New I-Tax Regime will be the default option
- March 14, 2023
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The income-tax (I-T) department has started on a system-driven mechanism that will generate the calculation of both the old and the new tax scheme based on income and investment of taxpayers, helping them make an informed choice.
While filing income-tax returns (ITR), the system will automatically generate the total money taxpayers will save on both schemes, helping them choose the one most beneficial to them. The system will also compare the two schemes in an easy-to-understand format.
Moreover, the new tax regime will be the default option unless a taxpayer selects the old regime. And there will be no option available, to the late ITR tillers for the old regime.
The move will help the government achieve its target of making two-thirds, or 50-60 per cent, of taxpayers switch to the new regime in the next fiscal year. An official estimation says about 12.5 million taxpayers fall in the Rs.5-7 lakh I-T slab-a cohort likely to move to the new regime.
The Union Budget 2023-24 revamped the new tax regime for individuals by changing the I-T slabs, besides raising the rebate from Rs.5 lakh to Rs.7 lakh under the new regime.
Under the new revamped tax regime, an individual with annual income up to Rs.3 lakh will not have to pay any tax (against an earlier limit of 2.5 lakh). Further, it proposes a
5 per cent tax for income between Rs.3 and Rs.6 lakh,
10 per cent for income between Rs.6 and Rs.9 lakh,
15 per cent for income between Rs.9 and Rs.12 lakh,
20 per cent for income between Rs.12 lakh and Rs.15 lakh,
and 30 per cent for income above 15 lakh.
This will result in a 25 per cent reduction in tax liability for individuals with income up to Rs. 9 lakh and a roughly 20 per cent reduction in tax liability for individuals with income up to Rs.15 lakh.
According to data shared by the government in the Lok Sabha there were over 41 million individual taxpayers who reported income up to Rs. 5 lakh in assessment year (AY) 2021-22.
There were also 14 million taxpayers who reported income between Rs.5 lakh and Rs. 10 lakh, while the total returns filed in AY 2021-22 was over Rs.6.3 crore.
These taxpayers will not have to pay any tax in AY 2024-25, provided their annual income is not above the Rs. 7 lakh limit.
In line with the latest data on the ITR filing website, as many as 7,54,79,837 tax returns were filed in AY 2022-23.
नई आय-कर व्यवस्था डिफ़ॉल्ट विकल्प होगी
आयकर (आई-टी) विभाग ने एक प्रणाली-संचालित तंत्र की शुरूआत की है जो करदाताओं की आय और निवेश के आधार पर पुरानी और नई कर योजना दोनों की गणना करेगा, जिससे उन्हें बेहतर विकल्प चुनने में मदद मिलेगी।
आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करते समय, सिस्टम स्वचालित रूप से बतायेगा कि करदाता दोनों योजनाओं में कितनी बचत कर सकते है, जिससे उन्हें अधिक लाभकारी योजना चुनने में मदद मिलेगी। यह प्रणाली दोनों योजनाओं के तुलनात्मक विश्लेषण को आसान प्रारूप में समझाएगी।
इसके अलावा, अगर कोई करदाता पुरानी व्यवस्था का चयन नहीं करेगा तब तक नई कर व्यवस्था ही डिफ़ॉल्ट विकल्प होगी। और due date के बाद लेट थ्पसपदह करने वालों के पास पुराने सिस्टम में जाने का विक्लप भी नहीं रहेगा।
इस कदम से सरकार को अगले वित्तीय वर्ष में दो-तिहाई या 50-60 प्रतिशत करदाताओं को नई व्यवस्था में लाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। एक आधिकारिक अनुमान कहता है, कि लगभग 1.25 करोंड़ करदाता जो Rs.5-7 लाख आई-टी स्लैब में आते हैं जिनकी नए शासन में जाने की संभावना है।
केंद्रीय बजट 2023-24 ने नई व्यवस्था के तहत छूट को Rs.5 लाख से बढ़ाकरRs.7 लाख करने के अलावा, प्.ज् स्लैब में बदलाव करके व्यक्तियों के लिए नई कर व्यवस्था को नया रूप दिया है।
नई संशोधित कर व्यवस्था के तहत, Rs.3 लाख तक की वार्षिक आय वाले व्यक्ति को कोई कर नहीं देना होगा (पहले की सीमा 2.5 लाख के मुकाबले)। इसके अलावा
इसमें Rs.3 और Rs. 6 लाख के बीच आय के लिए 5 प्रतिशत करए
Rs. 6 औरRs. 9 लाख के बीच आय के लिए 10 प्रतिशत,
Rs. 9 और Rs.2 लाख के बीच आय के लिए 15 प्रतिशत,
Rs.12 लाख और Rs.15 लाख के बीच आय के लिए 20 प्रतिशत,
और 15 लाख से अधिक आय के लिए 30 प्रतिशत कर प्रस्तावित है।
इसके परिणामस्वरूप Rs.9 लाख तक की आय वाले व्यक्तियों के लिए कर देयता में 25 प्रतिशत की कमी आएगी औरRs. 15 लाख तक की आय वाले व्यक्तियों के लिए कर देयता में लगभग 20 प्रतिशत की कमी आएगी।
13 फरवरी को लोकसभा में सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 4.1 करोड़ से अधिक व्यक्तिगत करदाताओं ने आकलन वर्ष (।AY) 2021-22 मेंRs. 5 लाख तक की आय घोषित की थी।
1.4 करोड़ ऐसे करदाता थे, जिनकी आय 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच थी, जबकि निर्धारण वर्ष 2021-22 में दाखिल कुल रिटर्न 6.3 करोड़ रुपये से अधिक था।
इन करदाताओं को निर्धारण वर्ष 2024-25 में कोई कर नहीं देना होगा, बशर्ते उनकी वार्षिक आय Rs.7 लाख की सीमा से अधिक न हो।
आईटीआर फाइलिंग वेबसाइट पर नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, निर्धारण वर्ष 2022-23 में 7,54,79,837 टैक्स रिटर्न दाखिल किए गए थे।
Neeraj Garg