Indian Firms Should Remain Agile to Face Future Crisis: Birla
- March 5, 2021
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The Chairman of Aditya Birla Group, Kumar Mangalam Birla said companies must make sure they do not get caught in ‘comorbidities’.
Birla in a webpost said the way Covid had hit people with comorbidities which were measurable and identifiable — diabetes, hypertension, blood pressure or obesity — the same analogy may be applied to businesses as well.
“Partly applicable, since comorbidities make businesses less able to withstand shocks like the financial crisis of 2008. But also different in that, unlike human conditions which often are beyond our control, there is no genetic predisposition towards comorbidities for businesses. The comorbidities are self-inflicted. The excessive financial leverage that provides sugar highs while weakening fundamentals in the long term, lax processes that lead to inventory build-ups clogging supply-chain arteries or most devastating, a lack of focus on building consumer and human relationships,” he wrote.
“These are comorbidities that can prove fatal when pandemic-type shocks rock the system. These dangers lurk beneath the surface during good times, and so it is imperative for corporates to be mindful of the first principles of good management practices,” he said.
On work from home (WFH), Birla said as India Inc prepares for a calibrated return to the workplace, it is facing a larger question on the future of work. “Many have opined that WFH is going to be a mega-trend of this decade. I have a slightly contrarian view.
The ‘Office’, after all, isn’t just a place where we come to work. It is a melting pot — of people, ideas, and conversations. The coming together with skills and experiences is what makes an office more than just a place of work. This is what defines culture,” he said.
भारतीय कंपनियों को आगामी
संकटों के लिए तैयार रहना चाहिए
आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला का कहना है कि कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे किसी तरह की गंभीर अनिश्चितताओं में न फंसें।
बिड़ला ने एक वेब पोस्ट में कहा कि जिस तरह से कोरोना ने बीमारियों (मधुमेह, अवसाद, उच्च रक्तचाप या मोटापा आदि) से जुड़े लोगों को ज्यादा प्रभावित किया, उसी तरह की स्थिति व्यवसायों के लिए भी लागू हो सकती है।
उन्होंने लिखा है, ‘भले ही यह आंशिक रूप से लागू हो, लेकिन समस्याओं से जूझ रहे व्यवसाय 2008 के वित्तीय संकट जैसे झटकों से मुकाबला करने में कम सक्षम रहे हैं। लेकिन इसमें भी अंतर है। मानवीय परिस्थितियों के विपरीत, जो अक्सर हमारे नियंत्रण से परे होती हैं, व्यवसायों के लिए गंभीर समस्याओं के संदर्भ में कोई आनुवंशिक प्रवृति नहीं होती है। अत्यधिक वित्तीय संसाधन भले ही कुछ हद तक फायदेमंद साबित हो सकता है, लेकिन दीर्घावधि में इससे बुनियादी आधार कमजोर होता है।’
उन्होंने कहा, ‘ये ऐसी समस्याएं हैं, जो उस स्थिति में घातक साबित हो सकती हैं, जब महामारी जैसे झटके व्यवस्था को अपनी चपेट में लेते हैं। ये खतरे अच्छे समय के दौरान नजरअंदाज हो जाते हैं और इसलिए कंपनियों के लिए अच्छी प्रबंधन प्रणालियों के सिद्धांत के प्रति सजग रहना जरूरी है।’
वर्क फ्राॅम होम (डब्ल्यूएफएच) पर बिड़ला ने कहा कि चूंकि भारतीय उद्योग जगत कार्य स्थल पर लौटने के लिए तैयार है, लेकिन उसे कार्य प्रणाली के भविष्य पर बड़े सवाल का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘कइयों का मानना है कि WFH (घर से काम) इस दशक का मेगा-ट्रेंड बनने जा रहा है। मेरा इसे लेकर कुछ अलग नजरिया है। आखिरकार ‘आफिस’ सिर्फ ऐसा स्थान नहीं है जहां हम कार्य करते हैं। यह व्यक्ति विचार एवं वार्ता का मिलन स्थल है। व्यक्तिगत अनुभव और कौशल मिल कर इसे सिर्फ काम करने के स्थान से उपर उठाते हैं।