According to the data released by the commerce and industry ministry on Monday, food inflation rose to 4.92 per cent in April, while prices of manufacturing products jumped by 9.01 per cent year-on-year. Fuel and power inflation stood at 20.94 per cent, led by higher petrol and diesel prices.

India’s wholesale price-based inflation surged to an 11-year high of 10.49 per cent in April, mainly due to a sustained rise in fuel and commodity prices, signalling a build-up of inflationary pressures.

The inflation rate based on the wholesale price index (WPI) has been rising since December. It had soared to an eight-year high of 7.39 per cent in March. The latest number is the highest since April 2010.

Inflation in the fuel and power segment can be ascribed to the rigidity in international crude oil prices on account of bright prospects for global oil demand outlook and a low-base effect. Manufacturing segment was witnessing inflationary pressures because of a strong rally in global metal prices and strengthening pricing power of manufacturers.

Since global prices of items such as minerals, edible, oil, crude oil, coal, fertilizers, plastic, basic metals, electronic items, among others, are mostly a pass-through into domestic prices, a surge in global commodity prices has put significant pressure on the headline wholesale inflation.


11 साल के उच्च स्तर पर महंगाई


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में खाद्य पदार्थों के दाम 4.92 फीसदी बढ़े हैं और विनिर्मित वस्तुओं के दाम में 9.01 फीसदी की तेजी आई है। पेट्रोल और डीजल के दाम में तेजी के कारण ईंधन और बिजली के दाम 20.94 फीसदी बढ़े हैं, जिससे कुल थोक महंगाई में इजाफा हुआ है।

तेल की कीमतों में लगातार तेजी आने और जिंसों के दाम भी बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 10.49 फीसदी की रिकाॅर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई।

ईंधन और बिजली श्रेणी में मुद्रास्फीति बढ़ने का कारण दुनिया भर में तेल की मांग बढ़ने के कारण कीमत तेज होना तथा पिछली बार इनके दाम काफी कम होना है।
इसके साथ ही धातुओं के दाम में तेजी से थोक मुद्रास्फीति में 64 फीसदी भारांश वाली विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में तेजी आई है।

खनिज, खाद्य तेल, कच्चे तेल, कोयला, उर्वरक, प्लास्टिक, मूल धातुओं, इलेक्ट्राॅनिक्स के सामान के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़े हैं, जिससे देसी बाजार में भी इनकी महंगाई बढ़ी है। जिंसों की कीमतों में तेजी से थोक मुद्रास्फीति पर दबाव बना हुआ है।


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