Deepak Aggarwal – Vimba Industries Pvt Ltd
- December 12, 2022
- 0
New industry will not create any problems, rather it will be beneficial
What is the industry’s vision & perspective upon the grant of new licenses in UP? Here’re the highlights from the conversation with Deepak Agarwal about the challenges that the industry may face in the future.
With the grant of new licensing, obviously, the industry will expand. How do you think about this?
As far as licenses are concerned, more than 1300 licenses have been granted in UP. It should be only around 100+ for the complete plywood. The veneer (peeling) plants will start instantly…
but the owners of the plywood units have already bought old licenses and initiated the manufacturing process. Now that the licenses are granted, it does not look like even 40% of units of the granted licenses come up. Our major hurdle in raw material will be from MDF as its purchases range from Rs. 5 per kg to Rs. 6 per kg and uses 12”- 16” timber. It can steal our share of the timber as it will not let the plant grow adequately. Hence the challenge may emerge from MDF, not from plywood.
Do the problem will worsen?
The arrival of new industries will not harm, but will be beneficial to us. The new industry is going to set up only where there is no such other unit. The raw materials will obviously be available where the plant will be installed. At that point, farmers who produce timber as a raw material will also have choice. Currently, the timber of UP is going to Haryana and Punjab. Timber is easily available where the plywood industry is centralized. Likewise, in UP as well, timber will be available in sufficient quantities.
What measures are being taken to ensure the constant availability of wood?
We are continually working on timber availability. So far, eucalyptus was planted specifically for the paper industry. Over the past 4-5 years, there has been a change in the plantations taking into account the needs of the plywood industry also. Industries are distributing plants to the farmers for free. We have now brought it up to 1, 00,000 from initial 25,000 saplings. We make an effort that every unit operator promote plants 1-1.25 lakh saplings every year. Certainly, this will help & boost in ensuring the availability of timber. We are focusing on cloned eucalyptus as well because it grows fast. Hybrid is the need of the hour, and its results are very positive. Earlier it was believed that indigenous eucalyptus is good for ply as it is red in color. But the hybrid also is free From such issues. Its ply is as strong as the one prepared from indigenous eucalyptus.
Advance impact due to big brands in the foray.
We will also get to learn new techniques as new players come on board. Small businesses can always save themselves because of the lower cost of operation. Instead, 20% to 25% of plywood is supplied to other state from UP. Hence it will be beneficial to us to have new units because we will be able to export as well. As production increases, so will be the margin. This will bring technology as well which will be beneficial.
The demand for labor will increase with the arrival of the new unit.
I don’t see any labor issues. As, we have enough labor here. Our labor is working at Yamuna Nagar and other places. They will come back to their hometown if work will be available here. Additionally, the need for manpower is diminishing due to advanced machines and technology. There’s definitely a labor issue during seeding and festivals, etc. It will stay as usual.
How do you feel about the fresh young graduates from the institutes? How valuable can they be for the industry?
It is true that the youngsters who pass out from FRI have less practical knowledge, but they have good theoretical knowledge. Practical knowledge is mandatory in the present era. Definitely, the arrival of such skilled people with the knowledge of the latest technology will be beneficial to the industry. But they haven’t reached us yet. However, if they join us, that will be beneficial. Another problem is that they are a bit competitive. But if they join the industry at a lower salary and prove themselves, the mindset of the industry will be changed rapidly. This is another reason why such skilled youth head towards large industries and doesn’t come to small cities. They should come here as small cities hold a lot of scope for them. They can definitely gain success here if they prove themselves and this will benefit both- the employers and the employees.
नई इंडस्ट्री से किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी, बल्कि फायदा ही होग
यूपी में नए लाइसेंस खुलने से इंडस्ट्री की सोच क्या है? इसे किस तरह से देखा जा रहा है। आने वाले समय में इंडस्ट्री के सामने क्या चुनौती हो सकती है, इसी को लेकर दीपक अग्रवाल से बातचीत के मुख्य अंश।
नए लाइसेंस आने से जाहिर है, इंडस्ट्री बढ़ेगी, इसे किस तरह से देखते हैं?
जहां तक लाइसेंस की बात है, यूपी में 1300 से अधिक लाइसेंस दिए गए है, इसमें संपूर्ण प्लाईवुड के 100 प्लस होने चाहिए। जो विनियर (पीलींग) प्लांट हैं, वह तो नए आएंगे…
लेकिन प्लाईवुड प्लांट वालों ने पुराने लाइसेंस खरीद कर फैक्टरी चला भी दी है। अब नये लाइसेंस आ़ गये, तो लगता नहीं है कि जितने लाइसेंस बंटे हैं, उसमें से 40 प्रतिशत फैक्ट्री लगेंगी। हमें सबसे ज्यादा दिक्कत एमडीएफ से हैं। क्योंकि यह कच्चे माल के तौर पर पांच रुपए किलो से छह रुपए किलो तक खरीद करते हैं । यह 12 से 16 इंच मोटी लकड़ी को प्रयोग करते हैं। वह हमसे हमारे हिस्से की लकड़ी छीन सकते हैं। क्योंकि वह पौधे को ज्यादा बड़ा होने ही नहीं देंगे। इसलिए एमडीएफ से चैलेंज आ सकता है, प्लाइवुड से नहीं।
फिर तो दिक्कत बढ़ जाएगी
नई इंडस्ट्री आएगी, तो उनके आने से फायदा ही होगा, नुकसान नहीं। क्योंकि नई इंडस्ट्री वहां आ रही है, जहां इस तरह की यूनिट नहीं है। जब फैक्टरी लगेगी तो जाहिर है वहां रॉ मैटेरियल भी उपलब्ध होगा। क्योंकि तब कच्चा माल के तौर पर लकड़ी उत्पादक किसानों के पास भी विकल्प होंगे। अभी यूपी की लकड़ी हरियाणा में जा रही है, पंजाब में जा रही है। जहां पहले प्लाइवुड इंडस्ट्री केंद्रित है, वहां लकड़ी की उपलब्धता है. यूपी में भी यही होगा, यहां भी पर्याप्त मात्रा में लकड़ी उपलब्ध होगी।
लकड़ी नियमित मिलती रहे, इसे लेकर क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
लकड़ी की उपलब्धता के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं। अभी तक हो यह रहा था कि पेपर इंडस्ट्री को ध्यान में रख कर युकेलिप्टिस उगाया जा रहा था। चार – पांच सालों से बदलाव आया कि अब प्लाइवुड इंडस्ट्री की जरूरत को ध्यान में रख कर भी पौधारोपण हो रहा है। फैक्टरी संचालक किसानों को पौधे मुफ्त में दे रहे हैं। हमने 25 हजार से शुरू कर अब इसे एक लाख तक ले आए हैं। कोशिश यही है कि प्रत्येक युनिट संचालक हर साल एक-सवा लाख पौधारोपण कराए। निश्चित ही इससे लकड़ी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। हम क्लोन यूकेलिप्टस पर ध्यान दे रहे हैं। क्योंकि यह तेजी से बढ़ता है। हाइब्रिड ही आज की जरूरत है। इसके परिणाम भी अच्छे हैं। पहले देसी युकेलिप्टिस को लेकर एक बात मानी जाती थी,कि उससे अच्छी प्लाई बनती है, क्योंकि उसका रंग लाल होता है। लेकिन हाइब्रिड में भी किसी तरह की दिक्कत नहीं है। इससे बनी प्लाई भी उतनी ही मजबूत है, जितनी देसी युकेलिप्टिस से तैयार प्लाई होती है।
बड़े ब्रांड़ आने से परेशानी
हमें भी नई तकनीक सीखने को मिलेगा, क्योंकि नए प्लेयर आते हैं तो उनसे हमें भी सीखने का मौका मिलेगा। छोटी इंडस्ट्री तो हमेशा ही खुद को बचाए रखने की स्थिति में रहती है। क्योंकि उसका परिचालन लागत कम होता है। बल्कि यूपी से 20 से 25 प्रतिशत तक प्लाईवुड ,प्रदेश से बाहर जाती है। इसलिए यदि नई यूनिट आती है तो अच्छा ही होगा क्योंकि तब हम निर्यात भी कर सकते हैं। उत्पादन बढ़ेगा तो मार्जन भी बढ़ेगा। इसके साथ तकनीक भी आएगी। इसका लाभ ही होगा।
नई यूनिट आने से लेबर की मांग बढ़ेगी?
लगता नहीं कि लेबर को लेकर दिक्कत आएगी। यूं तो हमारे यहां पर्याप्त संख्या में लेबर है। हमारे यहां की लेबर यमुनानगर और दूसरी जगह पर काम कर रही है। उसे जब अपने घर पर काम मिलेगा तो वह वापस आ जाएगी। दूसरा अब जो उन्नत मशीन और तकनीक आ रही है, इससे मैनपावर की जरूरत कम हो रही है। इसलिए भी लेबर की दिक्कत नहीं है। हां कभी कभार फसल बुवाई या त्योहारों आदि के वक्त जरूर थोड़ी बहुत लेबर की दिक्कत आती है। यह चलती रहेगी।
इंस्टीट्यूट से निकले दक्ष युवाओं को लेकर आप क्या सोचते हैं, वह इंडस्ट्री के लिए कितने उपयोगी साबित हो सकते हैं?
यह सही है कि एफआरआई से जो बच्चे निकलते हैं, उन्हें प्रैक्टिकल नॉलेज कम है, हां उन्हें थ्योरेटिकल नॉलेज तो ठीक है। आज की तारीख में प्रैक्टिकल नॉलेज चाहिए। निश्चित ही अगर इस तरह के दक्ष लोग भी इंडस्ट्री में आते हैं तो हमारे लिए फायदेमंद होंगे। लेकिन वह अभी हमारे तक नहीं पहुंच रहे हैं। फिर भी यकीनन यदि वह आते हैं तो इसका फायदा ही होगा। यह भी दिक्कत है कि वह वेतन ज्यादा मांगते हैं। यदि वह इंडस्ट्री में कम भुगतान पर ज्वाइन करते हैं और एक बार खुद को साबित करें, तो उद्योग की सोच में तेजी से बदलाव आ सकता है। यह भी एक वजह है कि इस तरह के दक्ष युवा बड़ी इंडस्ट्री में चले जाते हैं, अभी वह छोटे शहरों की ओर नहीं आ रहे हैं। यहां उनके लिए बेहतर स्कोप है, वह यहां आए। कुछ करके दिखाए तो निश्चित ही उन्हें यहां काम मिलेगा और नियोक्ता और कार्यबल दोनों पक्षों को लाभ होगा।