With the second wave of the pandemic hitting the country hard, the Reserve Bank of India (RBI) again announced relief measures for retail borrowers.

These will apply both to those who have not availed of any relief in the past and those who have.

If you are an individual borrower who did not avail of the restructuring facility under resolution framework (RF) 1.0 announced in August 2020 and available till December 2020, you can now get your loan restructured till September 30, 2021. However, you will have to fulfill a couple of conditions. “The loan account needs to be classified as ‘standard’ on March 31, 2021 and outstanding dues should be up to `25 crore.”

Borrowers who have availed of relief in the past can do so again. If under RF 1.0 their moratorium was for less than two years, or if the residual tenure was extended for less than two years, then the moratorium period can be increased, and/or the residual tenure can be extended up to two years.

What is a resolution framework?
Under RF 1.0, any individual whose payments were not overdue by more than 30 days on March 1, 2020, could request for loan restructuring. This could take the form of a moratorium, rescheduling, or conversion of the loan into another credit facility.

Moratorium means the borrower does not pay any EMI. His unpaid dues get added to his principal, which grows bigger. When he starts paying his EMI again, his tenure (in some cases even the EMI) increases. Rescheduling means the customer gets his EMI reduced and his tenure increased.

The third option was that the loan could be converted into another loan, say; part of the home loan could be converted into a personal loan.

The relief will come at a cost. Remember your total interest cost on the loan will rise.

Do not confuse a resolution framework with the March-August 2020 moratorium on which the Supreme Court waived the interest on interest.

Finally, in some cases, the lender cold convert a part of your home loan into a personal loan. “This will entail paying a higher rate of interest, which you should try to resist.”


कर्ज पुनर्गठन से बढ़ेगी लागत


महामारी की दूसरी लहर ने पूरे देश को परेशान कर दिया है। इसलिए लोगों को राहत देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर खुदरा कर्जदारों के लिए कुछ उपायों को ऐलान किया। इस पैकेज के तहत उन लोगों को तो राहत मिलेगी ही, जिन्होंने पिछले साल के राहत पैकेज का फायदा नहीं उठाया था। साथ ही पिछले साल फायदा उठाने वाले भी इस साल दोबारा इसका लाभ ले सकते हैं।

अगर आपने व्यक्तिगत तौर पर कर्ज लिया है और पिछले साल अगस्त से दिसंबर तक चली कर्ज राहत के तहत आपने अपने कर्ज का पुनर्गठन नहीं कराया तो इस बार आपके पास मौका है। आप इस साल 30 सितंबर तक अपने कर्ज का पुनर्गठन करा सकते हैं। लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें हैं।

31 मार्च, 2021 को ऋण खाता ‘मानक’ खातों की श्रेणी में होना चाहिए और उस पर बकाया कर्ज ज्यादा से ज्यादा 25 करोड़ रुपये होना चाहिए।

जिन कर्जदारों ने पिछली बार राहत ले ली थी, उनके पास भी दोबारा राहत पाने का मौका है। यदि पिछली साल आए राहत पैकेज के तहत उन्होंने 2 साल से कम अविध के लिए माॅरेटोरियम (कर्ज की किस्त अदा करने में छूट) लिया था तो इस बार उनकी माॅरेटोरियम अवधि बढ़ाई जा सकती है या उन्हें कुछ समय के लिए और छूट दी सकती है ताकि कुल मिलाकर 2 साल की अवधि पूरी हो जाए।

क्या है समाधान का ढांचा?
पिछले साल जो समाधान ढांचा पेश किया गया था, उसमें ऐसा कोई भी व्यक्ति कर्ज पुनर्गठन की अर्जी डाल सकता था, जिसका 1 मार्च, 2020 को 30 दिन से अधिक का बकाया नहीं था। पुनर्गठन के तहत उसे माॅरेटोरियम मिल सकता था, कर्ज की शर्तें नए सिरे से तय की जा सकती थीं या कर्ज को किसी अन्य तरह की ऋण सुविधा में तब्दील किया जा सकता था।

माॅरेटोरियम का मतलब है कि कर्जदार को मासिक किस्त नहीं चुकानी पड़ती। जो किस्त वह नहीं चुकाता है, उसे उसके मूलधन में जोड़ दिया जाता है और इस तरह मूलधन बढ़ जाता है। जब वह किस्तें दोबारा चुकाना शुरू करता है तो उसकी कर्ज चुकाने की अवधि (कुछ मामलों में मासिक किस्त की रकम भी) बढ़ जाती है।

अवधि नए सिरे से तय करने यानी रीशेड्यूलिंग का मतलब यह है कि ग्राहक मासिक किस्त घट जाएगी और चुकाने की अवधि बढ़ जाएगी। तीसरे विकल के तहत कर्ज को किसी अन्य तरह के कर्ज में तब्दील कर दिया जाता था। जैसे आवास ऋण के थोड़े हिस्से को पर्सनल लोन में बदला जा सकता था। कर्ज पर आपका कुल ब्याज इससे बढ़ जाएगा। समाधान प्रक्रिया को पिछले साल मार्च से अगस्त के बीच में मिली माॅरेटोरियम सुविधा समझने की भूल न क बैंठें। उस सुविधा पर उच्चतम न्यायालय ने ब्याज पर ब्याज वसूलने से रोक दिया है।

अंत में कुछ मामलों में कर्ज देने वाली संस्था आपके आवास ऋण के कुछ हिस्से को पर्सनल लोन में तब्दील कर सकती है। ऐा होने पर आपको अधिक दर से ब्याज देना पड़ेगा, इसलिए जहां तक संभव हो, इससे बचिए।’