hong Kong-Shanghai stock exchange. The government has also threatened other tech companies. On July 5, three other apps were banned from listing new users.

The government has indicated that powerful tech companies should follow the instructions of the ruling Communist Party. About 400 Chinese companies are associated with the US stock market. Their value is more than Rs 120 lakh crore. This investment is in jeopardy. On July 6, Chinese officials clarified that rules would be tightened with respect to companies linked to foreign stock exchanges. This could be an attempt to isolate Chinese companies from the US capital market.


चीन में टेक कंपनियों पर सरकार ने शिकंजा और अधिक कसा


चीन की कम्युनिस्ट सरकार अपनी टेक्नोलॉजी कंपनियों को पश्चिमी देशों से अलग करने के रास्ते पर चल पड़ी है। सरकार ने अभी हाल में टैक्सी सर्विस कंपनी दीदी ग्लोबल के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर दुनियाभर के निवेशकों को सचेत कर दिया है। दीदी चीन की सुपरस्टार कंपनियों में शामिल है। कंपनी ने 30 जून को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग कर ग्लोबल निवेशकों से पैसे जुटाए। ऐसा लगता है, दीदी ने चीन के साइबर स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन की इच्छा के खिलाफ जाकर लिस्टिंग की थी। 4 जुलाई को नियामक एजेंसी ने चीन में मोबाइल एप स्टोर पर कंपनी को प्रतिबंधित कर दिया। एजेंसी का कहना है, दीदी ने निजी डेटा जुटाकर नियम तोड़े हैं।

चीन की टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री ने पिछले दस वर्षों में ग्लोबल अर्थव्यवस्था में खास जगह बनाई है। इस मामले में अलीबाबा, टेनसेंट और दीदी ने सैकड़ों छोटी कंपनियों को रास्ता दिखाया है। दीदी के विदेशी शेयरहोल्डरों में सॉफ्टबैंक और उबर शामिल हैं। चीन की सभी बड़ी टेक कंपनियां चीन की बजाय अमेरिका या हांगकांग शेयर बाजार में लिस्टेड हैं। टेक कंपनियों को खिलाफ सख्त कार्रवाई की शुरुआत पिछले साल हुई थी जब चीनी नियामकों ने ऐनवक्त पर हांगकांग, शंघाई शेयर बाजार में एंट ग्रुप का आईपीओ रोक दिया था। सरकार ने अन्य टेक कंपनियों को भी धमकाया है। 5 जुलाई को तीन अन्य एप पर नए यूजर की लिस्टिंग करने पर रोक लगा दी गई।

सरकार ने संकेत दिया है कि शक्तिशाली टेक कंपनियां सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के इशारों पर चलें। लगभग 400 चीनी कंपनियां अमेरिकी शेयर बाजार से जुड़ी हैं। उनका मूल्य 120 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। यह निवेश खटाई में पड़ गया है। 6 जुलाई को चीनी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि विदेशी शेयर बाजारों से जुड़ी कंपनियों के संबंध में नियम कड़े किए जाएंगे। यह चीनी कंपनियों को अमेरिकी पूंजी बाजार से अलग करने का प्रयास हो सकता है।


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