E-verification of mismatch cases in tax returns

The Income Tax Department has selected 68,000 cases of ‘high value’ transactions for e-verification by those who had not correctly reported in their FY2020 tax returns.

These transactions are of both personal and corporate. Differences were found in their Annual Information Statements (AIS) and income tax returns filed during this period.

AIS are a comprehensive account of the financial transactions of the taxpayer. This includes bank deposits, share transactions, etc.
The e-verification scheme was started in September 2022. The objective was to reconcile the ITRs filed by taxpayers with the details of various reporting financial entities. The Income Tax Department brings to the notice of taxpayers under the e-verification scheme the discrepancy in the Annual Information Statement (AIS) regarding financial transactions and the IT returns filed.

If taxpayers feel that the discrepancy pointed out in the e-verify is not correct, they can send a reply to the tax department giving an explanation for the same. Under this scheme, if the taxpayers feel that the e-verification notice is correct, they can file an updated return. In cases where no response is received, the tax department prepares a confirmation report which can lead to further risk assessment and the return filed can be taken up for tax assessment again.

The date for filing the updated income tax return has been kept as 31 March 2023, which is for the assessment year 2020-21. The tax department informs the taxpayer electronically about the cases taken up for e-verification and gives them 15 days to inform the income tax department.

It may be noted that if any search or survey or penal action is going on against the taxpayer, he cannot file an updated return.





कर रिटर्न में असमानता मामलों का ई-सत्यापन

आयकर विभाग ने ई-सत्यापन के लिए ‘ज्यादा मूल्य के’ लेनदेन के 68,000 मामले चुने हैं, जिन्होंने वित्त वर्ष 2020 के कर रिटर्न में सही सूचना नहीं दी थी।

ये लेनदेन व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट दोनों के हैं। इस अवधि के दौरान इनके सालाना सूचना स्टेटमेंट (एआईएस) और दाखिल किए गए आयकर रिटर्न में अंतर पाया गया।
एआईएस करदाता के वित्तीय लेन-देन का समग्र ब्योरा होता है। इसमें बैंक जमा, शेयर लेनदेन आदि शामिल होता है।

ई-सत्यापन योजना सितंबर 2022 में शुरू हुई थी। इसका मकसद रिपोर्ट करने वाली विभिन्न वित्तीय इकाइयों के ब्योरे के साथ करदाताओं द्वारा दाखिल किए गए आईटीआर का मिलान कराना था। आयकर विभाग ई-सत्यापन योजना के अंतर्गत करदाताओं को वित्तीय लेनदेन और भरे गए आईटी रिटर्न के बारे में वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) में असमानता के बारे में बताता है।

करदाताओं को अगर लगता है कि ई-सत्यापन में बताई गई असमानता सही नहीं है तो वह इसके लिए स्पष्टीकरण देते हुए कर विभाग को जवाब भेज सकते हैं। इस योजना के तहत अगर करदाताओं को लगता है कि ई-सत्यापन नोटिस सही है तो वे अद्यतन रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। जिन मामलों में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, कर विभाग एक पुष्टि रिपोर्ट तैयार करता है जिससे आगे जोखिम आकलन हो सकता है और दाखिल रिटर्न को फिर से कर आकलन हेतु लिया जा सकता है।

अद्यतन आयकर रिटर्न दाखिल करने की तिथि 31 मार्च 2023 रखी गई है, जो आकलन वर्ष 2020-21 के लिए है। ई-सत्यापन हेतु लिए गए मामलों के बारे में कर विभाग करदाता को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सूचना देता है और उन्हें आयकर विभाग को सूचना देने के लिए 15 दिन वक्त देता है।

उल्लेखनीय है कि अगर करदाता के खिलाफ कोई तलाशी या सर्वे या दंडात्मक कार्रवाई चल रही हो तो वह अद्यतन रिटर्न दाखिल नहीं कर सकता है।

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