Rajesh Maskara

It’s time to tap the market volatility positively


At present, market is facing a shortage of quality material. Customer has always preferred quality with reasonable pricing. In my opinion demand in market is very favorable for trusted and quality products, who have a better brand value. Although cheaper products are available widely but with lessen response. So, this is a very good time to run for making brand with quality products and win the trust of customers.

Emphasizing on quality is paying to as is seen in Indian market. There is short supply of quality product against the demand. Myth is breaking that medium quality is flourishing over top brands.

Costing is major factor for producing quality material, which increase due to extra wastage in dumping the degraded raw material. Margin is slashed naturally. But it gives much satisfaction when customer is willing to pay money for valued product. Winning trust of the customers is a big achievement which creates face value of the producer in the long run.

 



Committed for the best quality


SHRI BALA JEE INDUSTRY is committed to further strengthen its leading position in the Indian Plywood Industry by delivering better than the best.

The importance of quality in the highly competitive world can hardly be overlooked. Therefore, SHRI BALA JEE INDUSTRY have incorporated numerous check procedures at every stage to ensure zero defect products.

Plywood samples are regularly tested in the lab, equipped with top line testing instruments, to check the product’s conformity with the ISI specifications. Quality control inspectors inspects every panel with most stringent quality control norms.

With its commitment to produce better-than-the-best plywood and continual improvements, KATHPUTLI-ply is winning customer’s trust and enhancing satisfaction.


Ups and down are recurring phases of our life. We may call it life line in medical term. It never means that Industry’s time is over. Thinking positively will be the key to success. But naturally, mental and financial strong industrialist will survive and prosper. Scope and space is narrowing for marginal players. Market condition is favorable for quality producers. Strong resistance and will power with up gradation of plant and machinery is the demand of the time to maintain the quality standard. There is no option to let loose our speed.

From market’s point view, a producer is successful when one utilizes his skill understanding the mood of the market, which is moving towards quality. Hence compromising on quality will push the manufacturer on back foot and thus no option left but to upgrade himself and proceed according to the market or omit from the map.

A personal experience is shocking. Now the difference between the rich and the common has been bridged. The standard of goods which was preferred by the upper class among the buyers has now become of the general category as well. The market is changing on premium quality. The rich have lowered their level a little and the common man a little higher. The importance of money for both is now seen as equal. Breaking the monopoly of multinational companies, Indian businessmen are presenting a new picture of their future. Through many such changes, Indian industry seems to be opening new doors of illumination. We have to consider how much do we participate in this change.

There will be no hindrance in the success who ever will tap this market momentum.



Social responsibility

SRI BALA JEE INDUSTRY has been certified with ISO 14001:2004 for practicing good environmental means. The company is committed to maintain a clean environment by minimizing the effects of smoke and dust generated in our process by means of suitable pollution control devices.

The plant is worker & environment friendly and practically dust free. Dust generated during the process of cutting and sanding etc. are collected in a dust collector device which is connected to the machines with suitable ducts.

Water contaminated during the process is purified in an Effluent Treatment Plant (ETP) and recycled for reuse in the process.


बाजार के उतार चढ़ाव को सकारात्मक तरीके से लेने का वक्त है


यह वक्त गुणवत्ता का है। कस्टमर को क्वालिटी चाहिए। अच्छे माल की हमेशा डिमांड रही है। इस वक्त भी यही स्थिति है। बाजार की स्थिति बहुत अच्छी है। बढ़िया माल की शॉर्टेज है। ब्रांडेड माल की डिमांड है। जिसने गुणवत्ता से समझौता किया, उसके माल को कोई नहीं पूछ रहा है। इसलिए अब वक्त आ गया कि सभी को गुणवत्ता पर काम करना होगा। कस्टमर का विश्वास जीतना होगा।

गुणवत्ता पर मेहनत करने वाला ही सफल होगा। संपूर्ण उत्तरी भारत इसका उदाहरण है। सभी जगह बढ़िया की शॉर्टेज है। पहले यह मानते थे कि बाजार में मीडियम क्वालिटी की डिमांड है, अब यह धारणा टूटती नजर आ रही है।

यह सही है कि गुणवत्ता युक्त माल की कास्टिंग बढ़ जाती है। खराब रा मेटेरियल को बाहर निकालने की वजह से इसमें मार्जन थोड़ा कम हो जाता है। पर जब डिमांड है तो संतुष्टि के लिए मार्जन से समझौता भी किया जा सकता है। क्योंकि माल की डिमांड है, बाजार पैसा चुकाने के लिए तैयार है। तो फिर क्यों नहीं इस पर फोकस किया जाए। विश्वास जीतना बड़ी बात है। कस्टमर का विश्वास जीतना ही होगा। जिससे उत्पादक की भी फेस व्ल्यु बनेगी। उससे उन्हें कभी कोई दिक्कत नहीं आ सकती ।

हां अप एंड डाउन आ सकते हैं। मेडिकल टर्म के अनुसार इसे हम जीवित होने के लक्षण कभी कह सकते हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इंडस्ट्री का समय समाप्त हो गया। हमें पॉजिटिव तरीके से सोचना होगा। सच यह है कि अब वहीं इंडस्ट्री सर्वाइव करेगी, जो मजबूत है, क्योंकि कमजोर और छोटे उत्पादक के लिए अवसर और संभावनाएं कम होती जा रही हैं।

बाजार को अब बेहतर उत्पादक चाहिए। इसमें मेहनत करनी होगी। गुणवत्ता के लिए हमें अपनी लाइन खींचनी होगी। प्लांट अपग्रेड करने होंगे। जिससे क्वालिटी अपग्रेड होगी। यह जरूरत है। इसे उत्पादक को पूरा करना ही होगा।

मार्केट के प्वाइंट ऑफ व्यू से भी देखे तो वहीं उत्पादक कामयाब है, जो बाजार के मिजाज को समझता हो। जिसने इसे नहीं समझा वह कामयाब नहीं हो सकता। आज बाजार का मिजाज गुणवत्ता की ओर है। फिर ऐसे में यदि कोई क्वालिटी से समझौता करता है तो निश्चित ही वह पिछड़ेगा। क्योंकि बाजार में इस तरह के माल की जरूरत कम होती जा रही है। अब ऐसे उत्पादक के सामने दो ही रास्ते है, या तो वह खुद को अपग्रेड कर बाजार के अनुरूप काम करें या फिर वह धीरे धीरे खत्म हो जाए।

एक व्यक्तिगत अनुभव तो चैकाने वाला है। अब धनाढ्य और सामान्य के बीच अंतर पट गया है। खरीदारों में जिस मानक की वस्तुएं उच्च वर्ग की पसंद थी, वह अब सामान्य वर्ग की भी बन गई है। प्रीमियम क्वालिटी पर बाजार परिवर्तित हो रहा है। धनाढ्य ने अपने स्तर को कुछ नीचे किया है और सामान्य ने कुछ ऊंचा। दोनो के लिए पैसे का महत्व अब बराबरी का नजर आ रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एकाधिकार को तोड़ते भारतीय व्यापारी अपने भविष्य की नई तस्वीर प्रस्तुत कर रहे हैं। ऐसे कई परिवर्तनों के मार्फत भारतीय उद्दयोग रोशनी के नए द्वार खोलता नजर आ रहा है। इस परिवर्तन में हम कितने भागीदार हैं, यह हमें विचार करना है। जिसने बाजार के इस मिजाज को भांप लिया, वह कामयाब हो जाएगा।