Real Estate Projects will Get Help


The mandatory restructuring of loans at the project level by the Kamat Committee as compared to the loans of the parent company would help in reviving the projects and consequently assist the developers for faster improvement of stuck projects. This is to say the real estate builders and experts.

According to this scheme, through the special resolution facility of Reserve Bank of India, lenders will be able to provide outright restructuring of loans based on the prescribed framework related to assets affected by Covid19.

In addition to this, companies will be able to focus on resuming their business normally with renewed vigor and vitality. Lower rates of interest along with liberal approach of the central bank help rebuild consumer sentiment.

This will help in consumption. The RBI has sought to strengthen the ICA’s inter-creditors settlement mechanism. It has clarified that the ICA is mandatory and compliance with the ICA’s signature will be evaluated as part of its supervisory review.


रियल एस्टेट को ऋण पुनर्गठन से मिलेगी मदद


कामत समिति द्वारा मूल कंपनी के ऋण की तुलना में परियोजना स्तर पर ऋण पुनर्गठन अनिवार्य किए जाने से परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी और इसके परिणामस्वरूप डेवलपरों को अटकी हुई परियोजनाओं में तेजी से सुधार के लिए सहायता मिलेगी। यह कहना है रियल एस्टेट के बिल्डरों और विशेषज्ञों का।

इस योजना के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक की विशेष समाधान सुविधा के जरिये ऋणदाता कोविड.19 से प्रभावित परिसंपत्तियों से संबंधित निर्धारित रूपरेखा के आधार पर ऋणों का एकमुश्त पुनर्गठन उपलब्ध करा पाएंगे।

इसके अलावा इससे कंपनियां अपना कारोबार नए जोश और जीवटता के साथ दोबारा सामान्य रूप से शुरू करने पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी। केंद्रीय बैंक के उदार रूख के साथ – साथ ब्याज की कम दरें उपभोक्ता धारणा के पुनर्निर्मा में मदद करेंगी जिससे खपत में मदद मिलेगी। आरबीआई ने आईसीए के अंतर-लेनदारों के समझौता तंत्र को मजबूत करने की मांग की है। इसने स्पष्ट किया है कि आईसीए अनिवार्य है और आईसीए के हस्ताक्षर के अनुपालन का मूल्यांकन इसकी पर्यवेक्षी समीक्षा के हिस्से के रूप में किया जाएगा।