FRI-IIA -WTA MEET
- June 23, 2022
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FRI-IIA -WTA MEET
Forest Research Institute Dehradun organized a ‘Research Outreach Program for Wood Based Industry of Uttar Pradesh’ in collaboration with Indian Industry Association (IIA) on 20th May, 2022. The program was presided over by Dr. Renu Singh, Director, FRI, IFS and Mr. Ashok Kumar Agrawal, President IIA and Mr. Subhash Chandra Jolly, President, WTA.
Seven member delegations from IIA and ten member delegations of Wood Technologists’ Association (WTA) led by Mr. Subhash Jolly, Mr. Suresh Baheti, Chief Editor, Ply Insight Magazine, Head of Divisions of FRI, Scientists and Officers participated.
The program mainly focused on the issues and problems faced by timber industries and farmers and discussed how FRI’s research activities and expertise can help in achieving the goals of timber production and industry utilization.
Dr. Renu Singh, Director of FRI in his speech underlined that Industry-Farmer-Researcher are the three important pillars in the development of wood based industry. He also stressed on developing a roadmap so that the issues can be addressed and solved efficiently by each pillar. He further said that limited funding and lack of experimental areas are the main impediments to progress in forestry research and industry can help to overcome both.
IIA President Shri Ashok Kumar Agrawal appreciated that FRI’s research work is helping both industries and farmers. He wished to start a help center by Indian Industry Association with the help of scientists who can spread knowledge and solve various issues of industries and farmers. This support center can act as a link between timber and wood based industries, farm producers as well as researchers.
Industrialist Mr. Anuj Garg, President IIA Muzaffarnagar and Mr. Pramod Sadana, President IIA Saharanpur requested for the help of FRIs in small wood products and handicraft industries, whose export market is in billions of rupees. Anuj Garg told that he finds imported poplar from Belgium is cheaper than indigenous in many ways. FRI scientists Dr. Ashok Kumar, Dr. Ajay Thakur and Dr. Dinesh Kumar showed highly productive new varieties of Melia, Corymbia and Poplar to the delegates.
Shri Subhash Jolly emphasized on policy interventions and advised the industry to make the most out of the expertise available in FRIs. The importance of regular continued supply and use of wood was emphasized to both the industry representatives and researchers present during the event.
In the afternoon session the delegates were shown nurseries of high yielding genetically improved plants of various trees in Forest Products Division and wood conservation and composite production facilities in experimental areas and genetics and tree improvement divisions of FRI. President of Indian Industry Association Mr. Ashok Agarwal promised that his organization would collaborate with FRI to expand its research to industries, traders and farmers and thapronked Director FRI Dr. Renu Singh and Subhash Jolly, President WTA for arranging for this research outreach programme.
वन अनुसंधान संस्थान देहरादून ने 20 मई, 2022 को भारतीय उद्योग संघ (आईआईए) के सहयोग से ‘उत्तर प्रदेश के लकड़ी आधारित उद्योग के लिए अनुसंधान आउटरीच कार्यक्रम’ का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता एफ आर आई निदेशक डॉ रेनु सिंह, आई एफ एस और श्री अशोक कुमार अग्रवाल, अध्यक्ष आई आई ए एवं श्री सुभाष चन्द्र जोली अध्यक्ष डब्ल्यू टी ए ने की।
आईआईए के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और श्री सुभाष जॉली के नेतृत्व में वुड टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन (डब्ल्यूटीए), के दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, श्री सुरेश बाहेती, मुख्य संपादक, प्लाई इनसाइट पत्रिका, एफआरआई के डिवीजनों के प्रमुख,वैज्ञानिक और अधिकारियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से लकड़ी उद्योगों और किसानों के सामने आने वाले मुद्दों और समस्याओं पर जोर दिया गया और चर्चा की गई कि एफआरआई की अनुसंधान गतिविधियों और विशेषज्ञता से लकड़ी के उत्पादन और उद्योग के उपयोग के लक्ष्यों को प्राप्त करने में कैसे मदद मिल सकती है ।
डॉ रेनु सिंह, एफआरआई के निदेशक ने अपने भाषण में रेखांकित किया कि उद्योग-किसान-शोधकर्ता लकड़ी आधारित उद्योग के विकास में तीन महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। उन्होंने एक रोडमैप विकसित करने पर भी जोर दिया ताकि मुद्दों को संबोधित किया जा सके और प्रत्येक स्तंभ द्वारा कुशलतापूर्वक हल किया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि सीमित वित्त पोषण और प्रयोगात्मक क्षेत्रों की कमी वानिकी अनुसंधान में प्रगति की मुख्य बाधा है और उद्योग दोनों को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
आईआईए के अध्यक्ष श्री अशोक कुमार अग्रवाल ने इस बात की सराहना की कि एफआरआई का शोध कार्य उद्योगों और किसानों दोनों की मदद कर रहा है। वह वैज्ञानिकों की मदद से भारतीय उद्योग संघ के माध्यम से एक सहायता केंद्र शुरू करना चाहते है जो ज्ञान का प्रसार कर सके और उद्योगों और किसानों के विभिन्न मुद्दों का समाधान कर सके। यह सहायता केंद्र लकड़ी और लकड़ी आधारित उद्योगों, उत्पादकों के साथ-साथ शोधकर्ताओं के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य कर सकता है।
उद्योगपति श्री अनुज गर्ग, अध्यक्ष आईआईए मुजफ्फरनगर और श्री प्रमोद सदाना, अध्यक्ष आईआईए सहारनपुर ने छोटे लकड़ी उत्पाद और हस्तशिल्प उद्योगों में एफआरआई की मदद का अनुरोध किया, जिनका निर्यात बाजार अरबों रुपये है। अनुज गर्ग ने बताया कि उन्हें बेल्जियम से आयातित पोपुलर कई मायनों में स्वदेशी से सस्ती लगती है। एफआरआई वैज्ञानिकों डॉ अशोक कुमार, डॉ अजय ठाकुर और डॉ दिनेश कुमार ने प्रतिनिधियों को मेलिया, कोरिम्बिया और पॉपलर की अत्यधिक उत्पादक नई किस्में दिखाईं।
श्री सुभाष जॉली ने नीतिगत हस्तक्षेपों पर जोर दिया और उद्योग को एफआरआई में उपलब्ध विशेषज्ञता से अधिकतम लाभ उठाने की सलाह दी। लकड़ी की नियमित आपूर्ति और उपयोग के महत्व पर कार्यक्रम के दौरान उपस्थित उद्योग प्रतिनिधियों और शोधकर्ता दोनों पर जोर दिया गया।
दोपहर के सत्र में प्रतिनिधियों को वन उत्पाद प्रभाग और प्रायोगिक क्षेत्रों में लकड़ी के संरक्षण और समग्र उत्पादन सुविधाओं और एफआरआई के आनुवंशिकी और वृक्ष सुधार प्रभागों में विभिन्न पेड़ों के उच्च उपज आनुवंशिक रूप से उन्नत पौधों की नर्सरी दिखाई गई। भारतीय उद्योग संघ के अध्यक्ष श्री अशोक अग्रवाल जी ने वादा किया कि उनका संगठन एफआरआई के साथ उद्योगों, व्यापारियों और किसानों तक अपने शोध का विस्तार करने के लिए सहयोग करेगा और इस शोध आउटरीच कार्यक्रम की व्यवस्था करने के लिए निदेशक एफआरआई डॉ रेनु सिंह और सुभाष जॉली अध्यक्ष WTA को धन्यवाद दिया।