Possibility of investment of about 45 lakh crore rupees in the affordable housing sector.
- December 7, 2021
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The level at which the investment in these projects has started increasing due to the increasing demand for affordable houses in the country. Although the pace of investment in this category is still sluggish, but in the coming times, there is a possibility of investment of lakhs of crores in this sector. Property consultancy company Knight Frank India has said that there is a need for around 35 million quality houses in urban areas. In this context, there is a possibility of investment of about 45 lakh crore rupees in the affordable housing sector.
Quoting UN figures, Knight Frank has said in a report that out of the world’s 7.9 billion population, about 4.5 billion people live in urban areas. In India, 3.5% of the urban population lives in low-quality housing. In such a situation, the country needs about 3.5 crore quality houses. Of these, about 2 crore houses will be for the economically weaker sections and 1.4 crore houses for the low income group and 1 crore for the lower-middle class.
According to Knight Frank, 1,658 million square feet of land would be required to build a house on such a large scale. The construction of these houses will cost about Rs 34.56 lakh crore, while the land acquisition and other needs will require Rs 10.36 lakh crore. Overall, a huge investment of about Rs 45 lakh crore would be required to provide houses to all the needy in India. In such a situation, there is a great opportunity for private fund houses and other investors to invest in this sector.
According to Knight Frank Research, currently 50 per cent of the people in the top eight cities in the last five years live in affordable houses that cost around Rs 50 lakh per house. The gloomy market conditions have also affected property sales and related prices. Affordable housing is a category that is attracting attention of all stakeholders including developers, financial institutions, investors, policy makers as well as the end customer, amid the slowdown in the market.
सस्ते आवासीय क्षेत्र में करीब 45 लाख करोड़ रुपये के निवेश की संभावना
देश में जिस स्तर पर सस्ते मकानों की बढ़ती मांग की वजह से इन परियोजनाओं में निवेश बढ़ने लगा है। हालांकि अभी भी इस श्रेणी में निवेश की रफ्तार सुस्त है लेकिन आने वाले समय में इस क्षेत्र में लाखों करोड़ रुपये के निवेश की संभावनाएं हैं। प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी कंपनी नाइट फ्रैक इंडिया ने कहा है कि शहरी इलाकों में करीब 3.5 करोड़ गुणवत्तपूर्ण मकानों की जरुरत है। इस लिहाज से देखें तो सस्ते आवासीय क्षेत्र में करीब 45 लाख करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ो का हवाला देते हुए नाइट फ्रैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया की 7.9 अरब आबादी में से करीब 4.5 अरब लोग शहरी इलाकों में रहते हैं। भारत में शहरी आबादी का 3.5 फीसदी हिस्सा कम गुणवत्ता वाले मकानों में रहता है। ऐसे में देश को करीब 3.5 करोड़ गुणवत्तापूर्ण मकानों की जरूरत है। इनमें से करीब 2 करोड़ मकान आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग और 1.4 करोड़ मकान निम्न आय वर्ग और 1 करोड़ मकान निम्न-मध्यम वर्ग के लिए होंगे।
नाइट फ्रैंक के अनुसार इतने बड़े पैमाने पर मकान बनाने के लिए 1,658 करोड़ वर्गफुट भूमि की जरुरत होगी। इन मकानों के निर्माण पर करीब 34.56 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी जबकि भूमि अधिग्रहण एवं अन्य जरुरतों के लिए 10.36 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। कुल मिलाकर भारत में सभी जरुरतमंदों को मकान मुहैया कराने के लिए करीब 45 लाख करोड़ रुपये के भारी निवेश की जरुरत पड़ेगी। ऐसे में निजी फंड हाउस एवं अन्य निवेशकों के लिए इस क्षेत्र में निवेश का बेहतरीन मौका है।
नाइट फ्रैंक रिसर्च के अनुसार, वर्तमान में पिछले पांच वर्षों में शीर्ष आठ शहरों में 50 फीसदी लोग सस्ते मकानों में रहते हैं जिसकी कीमत करीब 50 लाख रुपये प्रति मकान है। बाजार की निराशाजनक स्थिति ने संपत्ति की बिक्री और संबंधित कीमतों को भी प्रभावित किया है। बाजार में मंदी के बीच किफायती मकान एक ऐसी श्रेणी है जो डेवलपर, वित्तीय संस्थानों, निवेशकों, नीति निर्माताओं के साथ-साथ अंतिम ग्राहक सहित सभी हितधारकों का ध्यान आकर्षित कर रहा है