Lalit Agarwal Regency Plywood

There is no problem in the market; just the business pattern has changed


Earlier northern India dominated plywood market, but now monopoly is breaking.


How do you see the current market?

There is no change in our turnover or sale. The goods are being sold as much as they used to be sold earlier. Earlier the major part of our procurement was from Yamuna Nagar. Now it has shifted to another place. Right now the sale of medium quality segment has decreased. It has remained just 20 percent. But the demand for high quality and low quality has increased perpendicularly. Those who used to take medium quality earlier has either shifted to the upper end or has come down for the low grade.


So the demand for Yamuna Nagar reduced?

Earlier northern India dominated plywood market, but now monopoly is breaking. Because ply of South and other states have captured their market. Plywood manufacturers of North India are not paying attention to it. While the reality is that UP, Maharashtra, Bihar and Kerala have taken the share of Yamuna Nagar’s plywood. They have also improved their quality comparatively. Plywood manufacturers in northern India, especially Yamuna Nagar, have some problem in their approach. On the contrary, units in UP, have developed them systematically. That’s why who wants quality goods is moving towards UP. Those who want cheaper in quality and rates are attracted to South India.


What difference did MDF make?

MDF is growing rapidly. But its share is very nominal yet. MDF had zero presence earlier, so it is felt that MDF is booming. After Covid, a different trend is developed in the market. Customers are attracted towards readymade furniture. Earlier it was believed that the quality of ply in readymade furniture does not have up to the mark. But now this myth is changing. People do not want the carpenter to stay at their house for months. Instead, they are turning towards OEM or readymade furniture. Secondly, the market of MDF is growing rapidly in furniture’s of call centers etc. We have had a very good experience with OEM. Because a large part of our sales is with OEM. If the market of OEM grows, we will definitely get benefit from it. Because it is not our rival. We have been supplying them regularly.


What is the possibility from the project of Dharavi?

We are not in a position to say much about it right now. Because a very little quantity was asked by them initially which was delivered to them. It seems that they have taken these goods for temporary construction of godown or platform etc. Because it will take time to start the construction of the main project after necessary paperwork. However, some people are also apprehensive that the developers may import from outside as well. However, it is less likely as Indian plywood manufacturers can provide them with better and cheaper material.


What is your reaction to the rate hike?

It seems that its immediate effect will not be reflected in the market. Because North India has announced the increment of rates, but plywood manufacturers of other states can take advantage of it. Because now market has many options. If the rates increases pan India, then only it will be implemented accurately, but increasing the rate from a particular area will only result negatively. There is no concrete reason for the increase in the rate at this juncture. As far as the rate of timber is concerned, it keeps on increasing and decreasing. It is regular phenomena.
Even after The fact that they have also curtailed their production, demand is not generated in the market. Same is the case with laminate. Production is high, demand is low. No particular area or region can dominate the market at present. As many option are available, the market can turn in that direction.



मार्केट में कोई दिक्कत नहीं है, बस व्यापार में तरीके बदल गए हैं


पहले प्लाईवुड में उत्तरी भारत का दबदबा था, लेकिन अब यह टूट रहा है।


मौजूदा बाजार को आप किस तरह से देखते हैं

सेल या टर्नओवर में कोई बदलाव नहीं आया। माल उतना ही बिक रहा है, जितना पहले बिकता था। यह सही है कि पहले यमुनानगर के माल की हिस्सेदारी अधिक थी। अब दूसरी जगह शिफ्ट हो रहे हैं। अभी मध्यम क्वालिटी के माल की बिक्री कम हो गई। यह सिर्फ 20 प्रतिशत रह गया। लेकिन उच्च क्वालिटी और निम्न क्वालिटी की मांग बढ़ गई है। पहले जो मध्यम दर्जे की क्वालिटी लेता था, वह या तो हाई में चला गया, या निम्न में आ गया है।


तो यमुनानगर की मांग कम हुई है

पहले प्लाईवुड में उत्तरी भारत का दबदबा था, लेकिन अब यह टूट रहा है। क्योंकि साउथ और दूसरे राज्यों की प्लाई ने उनका बाजार ले लिया है। उत्तर भारत के प्लाईवुड निर्माता इस तथ्य की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि यमुनानगर के प्लाईवुड का हिस्सा यूपी, महाराष्ट्र, बिहार और केरल ने लिया है। उन्होंने अपनी क्वालिटी में भी तुलनात्मक सुधार किया है। उत्तरी भारत खासतौर पर यमुनानगर के प्लाईवुड निर्माता के सिस्टम में कोई दिक्कत हैं। इसके विपरीत यूपी के युनिट सिस्टेमैटिक होते जा रहे हैं। इसलिए जिसे क्वालिटी का माल चाहिए, वह यूपी की ओर जा रहा है। जिसे कम गुणवत्ता का सस्ता माल चाहिए, वह दक्षिण भारत की ओर आ रहा है।


एमडीएफ से क्या फर्क पड़ा

एमडीएफ तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन इसका हिस्सा अभी बहुत कम है। एमडीएफ पहले बिल्कुल नहीं था, इसलिए ऐसा लगता है कि एमडीएफ तेजी से बढ़ रहा है। कोविड के बाद से बाजार में एक अलग तरह का रुझान आया है। ग्राहक रेडीमेड फर्नीचर की ओर आकर्षित हो रहे हैं। पहले यह माना जाता था कि रेडीमेड फर्नीचर में प्लाई की गुणवत्ता सही नहीं होती। लेकिन अब यह सोच बदल रही है। अब लोग यह नहीं चाह रहे हैं कि उनके घर पर कारपेंटर महीनों तक रहे। इसकी जगह वह रेडीमेड फर्नीचर की ओर जा रहे हैं। दूसरा एमडीएफ का बाजार कॉल सेंटर आदि के फर्नीचर में तेजी से बढ़ रहा है। OEM के साथ हमारा खासा अच्छा अनुभव रहा है। क्योंकि हमारी सेल का बड़ा हिस्सा OEM में जा रहा है। OEM का यदि बाजार बढ़ता है तो हमें इससे फायदा ही होगा। क्योंकि यह हमारा प्रतिद्वंद्वी नहीं है। हम पहले भी यहां सप्लाई करते रहे हैं।


धारावी के प्रोजेक्ट से क्या संभावना है

इस बारे में अभी ज्यादा कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। क्योंकि अभी उन्हें थोड़ा माल चाहिए था, वह उपलब्ध कराया गया है। ऐसा लग रहा है कि यह माल वह अस्थायी गोदाम या प्लेटफार्म आदि बनाने के लिए ले रहे हैं। क्योंकि आवश्यक कागजी कार्यवाही के बाद यहां मेन प्रोजेक्ट के निर्माण की शुरु होने में समय लगेगा। हालांकि कुछ लोगों को यह भी आशंका है कि वह बाहर से आयात भी कर सकते हैं। हालांकि इसकी संभावना कम है, क्योंकि भारतीय प्लाइवुड निर्माता उन्हें अच्छा व सस्ता माल उपलब्ध करा सकते हैं।


रेट बढ़ाने को लेकर आप की क्या प्रतिक्रिया है

ऐसा लग रहा कि इसका तत्कालिक असर ज्यादा नहीं होगा। क्योंकि उत्तरी भारत रेट बढ़ा रहे हैं, लेकिन इसका लाभ दूसरे राज्यों के प्लाईवुड निर्माता उठा सकते हैं। क्योंकि अब बाजार में कई विकल्प है। पेन इंडिया यदि रेट बढ़ते हैं तो कुछ लाभ हो सकता है, लेकिन क्षेत्र विशेष से रेट बढ़ाने से नुकसान ही होगा। जो रेट इस वक्त बढ़ाया गया, इसका कोई ठोस कारण भी नजर नहीं आ रहा है। जहां तक लकड़ी के रेट की बात है तो यह बढ़ता घटता रहता है। यह रोजमर्रा की कहानी है।

उन्होंने अपना उत्पादन भी आधा कर दिया है। इसके बाद भी बाजार में डिमांड नहीं आ रही है। लेमीनेट में भी यही हाल हो रखा है। उत्पादन ज्यादा हो गया है, मांग कम है। अब वह वक्त नहीं है कि माल पर किसी एक क्षेत्र या एरिया का एकाधिकार है। आज विकल्प मौजूद है, बाजार उस ओर मुड़ सकता हैं।

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