Subramanian bats for Pant-Pujara

Chief Economic Advisor (CEA) Krishnamurthy Subramanian highlighted the contrasting batting styles of cricketers Rishabh Pant and Cheteshwar Pujara in India’s recent test series victory against Australia as providing a template of the varying approaches Indian policymakers could take while putting the economy back on track.

“Like in cricket, even in economy, planning matters. When the ball is swinging around a lot, when there is a lot of uncertainty, you need to play carefully and focus on survival. Essentially, when the ball is swinging, bat like Pujara and when swing is gone, bat like Pant, which is what Indian policymakers should focus on,” he said during the press conference on the Economic Survey for 2020-21.

Subramanian said this Survey is dedicated to Covid-19 warriors, who supported the country during the once-in-a-century crisis.

India focused on saving lives and livelihoods. It took short-term pain for long-term gains. While gross domestic product (GDP) growth will recover (and it has), lost human lives cannot be brought back. This was humane principle that guided India’s policy response. India was the only country to announce a slew of structural reforms,” the CEA said.

Even if India were to have the real GDP growth rate as low as 3.8 per cent each year from FY23 to FY29, debt will still come down, Subramanian said. He added that the private sector needs to contribute more to innovation and research and development.

Subramanian said excessive regulation leads to excessive and opaque supervision and exercise of discretion, making a pitch for simple regulation and transparent supervision.

“India’s demand side measures were also different from other countries, were more calibrated, recognising the simple idea that pushing the accelerator works only when brakes are removed. Mega vaccination drive should enable recovery in services. V-shaped economic recovery without a second wave makes India a sui generis case in mature policymaking,” the CEA said.

अर्थव्यवस्था में पंत-पुजारा जैसी रणनीति की जरूरत


वित्त मंत्रालय के सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने अर्थव्यवस्था को दोबारा से पटरी पर लाने के लिए क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की हालिया जीत में ऋषभ पंत और चेतेश्वर पुजारा द्वारा दिखाए जुझारूपन से प्रेरणा लेने की बात कही है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) ने 2020-21 की आर्थिक समीक्षा पर प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, ‘क्रिकेट की तरह ही अर्थव्यवस्था में भी योजना बनाने का महत्त्व है। जब गेंद बहुत अधिक घूम रहा हो, जब बहुत अधिक अनिश्चितता हो तब आपको ध्यानपूर्वक खेलने की जरूरत होती है और खुद को बचाए रखने पर ध्यान देना होता है। मूल बात यह है कि जब गेंद घूम रहा हो तो पुजारा की तरह बैटिंग करें और जब गेंद का घूमना रुक जाए तब पंत की तरह बैटिंग करें। इसी रणनीति पर देश की अर्थव्यवस्था और नीति निर्माताओं को ध्यान देना चाहिए।’

कृष्णमूर्ति ने कहा कि यह समीक्षा समूचे कोविड-19 योद्घाओं को समर्पित है जिन्होंने शताब्दी में एक बार आने वाले संकट के दौरान देश को संभाला।

वृद्घि को लेकर उन्होंने कहा, ‘भारत ने जीवन और आजीविका को बचाने पर ध्यान दिया। इसने दीर्घावधि के फायदों के लिए लघु अवधि का दर्द झेला। एक ओर जहां सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सुधार होगा और हो रहा है वहीं जिनकी जान गई उन्हें वापस नहीं लाया जा सकता है। मानवीय सिद्घांत ने भारत की नीतिगत प्रतिक्रिया को निर्देशित किया।’ भारत के कोविड-19 नीतिगत प्रतिक्रिया पर बोलते हुए सीईए ने कहा उस दौरान एक साथ कई सारे ढांचागत सुधारों की घोषित करने वाला भारत एकमात्र देश है।

सुब्रमण्यन ने कहा कि अगर भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 23 से वित्त वर्ष 29 तक हर साल 3.8 प्रतिशत के निचले स्तर पर रहती है, तब भी कर्ज कम होगा। उन्होंने आगे कहा कि निजी क्षेत्र को नवोन्मेष और शोध एवं विकास में ज्यादा हिस्सेदारी करने की जरूरत है। सर्वे के मुताबिक अगर शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं की तुलना की जाए तो भारत के सकल आरऐंडडी व्यय में उद्योग क्षेत्र की हिस्सेदारी सरकार की तुलना में बहुत कम है।

बहुत ज्यादा नियमन से बहुत ज्यादा पर्यवेक्षण की जरूरत होती है और इसमें विवेकाधीन मामले बढ़ जाते हैं, जिसे देखते हुए सीईए ने आसान नियमन और पारदर्शी पर्यवेक्षण पर जोर दिया है।

समीक्षा में अपनी प्रतिक्रिया सीईए ने कहा है, ‘अन्य देशों की तुलना में मांग के क्षेत्र में भारत के कदम भी अलग हैं, जहां एक सामान्य विचार आता है कि गति देने वाले कामों पर जोर देने से ही व्यवधान खत्म हो जाते हैं। बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान से सेवाओं की रिकवरी तेज होगी। महामारी के दूसरी लहर के बगैर वी आकार की आर्थिक रिकवरी परिवक्व नीति निर्माण का उदाहरण है।’

Tajpuria   Asean Plywood    Kathputli