Oil prices may go up


A day after the Organization of the Petroleum Exporting Countries (OPEC) and its partners, such as Russia, announced a cut in OPEC+ crude oil output by 2 million barrels per day (bpd), analysts said they expect pump prices for fuel to go up soon in India.

Economists have called OPEC, an intergovernmental organization of 13 major oil-producing nations, a ‘cartel. Member countries accounted for an estimated 44 per cent of global oil production and 81.5 per cent of the world’s ‘proven’ oil reserves as of 2018.

Major oil-producing countries have agreed to slash production (and thus keep prices higher) against US wishes, as the West is hit with high energy prices amid Russia’s war on Ukraine.

The Production cut will lead to 2 per cent of global oil supply going offline starting November. As a result, oil price are headed for choppy waters ahead, analysts feel.

“The government had not raised retail prices of fuel for some time now, especially when retail prices in India were lower by 12-14 per liter as compared to international prices. As a result, most oil marketing companies (OMCs) posted a revenue loss in Q1 FY2023. The OMCs will remove their losses before reducing prices further, “

As for the effect of this decision by OPEC+, “two major consequences are seen. Economically, it will Keep Inflation elevated for longer, forcing the Federal Reserve and every other, major central bank into even more restrictive monetary policies, increasing the odds of a global recession.

Politically, it’s a boost for Russian President Vladimir Putin in two ways. It channels more money to the Kremlin….. And it signals that Riyadh is in the Russian camp, willing to publicly snub Washington.”


Action Tesa   Asean Plywood


महंगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल


पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों के संगठन (ओपेक) और उसके साझेदारों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में 20 लाख बैरल कटौती की घोषणा किए जाने के एक दिन बाद विश्लेषकों ने कहा है कि उन्हें भारत में ईंधन की कीमतों में जल्द बढ़ोतरी की उम्मीद लग रही है।

तेल उत्पादन करने वाले सभी 13 प्रमुख देशों के संगठन, जिसमें सऊदी अरब, ईरान, इराक, और वेनेजुएला के साथ अन्य शामिल हैं, इन्हें अर्थशास्त्रियों ने कार्टेल बताया है। इसके सदस्य देश वैश्विक तेल उत्पादन का 44 प्रतिशत उत्पादन करते हैं और 2018 तक के आंकडों के मुताबिक मिले तेल भंडारों में 81.5 प्रतिशत इनके पास है।

प्रमुख तेल उत्पादक देश अमेरिका की इच्छा के विरुद्ध उत्पादन कम करने (और इस प्रकार कीमतें अधिक रखने) के लिए सहमत हुए हैं, क्योंकि यूक्रेन पर रूस के युद्ध के बीच पश्चिम उच्च ऊर्जा कीमतों से प्रभावित है।

उत्पादन में कटौती से नवंबर से तेल की वैश्विक आपूर्ति 2 प्रतिशत कम हो जाएगी। विश्लेषकों का कहना है कि इसके कारण आगें चलकर तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं ।

‘‘सरकार ने पिछले कुछ समय से ईंधन के खुदरा दाम में बढ़ोतरी नहीं की है, खासकर उस समय जब भारत में खुदरा दाम अंतराष्ट्रीय मूल्य की तुलना में 12 से 14 प्रतिशत कम थे। इसकी वजह से वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में ज्यादा तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को राजस्व का नुकसान हुआ है। ओएमसी आगे कीमतें कम करने के पहले अपने नुकसान की भरपाई करेंगी।‘‘

जहां तक ओपेक$ के इस निर्णय के प्रभाव की बात है, दो प्रमुख परिणाम हो सकते हैं। ‘‘आर्थिक रूप से, यह मुद्रास्फीति को लंबे समय तक ऊंचा रखेगा, फेडरल रिजर्व और हर दूसरे, प्रमुख केंद्रीय बैंक को और भी अधिक प्रतिबंधात्मक मौद्रिक नीतियों में मजबूर करेगा, जिससे वैश्विक मंदी की संभावना बढ़ जाएगी।

राजनीतिक रूप से, यह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए दो तरह से एक बढ़ावा है। यह क्रेमलिन को अधिक पैसा भेजता है .. और यह संकेत देता है कि रियाद रूसी खेमे में है, जो सार्वजनिक रूप से वाशिंगटन को नीचा दिखाने के लिए तैयार है।”


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