If the government does not agree
- September 14, 2019
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If the government does not agree we will go to the Supreme Court
Punjab plywood industry these days is reeling from the shortage of wood and the rise in prices. In such a situation, due to the opening of the license process by the state government, the agitated entrepreneurs have prepared to go to the Supreme Court. In Punjab Plywood Association meeting Chairman Ashok Juneja and President Indrajit Singh Sohal said that 160 companies have been given licenses for plywood in Punjab at present. However, due to reduced availability of wood, twenty five to thirty units are not able to do production. At this time, the price of wood of poplar and eucalyptus (safeda) has gone up from Rs.400 to Rs.1000 in the last six months. The basic reason for this is the absence of wood. In such a situation, the government is opening the license instead of motivating the farmers to apply more and more eucalyptus and poplar. Due to this, the price of wood will increase further due to reduced availability, which will directly affect the prices of plywood.
Ten years ago, Punjab had a yield of 3.5 million cubic meters, which is now only 1.5 million. Chairman Ashok Juneja said that already the industry is working only in 35 percent of the total production before. In such a situation, the government should make efforts to save the existing industry. Along with this, the government planted these trees on the vacant land along the canal edges. He cited the Guidelines of the Center Power Committee of the Supreme Court and said that where no wood is available, new licenses cannot be granted. But the government has announced to issue licenses in violation of these orders. He said that the government should consider it once again. President Indrajit Singh Sohal said that the government is keen on setting up a new industry, but the existing industry is not being taken care of. Wood is not available. At the same time, the infra sector is also running weak in the country. With this, the government is talking of giving R5 electricity to the new industry, R11 to the existing, returning 18 percent nine percent of GST to the new industry. In such a situation, it will be difficult for the old industry to run. Many companies are operating unlicensed in Hoshiarpur and Pathankot. The government should take strict measures regarding these. If the government does not accept the demand, then the association will have to go to the Supreme Court.
सरकार न मानी तो जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
पंजाब प्लाईवुड उद्योग इन दिनों लकड़ी की कमी और कीमतों में हुई वृद्धि से जूझ रहा है। ऐसे में प्रदेश सरकार की ओर से लाइसेंस प्रक्रिया ओपन किए जाने से आक्रोशित उद्यमियों ने सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। पंजाब प्लाइवुड एसोसिएशन की बैठक चेयरमैन अशोक जुनेजा और प्रधान इन्द्रजीत सिंह सोहल की अध्यक्षता ने कहा कि इस समय पंजाब में 160 कंपनियों को प्लाइवुड के लिए लाइसेंस दिए गए हैं। जबकि, लकड़ी की उपलब्धता कम होने के चलते पच्चीस से तीस यूनिट प्रोडक्शन नहीं कर पा रहें हैं। इस समय पाॅपुलर और नीलगिरि (सफेदा) की लकड़ी का दाम पिछले छह महीने में 400 रुपए से एक हजार रुपए तक पहुंच गया है। इसका मूल कारण लकड़ी की उपलब्धता न होना है। ऐसे में सरकार किसानों को अधिक से अधिक सफेदा और पापुलर लगाने के लिए प्रेरित करने की बजाय लाइसेंस ओपन कर रही है। इसके चलते उपलब्धता कम होने से लकड़ी के दाम और बढ़ेंगे, जिसका सीधा असर प्लाइवुड के दामों पर पड़ेगा। दस साल पहले पंजाब में 35 लाख क्यूबिक मीटर पैदावार थी, जो अब केवल 15 लाख रह गई है। चेयरमैन अशोक जुनेजा ने कहा कि पहले ही इंडस्ट्री कुल प्रोडक्शन का 35 प्रतिशत काम कर रही है। ऐसे में सरकार को मौजूदा इंडस्ट्री को बचाने के लिए प्रयास करने चाहिए। इसके साथ ही सरकार नहरी किनारों के साथ साथ खाली जमीन पर इन पेड़ों को लगाए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की सेंटर इंपावर कमेटी की गाईडलाइन का हवाला देते हुए कहा कि जहां पर लकड़ी उपलब्ध नहीं है, वहां नए लाइसेंस नहीं दिए जा सकते। लेकिन सरकार की ओर से इन आदेशों के अवहेलना करके लाइसेंस जारी करने की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार को एक बार फिर इस पर विचार करना चाहिए।
प्रधान इन्द्रजीत सिंह सोहल ने कहा कि सरकार नई इंडस्ट्री लगाने को तो उत्सुक है, लेकिन मौजूदा इंडस्ट्री पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जहां लकड़ी उपलब्ध नहीं है। वहीं देश में इस समय इंफ्रा सेक्टर भी कमजोर चल रहा है। इसके साथ ही सरकार नई इंडस्ट्री को पांच रुपए बिजली, मौजूदा को 11 रुपए, नई इंडस्ट्री को जीएसटी 18 में से नौ प्रतिशत वापिस देने की बात कर रही है। ऐसे में पुरानी इंडस्ट्री के लिए चल पाना मुश्किल हो जाएगा। होशियारपुर और पठानकोट में बिना लाइसेंस भी कई कंपनियां काम कर रही हैं। इनको लेकर सरकार सख्त कदम उठाए। अगर सरकार ने मांग न मानी, तो मजबूरन एसोसिएशन को सुप्रीम कोर्ट जाना पडे़गा।