Ramping up investment in research and development (R&D) will be key for India to become the third largest economy, and increased investment from the private sector will be vital for this, the Economic Survey said.

“Mere reliance on ‘jugaad innovation’ risks missing the crucial opportunity to innovate our way into the future. This requires a major thrust on R&D by the business sector. India’s resident firms must increase their share in total patents to a level commensurate to our status as the fifth largest economy in current US dollars. India must also focus on strengthening institutions and business sophistication to improve its performance on innovation outputs,” the Survey noted.

Though India was ranked 48th among 131 innovating countries in the Global Innovation Index (GII) 2020, a huge leap from 81st in 2015, the Survey noted that the government does the heavy lifting on R&D and there is a need for businesses to contribute more to the sector.

India’s gross expenditure on R&D is 0.65 per cent of its gross domestic product (GDP), significantly lower than the 1.5-3 per cent of GDP spent by the top 10 economies. It remains low despite the Centre’s higher contribution to GERD (gross domestic expenditure on R&D).

“India’s business sector needs to rise to the occasion and significantly ramp up its gross expenditure on R&D to a level commensurate to India’s status as the fifth largest economy.

The Survey compared India’s journey to that of China, which formulated a 15-year “Medium to Long-Term Plan (MLP) for the Development of Science and Technology” in 2006 to become an innovation-led economy.

While the Economic Survey has talked about the importance of innovation, some of India’s largest companies have been reducing the amount they dedicate to research and development (R&D).

Most of the spend came from a few companies. The automobile sector has been a large spender on innovation. Another sector that has contributed large amounts to R&D is the pharmaceutical industry. Metal and capital goods companies also spent in excess of `100 crore on R&D.

Global R&D spends are significantly higher for individual companies.

“India must focus on improving its performance on institutions and business sophistication innovation inputs. These are expected to result in higher improvement in innovation output,” the Survey added.


जुगाड़ नहीं: कारोबारियों को R & D खर्च बढ़ाना चाहिए

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि अनुसंधान और विकास में निवेश को बढ़ावा देना भारत की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए महत्वपूर्ण होगा, और निजी क्षेत्र द्वारा बढ़ा हुआ निवेश महत्वपूर्ण होगा।

सिर्फ जुगाड़ इनोवेशन पर निर्भरता ने भविष्य में हमारे रास्ते को नया करने का महत्वपूर्ण अवसर खो रहे है। इसके लिए व्यावसायिक क्षेत्र द्वारा अनुसंधान एवं विकास पर प्रमुखता से जोर देने की आवश्यकता है। कुल पेटेंट में अपना हिस्सा बढ़ाकर भारत की फर्मों को हमारी स्थिति के स्तर तक ले जाना चाहिए, जो वर्तमान अमेरिकी डाॅलर में पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत को नवप्रवर्तन आउटपुट पर अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए संस्थानों और व्यावसायिक परिष्कार को मजबूत करने पर भी ध्यान देना चाहिए, सर्वेक्षण में कहा गया है।

हालांकि भारत को ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) 2020 में 131 नवोन्मेशी देशों में 48वां स्थान दिया गया था, जो कि 2015 में 81 वीं से एक बड़ी छलांग है लेकिन सर्वेक्षण ने कहा कि सरकार ही R & D पर अधिक खर्च करती है जबकि निजी क्षेत्र द्वारा अधिक योगदान देने की आवश्यकता है।

आरएंडडी पर भारत का सकल व्यय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.65 प्रतिशत है, जो शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं द्वारा खर्च किए गए जीडीपी के 1.5-3 प्रतिशत से काफी कम है। यह GERD में केंद्र के उच्च योगदान ( R & D पर सकल घरेलू व्यय) के बावजूद कम बना हुआ है।

भारत के व्यापार क्षेत्र को इस अवसर को भुनाने की जरूरत है और आरएंडडी पर अपने सकल व्यय को बढ़ाकर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की स्थिति के स्तर पर पहुँचाने की आवश्यकता है।

सर्वेक्षण ने भारत की चीन की यात्रा से तुलना की, जिसने 2006 में एक नवाचार-प्रधान अर्थव्यवस्था बनने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के लिए मध्यम से दीर्घकालिक योजना (एमएलपी) तैयार की थी।

हालांकि आर्थिक सर्वेक्षण ने नवाचार के महत्व के बारे में बात की है, वस्तुतः भारत की कुछ बड़ी कंपनियां अनुसंधान और विकास के लिए समर्पित राशि को कम कर रही हैं (आरएंडडी)।
ज्यादातर खर्च कुछ कंपनियों से आया। आॅटोमोबाइल सेक्टर इनोवेशन पर बड़ा खर्च करता है। एक और क्षेत्र जिसने आरएंडडी में बड़ी मात्रा में योगदान दिया है वह है फार्मास्युटिकल उद्योग। धातु और पूंजीगत सामान कंपनियों ने भी आर एंड डी पर 100 करोड़ रूपये से अधिक खर्च किए।

व्यक्तिगत कंपनियों में ग्लोबल आरएंडडी का खर्च काफी अधिक है।

’’भारत को संस्थानों और व्यावसायिक परिष्कार नवाचार आदानों पर अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए। इनोवेशन आउटपुट में उच्च सुधार की उम्मीद और आवश्यकता है, ‘‘सर्वेक्षण में कहा गया है।