Do not expect taxpayers’ money as an incentive
- October 1, 2019
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Do not expect taxpayers’ money as an incentive
Chief Economic Advisor Krishnamurthy Subramanian recently said that companies in sectors that are going through a difficult period in a free economy like India should not demand taxpayer money as fiscal stimulus.
In the program where Subramanian was speaking, Energy Secretary and former Finance Secretary Subhash Garg said that the GDP growth rate in the April-June quarter could be 5.5-5.6 per cent. This would be less than the five-year low of 5.8 per cent in the January-March quarter.
Subramanian said, “We should be cautious about this. We have been a market economy since 1991 and a market economy consists of sectors that grow rapidly at one time and go through a recession. I believe that we expect the government to use taxpayer money in areas that are going through difficult times.’
He said, ‘I believe you have come up with the idea that if the big companies fail, there will be a big impact on the economy, so the government should come forward to save them. At the same time, conditions have been created in which profit is private and deficit is public, which is contrary to the way the market economy works.’
Meanwhile, in the same program, Deputy Chairman of NITI Aayog, Rajiv Kumar said that extraordinary steps have to be taken to deal with the unexpected pressure of the financial sector. The financial sector has played an important role in the recession.
He called the pressure on the financial sector unpredictable. He said that no one had to face such a situation in the last 70 years. He said, “Nobody in the private sector is trusting anybody. No one is willing to lend. Everyone is sitting with cash, so you have to take extraordinary steps. ‘
प्रोत्साहन के रूप में करदाताओं के पैसे की नहीं करें उम्मीद
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने हाल ही में कहा कि भारत जैसी मुफ्त अर्थव्यवस्था में मुश्किल दौर से गुजर रहे क्षेत्रों की कंपनियों को राजकोषीय प्रोत्साहन के रूप में करदाताओं के पैसे की मांग नहीं करनी चाहिए।
जिस कार्यक्रम में सुब्रमण्यन बोल रहे थे, उसी में ऊर्जा सचिव और पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5.5-5.6 फीसदी रह सकती है। यह जनवरी-मार्च तिमाही में पांच साल के सबसे कम 5.8 फीसदी वृद्धि से भी कम होगी।
सुब्रमण्यन ने कहा, ‘हमें इसे लेकर सतर्क रहना चाहिए। हम 1991 से एक बाजार अर्थव्यवस्था बने हुए हैं और एक बाजार अर्थव्यवस्था में ऐसे क्षेत्र होते हैं, जो एक समय तेजी से बढ़ते हैं और मंदी के दौर से गुजरते हैं। मेरा मानना है कि हम यह उम्मीद करते हैं कि सरकार उन क्षेत्रों में करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल करे, जो मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि आप यह विचार लेकर आए हैं कि बड़ी कंपनियां नाकाम हांेगी तो अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा, इसलिए सरकार को उन्हें बचाने आगे आना चाहिए। वहीं ऐसी स्थितियां बनाई हैं, जिनमें लाभ निजी है और घाटा सार्वजनिक, जो बाजार अर्थव्यवस्था के काम करने के तरीके के प्रतिकूल है।’
इस बीच इसी कार्यक्रम में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र के अप्रत्याशित दबाव से निपटने के लिए असाधारण कदम उठाने होंगे। वित्तीय क्षेत्र की मंदी में अहम भूमिका रही है।
उन्होंने वित्तीय क्षेत्र के दबाव को अप्रत्याशित बताया। उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में किसी को भी ऐसे हालात का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘निजी क्षेत्र में कोई भी किसी पर भरोसा नहीं कर रहा है। कोई भी ऋण देने को तैयार नहीं है। हर कोई नकदी लेकर बैठा है, इसलिए आपको असाधारण कदम उठाने होंगे।’