Oppn-ruled states oppose Electricity Bill changes

The Ministry of Power is contemplating a major policy change to set up a separate power distribution channel for industries. The department has proposed to set up industrial centers in the states which will have their own electricity supplier separately. Senior government officials say that contracts will be awarded to private companies to provide separate lines for supply to industry and especially manufacturing sectors.

According to the proposal, manufacturing centers will be identified in each state and they will be given deemed distribution status. These areas will then be assigned to private companies. Private electricity suppliers will have the right to purchase electricity and distribute it in their respective areas.

In India, the power sector is the subject of the Union list, in which power distribution is the subject of the state and the role of the center is to show direction. Power generation and inter-state transmission comes under the central government.

However, the move of separate power supply for industries will give a major blow to the government discoms whose major sources of revenue are industrial consumers. Most government discoms collect cross subsidies and cesses from industrial consumers to generate revenue to supply electricity to certain segments of consumers at a cheaper rate or for free.The BJP government, in its first term, had brought a previous Discom Reforms Scheme called Uday which was completed in FY 2020. In this, most of the states failed to achieve their goal.


औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए अलग बिजली आपूर्ति पर विचार


ऊर्जा मंत्रालय बड़ा नीतिगत बदलाव करते हुए उद्योगों के लिए अलग से बिजली वितरण चैनल खड़ा करने पर विचार कर रहा है। विभाग ने राज्यों में औद्योगिक केंद्र बनाने का प्रस्ताव दिया है जिनके पास अलग से अपना बिजली आपूर्तिकर्ता होगा। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का कहना है कि उद्योग और विशेष तौर पर विनिर्माण क्षेत्रों को आपूर्ति के लिए अलग से लाइन देने का ठेका निजी कंपनियों को दिया जाएगा।

प्रस्ताव के मुताबिक प्रत्येक राज्य में विनिर्माण केंद्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें डीम्ड वितरण का दर्जा प्रदान किया जाएगा। इसके बाद इन क्षेत्रों को निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा। निजी बिजली आपूर्तिकर्ताओं को बिजली खरीद कर अपने संबंधित क्षेत्र में वितरण करने का अधिकार होगा।

भारत में विद्युत क्षेत्र संघ सूची का विषय है जिसमें विद्युत वितरण राज्य का विषय है और केंद्र की भूमिका दिशा दिखाने की है। विद्युत उत्पादन और अंतर्राज्यीय पारेषण केंद्र सरकार के अधीन आता है।

हालांकि, उद्योगों के लिए अलग से बिजली आपूर्ति के कदम से सरकारी डिस्काॅम को जोरदार झटका लगेगा जिनके राजस्व का बड़ा स्त्रोत औद्योगिक उपभोक्ता है। अधिकांश सरकारी डिस्काॅक औद्योगिक उपभोक्ताओं से क्राॅस सब्सिडी और उपकर वसूलती हैं ताकि उपभोक्ताओं के निश्चित वर्गों को सस्ती दर पर या मुफ्त में विद्युत आपूर्ति करने के लिए राजस्व का सृजन किया जा सके।

भाजपा सरकार अपने पहले कार्यकाल में उदय नाम से पिछला डिस्काॅम सुधार योजना लाई थी जो वित्त वर्ष 2020 में पूरी हुई है। इसमें अधिकांश राज्य अपने लक्ष्य को पाने में नाकाम रहे।