Plywood industries feel the heat by the orders of NGT on Formaldehyde Units
- June 23, 2021
- 0
The All India Plywood Manufacturers Association has strongly criticized the NGT’s strictness on the Formaldehyde manufacturers running without Environment Clearance (EC). Association President Devendra Chawla said that this decision of NGT is very fatal for the industry. Due to this, not only the formaldehyde unit is in problem, but the plywood industry will be badly affected, Impacting farmers doing agro-forestry and timber cultivation.
Devendra Chawla said that this decision came at a time when the whole country is trying to recover from the impact of second phase of Kovid. The industry is already in trouble. Production is almost low as there is no demand. It was expected that the government should cooperate with the industry, but present decision will force the industry to close, which are already brisk walking.
AIPMA chairman Naresh Tiwari said that the Association condemns this decision. Along with this, it was also decided that this matter would be taken up in legal and administrative manner. For this, the Association has formed a ‘Legal Advisory and Dispute Management Committee‘ with members from six states. Its president will be Devendra Chawla and Naresh Tiwari will act as Chairman. Inderjit Singh Sohal, Vishal Juneja from Punjab, Ajay Maniktala, Bimal Chopra, Ajay Oberoi, Rajneesh Arora, Sant Kwatra, Arun Kumar Mongia, Satish Chopra, Vikas Verma from Haryana, Ashok Agarwal, Varindra Agarwal, Sanjay Rajkripal, Ashok Agarwal Tajpuria from Uttar Pradesh, Vikas Khanna, Manish Kedia, Sunil Goyal, Surendra Arora from Delhi NCR, Gopal Agarwal Lalit ji from Rajasthan, Virendra Jindal and Ramesh Mida from Uttarakhand have been included. Arun Kumar Mongia Gen. Secretary, AIPMA said that this problem will be tackled jointly.
The NGT has issued an order on June 3, ordering the immediate closure of all such factories, which do not have EC. The NGT also questioned the state government, why such factories are in operation. After this order, there is a possibility of closure of the factories producing formal dehyde once again.
Manufacturers of formaldehyde says that the norms of NGT for EC are very strict. As because the order says that EC has to be availed before the factory is commissioned. How can the factory which is already running now can fulfill this rule? The manufacturers said further that this decision is very impractical. Because it is very difficult to fulfill the rules. Sufficient time should be given in the matter.
Plywood industry is once again in trouble due to the decision of the NGT. Because formaldehyde is a prime raw material in plywood. Due to the closure of such units, other complying units has taken advantage by increasing the rates to meet the demand.
Plywood manufacturers told that this has happened earlier. This time also the rates has been increased rapidly. The rates has now increased to R24 from R18. There are seven factories in Yamunanagar after 2006, which do not have EC.
Haryana Plywood Manufacturers Association president JK Bihani said that they have demanded from the state government to intervene in this matter and find a amicable solution. Because if the formaldehyde factories have to shutdown the plywood industry will suffer at large.
Nirmal Kashyap, RO of the State Pollution Control Board said that according to the strict orders of NGT, further action is being taken.
Vimal Chapra of Metro Plywood says that the decision of NGT on Formaldehyde is disappointing when the state government has given permission to run the units, why is NGT banning it. In a conversation with The Ply Insight, he said that now it should be discussed how to regularize it. The work of regularizing the unit should be done by some relaxation in the rules. He said that penalty of R50 lakh in this case is also exorbitant. All the affected industrialists should come together to find a solution to this matter legally also.
प्लाइवुड इंडस्ट्री में फार्मलडीहाइड यूनिटों पर एनजीटी के आदेषों की तपिष
बिना इन्वाॅयरमेंट क्लीयरेंस EC के चल रही फार्मल डीहाइड की फैक्ट्रियों पर एनजीटी की सख्ती की आल इंडिया प्लाइवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने कड़ी आलोचना की है। एसोसिएशन के प्रेजिडेंट देवेंद्र चावला ने कहा कि एनजीटी का यह निर्णय इंडस्ट्री के लिए बहुत ही घातक है। इससे फार्मल डीहाइड यूनिट को ही दिक्कत नहीं है, बल्कि प्लाइवुड इंडस्ट्री भी बुरी तरह से प्रभावित होगी। इसका असर कृषि वानिकी और लकड़ी की खेती करने वाले किसानों पर भी आएगा।
देवेंद्र चावला ने बताया कि यह निर्णय ऐसे वक्त आया है, जब पूरा देश कोविड संक्रमण से दो चार हो रहा है। इंडस्ट्री पहले ही दिक्कतों में हैं। डिमांड है नहीं, जिससे उत्पादन भी नहीं हो पा रहा है। होना तो यह चाहिए कि सरकार उद्योग को सहयोग करें, लेकिन हो यह रहा है कि जो उद्योग किसी तरह से चल रहे हैं, उन्हें भी बंद कराया जा रहा है।
एसोसिएशन के चेयरमैन नरेश तिवारी ने कहा कि एसोसिएशन इस निर्णय की निंदा करती है। इसके साथ ही यह भी तय किया गया कि इस मामले को कानूनी व प्रशासनिक तरीके से उठाया जाएगा। इसके लिए एसोसिएशन ने छह राज्यों के सदस्यों के साथ लीगल एडवाइजरी एंड डिस्प्यूट मैनेजमेंट कमेटी का गठन किया है। इसके प्रेजिडेंट देवेंद्र चावला होंगे। नरेश तिवारी को चेयरमैन बनाया गया है। पंजाब से इंद्रजीत सिंह सोहल, विशाल जुनेजा, हरियाणा से अजय मानकटाला, बिमल चोपड़ा, अजय ओबराय, रजनीश अरोड़ा, संत क्वात्रा, अरूण कुमार मोंगिया, सतीश चैपड़ा, विकास वर्मा, उत्तर प्रदेश से अशोक अग्रवाल, वरिंद्र अग्रवाल, संजय राजकृपाल, अशोक अग्रवाल ताजपुरिया, दिल्ली एनसीआर से विकास खन्ना, मनीश केडिया, सुनिल गोयल, सुरेंद्र अरोड़ा, राजस्थान से गोपाल अग्रवाल, ललीत जी एवं उत्तराखंड से वीरेंद्र जिंदल और रमेश मिडा को शामिल किया गया है। यह जानकारी देते हुए एसोसिएशन के सेक्रेटेरी अरूण कुमार मोंगिया बताया कि मिल-जुल कर इस समस्या का समाधान निकाला जाएगा।
एनजीटी ने तीन जून को एक आदेश जारी कर ऐसी सभी फैक्ट्रियों को तुरंत बंद करने के आदेश दिए हैं, जिन पर EC नहीं है। एनजीटी ने राज्य सरकार पर भी सवाल उठाया, क्यों इस तरह की फैक्ट्रियां अब तक चल रही है। इस आदेश के बाद एक बार फिर से फाॅर्मलडिहाइड बनाने वाली फैक्ट्रियों के बंद होने के आसार बन गए हैं।
फार्मल डीहाइड बनाने वालों का कहना है कि इसके लिए एनजीटी के जो नार्मस हैं वह बेहद सख्त हैं। क्योंकि आदेश में यह कहा गया कि फैक्ट्री बनने से पहले ही ईसी लेना है। अब जो फैक्टरी चल रही है, वह कैसे इस नियम पर खरी उतर सकती है? इसके अलावा यूनिट संचालकों ने बताया कि यह निर्णय बहुत ही अव्यवहारिक है। क्योंकि जो नियम बनाए गए, उन्हें जल्द पूरा कर पाना संभव नहीं है। इसके लिए पर्याप्त वक्त देना चाहिए।
इधर एनजीटी के निर्णय से एक बार फिर से प्लाइवुड उद्योग के सामने दिक्कत आ गई है। क्योंकि फार्मल डीहाइड प्लाइवुड में कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इन यूनिटों के बंद होने से जो दूसरी यूनिट नियमों पर खरी उतरती है, उन्होंने डिमांड बढ़ने का फायदा उठा कर दाम बढ़ा दिया है।
प्लाइवुड संचालकों ने बताया कि पहले भी ऐसा हो चुका है। इस बार भी रेट तेजी से बढ़ गए हैं। जो रेट पहले 18 रुपये थे, वह बढ़ कर अब 24 रुपये हो गए हैं। यमुनानगर में 2006 के बाद की सात फैक्टरी ऐसी है, जिनके पास ईसी नहीं है।
हरियाणा प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जेके बिहानी ने बताया कि एनजीटी के आदेश के बाद उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि इस मामले में हस्तक्षेप कर बीच का रास्ता निकाला जाए। क्योंकि अगर फैक्टरी बंद होती है तो प्लाइवुड इंडस्ट्री को खासा नुकसान हो सकता है।
इधर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आरओ निर्मल कष्यप ने बताया कि एनजीटी के सख्त आदेश आए हैं। इसके मुताबिक आगे की कार्यवाही की जा रही है।
मैट्रों प्लाइवुड के विमल चैपड़ा का कहना है कि फार्मल डीहाइड पर एनजीटी का निर्णय सही नहीं है। क्योंकि जब राज्य सरकार ने इस तरह की युनिट को चलाने की इजाजत दे दी तो फिर एनजीटी क्यों इस पर रोक लगा रही है। द प्लाई इनसाइट से बातचीत में उन्होंने कहा कि होना तो यह चाहिए कि अब जो युनिट लग गई, उसे कैसे रेगुलराइज किया जाए। नियमों में थोड़ी ढील देकर यूनिट को नियमित करने का काम किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस पर जो 50 लाख की पैनेल्टी लगाने का प्रावधान किया गया है यह भी सही नहीं है। यह बहुत ज्यादा है। उन्होंने कहा कि प्रभावित सभी उद्योगपतियों को मिल कर इस मामले का कानूनी तौर पर भी समाधान तलाशना चाहिए।