JK BIHANI

The market has its own strategy and it operates accordingly


What is your opinion on the approval of the license in UP?

Yamuna Nagar will also face few complexities with the approval of the license in UP. Nevertheless, the timber grown within a radius of 200-250 km. will be supplied to Yamuna Nagar only. Yamuna Nagar is the biggest market.


JK BihaniIt may face a short-lived shortage of timber which will vanish in no time. The area of agro forestry will increase as soon as the farmers will get the market opportunities. Thus, the situation will improvise sooner or later.

Undoubtedly, everyone will face difficulties with the opening of units in UP. But still, it is believed that this phase will be for a short spam, and everything will settle down eventually. Wherever there is demand, it is fulfilled by the supply. The same rule will apply in the timber industry as well. Thus, the effect of license approval to the timber-based industry in UP won’t last for a long. It will more on its own direction very soon.

Timber-based units are opening not only in UP, but in other states too.

Obviously, this will affect the market. Because with the establishment of new units in UP, the supply of goods will increase in the market. This applies to everyone when it comes to an escalation in the supply of manufactured products in the market. This is not a matter of major concern. Karnataka may also come up with new factories.

Likewise, new industries in Kerala are also getting licenses. It’s got to happen eventually and will certainly increase the supply. This will lead to a competitive market. Those with quality products will be able to survive while those who will compromise with the quality may face problems. The license has been approved by the government but the prospective industrialists will consider the market and decide whether or not to set up the unit, and when to set it up. Apart from the license, various other factors are worth consideration to set up a unit. The competition is there all the time. The market competition may increase or decrease over a period of time, but that won’t last long.

What is the current scenario?

There is not as much demand right now. Production is almost half of its capacity in Yamuna Nagar. Hence the problem is not connected to the new units in UP. It is somewhere else and we must look at things from that perspective. Despite this, market demand is also increasing by 8% annually. Thus, at least 100-150 new units must be set up each year. Some of the established factories will also expand their production capacity. Certainly, quality will have great importance in the Future. This rule was prevalent in the past, is in the present, and will be in the future as well.

Can there be a shortage of labor?

Unemployed people will come for work if it is available in the market. The cost of labor may increase and it certainly seems to happen. This will increase the cost of the final product in the market. The market itself decides the rates of goods. The market has its own behavior and it operates accordingly.

Is there an issue with the rates as well?

This problem always prevails. The buyer wants to buy the products at the lowest price ignoring quality. Such a kind of practice is often carried out by furniture manufacturers as they prepare the goods by pasting mica (or similar products) on low-quality cheaper plywood. Now, if this furniture gets damaged after a year or two, the customer cannot short out. This is also a long-standing issue. Quality has its own value and it matters a lot in the market.
The demand and consumption of MDF and particle board is increasing.

Their market share has also increased to 25%. The plywood market has been captured by MDF and particle board. Its consumption is on the rise. It stood at 10% in 2010, which has now gone up to 25%. The plywood market is narrowing, while the MDF and particleboard market is expanding.

Can it affect the timber supply?

It is not like that. The farmer is planting a lot. As 2-3 years old timber can be used for MDF and particle board, that’s why the farmers are harvesting plants of 2-3 years. It is certain that the price of timber will not drop much now. Farmers have also understood this fact. Hence, timber will continue to be available in adequate quantities.



बाजार का अपना एक व्यवहार होता है, वह उसी पर चलता है


यूपी में लाइसेंस खुलने को आप किस तरह से देखते हैं?

यूपी में लाइसेंस खुलने से यमुनानगर के लिए थोड़ा मुश्किल तो होगी, लेकिन फिर भी यमुनानगर के 200 से 250 किलोमीटर की लकड़ी तो यमुनानगर ही आएगी। क्योंकि यहां बड़ी मंडी है। लकड़ी की कमी थोड़े वक्त के  लिए आ सकती है।


पर फिर लकड़ी की समस्या नहीं रहेगी। क्योंकि जब किसानों को बाजार मिलेगा, तो निश्चित ही एग्रोफोरेस्ट्री का क्षेत्र बढ़ेगा। इसलिए कुछ समय बाद ही स्थिति में सुधार हो जाएगा। हां यूपी में एक दम से ज्यादा युनिट खुलने से सभी को दिक्कत आएगी। फिर भी यह दिक्कत थोड़े वक्त की मानी जा सकती है। इसके बाद फिर सब ठीक हो जाएगा। जहां जहां डिमांड होती है, उसके अनुरूप आपूर्ति भी हो जाती है। यह लकड़ी में भी होगा। इसलिए यूपी में लकड़ी आधारित उद्योग के लाइसेंस खुलने का असर लंबे समय तक रहने वाला नहीं है। जल्द ही यह अपने स्वाभाविक गति पकड़ लेगा।

यूपी ही नहीं दूसरे राज्यों में भी लकड़ी आधारित यूनिट खुल रहे हैं?

जाहिर है इससे बाजार पर असर तो आएगा ही। क्योंकि यूपी में नई यूनिट लगने से बाजार में माल की सप्लाई बढ़ जाएगी। जहां तक बाजार में तैयार माल की सप्लाई बढ़ने का है, तो यह स्थिति तो सभी के लिए है। इससे भी किसी तरह की चिंता की बात नहीं है। कर्नाटक में भी सुना जा रहा है कि नयी फैक्टरी आ रही है, इसी तरह से केरल में भी नए उद्योगों को लाइसेंस मिल रहा है। यह तो समय के साथ होना ही है। निश्चित ही इससे सप्लाई बढ़ेगी। इस वजह से बाजार में कंपटीशन तो होगा। अब जिसके पास गुणवत्ता होगी, वह टिक जाएगा, नहीं तो जो गुणवत्ता से समझौता करेगा उसे दिक्कत आ सकती है। लाइसेंस तो सरकार ने खोले हैं, लेकिन जो उद्योग लगाएंगे, वह बाजार भी देखेगें, इसके बाद ही तय करेगें कि यूनिट लगाना है या नहीं या कब लाना है। क्योंकि सिर्फ लाइसेंस ही नहीं बल्कि किसी यूनिट के लगाने के लिए और भी बहुत कुछ चाहिए होता है। कंपीटिशन हमेशा ही रहता है। कुछ वक्त के लिए जरूर बाजार से कंपटीशन कम या अधिक हो जाए। लेकिन यह व्यवस्था ज्यादा समय तक रहती नहीं है।

अभी क्या स्थिति देख रहे हैं?

अभी तो डिमांड ही कम है। यमुनानगर में आधा उत्पादन हो रहा है। इसलिए समस्या यूपी की नई यूनिटें नहीं है। समस्या कही और है। इसे उसी नजरीए से देखना चाहिए। यूं भी बाजार में डिमांड भी आठ प्रतिशत सालाना बढ़ रही है। इस तरह से देखा जाए तो कम से कम 100 से 150 नई फैक्टरी तो हर साल चाहिए ही। बाकी की फैक्टरी भी अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाएगी। हां यह सही है कि अब आने वाले वक्त में गुणवत्ता बहुत ज्यादा मायने रखेगी। यह स्थिति पहले भी थी, अब भी है और आगे भी यही रहेगी।

लेबर की समस्या आ सकती है क्या?

नहीं देखिए अभी बेरोजगारी की समस्या है, यदि बाजार में काम मिलता है तो लोग काम के लिए आएंगे। यह हो सकता है कि लेबर की लागत बढ़ जाए। यह जरूर होता दिख रहा है। लेकिन इससे होगा यह कि तैयार माल के दाम बढ़ सकते है। बाजार ही सब कुछ है, बाजार खुद ही चीजों के दाम तय करता है। बाजार का अपना एक व्यवहार होता है। वह उसी पर चलता है।

रेट को लेकर भी काफी समस्या है

यह समस्या हमेशा रहती है। खरीददार गुणवत्ता को अनदेखा कर कम से कम दाम पर उत्पादन खरीदना चाहता है। इस तरह का अभ्यास अधिकतर फर्नीचर बनाने वाले करते हैं, क्योंकि कम गुणवत्ता की प्लाईवुड पर वह सनमाइका आदि लगा कर माल तैयार कर लेते हैं। अब यदि एक दो साल के बाद वह फर्नीचर खराब हो भी जाता है तो इस बारे में ग्राहक को पता नहीं चलता। यह भी समस्या लंबे समय से चली आ रही है। फिर भी गुणवत्ता की अपनी वैल्यू है। बाजार में इसके मायने होते हैं।

डक्थ् और पार्टिकल बोर्ड की मार्केट व खपत बढ़ रही है

इनका बाजार भी 25 प्रतिशत तक हो गया है। प्लाईवुड के बाजार पर एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड ने कब्जा किया है। इसकी खपत बढ़ रही है। 2010 में यह दस प्रतिशत थी अब 25 प्रतिशत तक हो गई। प्लाईवुड का बाजार कम हो रहा है, लेकिन एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड का बाजार बढ़ रहा है।

तो क्या इसका असर लकड़ी की आमद पर पड़ सकता है?

ऐसा नहीं लग रहा है। लकड़ी किसान खूब लगा रहा है। एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड के लिए क्योंकि दो से तीन साल की लकड़ी भी प्रयोग में हो जाती है। इसलिए किसान अब दो से तीन साल के पौधे भी कटवा रहे हैं। इससे यह तो तय है कि अब लकड़ी के दाम तो ज्यादा कम नहीं होंगे। किसान भी इस तथ्य को समझ गए हैं। इसलिए लकड़ी पर्याप्त मात्रा में मिलती रहेगी।