Most consumers wary of stricter rules for online card use
- January 24, 2022
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At least 82 per cent consumers consider it would be somewhat or extremely inconvenient for them to re-enter all their details for every card-based online payment, said a nationwide survey on popular opinion conducted in view of the central bank’s new security guidelines.
The Consumer Unity and Trust Society (CUTS) survey found consumers think they are likely to face several risks, if they re-enter all their details for card-based online payments. This included risk of transaction failure due to entering incorrect card details for every transaction (44 per cent), and risk of exposing their confidential card-details to third persons while making payments in public (42 per cent).
The online survey–conducted among 1,100 respondents–found fears of risks is likely to make 28 per cent of consumers shift to paying cash on delivery.
The Reserve Bank of India’s (RBI) circular on “Card Transactions: Permitting Card-on-File Tokenization (CoFT) Services” (tokenization), dated September 7, 2021, read with the ‘Guidelines on Regulation of Payment Aggregators (PA)and Payment Gateways (PG)’, bars merchants from storing consumers’ card details from January 1, 2022. It instead permits CoFT, and directs merchants to purge the card details currently stored with them by this date.
The survey found that consumers are more likely to store their card details with merchants they transact with frequently. It showed that consumers are aware of possible risks involved in storing their card details with online service providers.
As many as 57 per cent consumers said they trusted different stakeholders of card-based online payments, and they stored their card details online despite the risks. Other notable reasons for storing card details online included convenience (58 per cent) and benefits in the form of cash backs/rewards (57 per cent).
This highlights strong consumer preference towards storing card-details online, along with the extent of adverse impact of lack of timely operationalisation of tokenization.
ऑनलाइन भुगतान में हर बार कार्ड का ब्योरा देना असुविधाजनक
कंज्यूमर यूनिटी ऐंड ट्रस्ट सोसायटी (कट्स) की ओर से देश भर में कराए गए एक सर्वें में 82 प्रतिशत ग्राहकों ने कहा है कि हर कार्ड आधारित ऑनलाइन भुगतान में कार्ड का पूरा ब्योरा फिर से डालना बहुत ज्यादा असुविधाजनक है।
सर्वे में यह भी पाया गया है कि अगर उन्हें अपने कार्ड के सभी ब्योरे फिर से डालने के लिए बाध्य होना पड़ता है तो इससे कुछ जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। इसमें कार्ड का गलत ब्योरा डालने पर लेन-देन असफल होना (44 प्रतिशत) और सार्वजनिक रुप से भुगतान करने पर कार्ड का गोपनीय ब्योरा किसी तीसरे व्यक्ति को जाना (42 प्रतिशत) शामिल है।
इस सर्वे में 1100 लोग शामिल हुए। इससे यह भी पता चलता है कि इस तरह की चुनौतियों और जोखिम के कारण 28 प्रतिशत ग्राहक कैश ऑन डिलिवरी पसंद करते हैं, जहां यह सुविधा लागू हो।
भारतीय रिजर्व बैंक के 7 सितंबर के एक सर्कुलर कार्ड ट्रांजैक्शन परमिटिंग कार्ड ऑन फाइल टोकनिज्म (कोफ्ट) सर्विसेज में 1 जनवरी से मर्चेंट्स को ग्राहकों के कार्ड का ब्योरा रखने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसमें व्यापारियों को इस तिथि तक कार्ड का ब्योरा हटाने का वक्त दिया गया है, जो उनके पास मौजूद है।
सर्वे में यह भी पाया गया है कि ग्राहक उन मर्चेंट्स के पास अपने कार्ड का ब्योरा सुरक्षित करते हैं, जहां वे अक्सर खरीदारी करते हैं। इसमें आगे कहा गया है कि ग्राहक अपने कार्ड के ब्योरे को भंडारित किए जाने के जोखिम से वाकिफ हैं।
बहरहाल 57 प्रतिशत ग्राहकों का दावा है कि कार्ड आधारित ऑनलाइन भुगतानों में हिस्सेदारों पर भरोसा होता है और जोखिम के बावजूद वे अपने कार्ड का ऑनलाइन ब्योरा सुरक्षित करते हैं। कार्ड का ब्योरा सुरक्षित करने की और प्रमुख वजहों मं सुविधा (58 प्रतिशत) व कैश बैक और रिवार्ड के रूप में लाभ (57 प्रतिशत) शामिल है।
इससे ऑनलाइन भुगतान में कार्ड कां ब्योरा सुरक्षित करने को लेकर ग्राहकों की तरजीह का पता चलता है।